75 में से आधे ही गांवों में दे पाए अब तक अफसर दस्तक

रातापानी
  • रातापानी को रिजर्व बनाने का मामला

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। रातापानी वन्यजीव अभयारण्य को रिजर्व बनाने की कवायद एक बार फिर से शुरु हो गई है, लेकिन इसमें देरी होने की वजह अफसरानों की लापरवाही बनी हुई है। हालत यह है कि इसके तहत जिन तीन जिलों के 75 गांव आ रहे हैं । उनमें से आधे से अधिक में अब तक अफसरों को जाने की फुर्सत ही नहीं मिली है। या यों कहा जाए कि गर्मी के कारण वे अपने एसी कार्यालय से बाहर जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं। यही वजह है कि इस रिजर्व को बनाने के लिए कितने लोग राजी है और कितने नहीं इसका सही आंकड़ा अब तक सामने नहीं आ पाया है। हाल यह हैं कि अब तक अफसर सिर्फ 37 गांव गांवों में ही पहुंचे हैं। इन गांवों में रहने वाले करीब 30 हजार से अधिक लोग बनाए जाने वाले रिजर्व के पक्ष में आ गए हैं। उन्हें लगता है कि रिजर्व बनने से उनके गांवों के आसपास रोजगार के अवसर खुलेंगे, उन्हें भी इसका फायदा होगा। 38 गांव ऐसे हैं, जहां 16 साल बाद भी अफसर नहीं पहुंचे। इस कारण यह पता नहीं चल पा रहा है कि उनका रिजर्व को लेकर क्या मत है। दरअसल यह 75 गांव औबेदुल्लागंज, सीहोर और रायसेन वन मंडल में आते हैं। इनमें से भी 8 राजस्व और 3 वनग्राम ही प्रस्तावित रिजर्व क्षेत्र में हैं, जिन्हें बाहर शिफ्ट करने की जरूरत पड़ेगी। बाकी के 64 गांव विस्थापित नहीं होंगे, लेकिन इन्हें नियमों का पालन करना होगा।
इन गांवों को अफसरों के आने का इंतजार
बिनेका-बोरदा, बोरपानी, मोकलवाड़ा, उमरिया, बिनेका, आकलपुर, बोरदा, पिपलपानी, गोरीपुरा, नासीपुर, भूतपलासी, बांसगहन, गोरीपुरा, आमछाकलां, आमछाकलां खुर्द, भियांपुर, तजपुरा, करीतलाई, महुआखेड़ा, झिरीबेहड़ा, करमई-बमनई, मथार, नादियाखेड़ा, नीमवाड़ा खेड़ा, जेतपुर, साजोली, मंडवा-रमपुरा, मगरधा-पिपलिया, डामडोंगरी, घाटखमरिया, खैरी, यारनगर, अमरगढ़, मिडघाट, बुदनी, बावडिय़ाखाल, बड़झिरी का पठार, राबियाबाद गांव ऐसे हैं, जहां वन विभाग के अधिकारियों पहुंचकर ग्रामीणों से बात करनी है।
रिजर्व के अनुकूल हैं सभी चीजें
जंगली जानवरों की उपस्थिति के अलावा रातापानी क्षेत्रफल के लिहाज से भी टाइगर रिजर्व बनने की शर्तों को पूरा करता है। यह अभ्यारण्य भोपाल, सीहोर सहित रायसेन जिले में फैला हुआ है। इस अभ्यारण्य की एरिया 823 वर्ग किलोमीटर में है। जिसमें कोर एरिया 763.812 वर्ग किलोमीटर है।
ग्राम सभाएं कर जानकारी दें
असल में सीएम डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में इसी साल 11 मार्च को राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की पहली बैठक हुई थी। जिसमें वनमंत्री नागर सिंह चौहान, वन राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार समेत सदस्य मौजूद थे। बैठक में रातापानी को रिजर्व बनाने का पूर्व से प्रचलित प्रस्ताव लाया था। जिसमें इस बात पर सहमति बनी थी कि प्रस्तावित रिजर्व के कोर व बफर जोन में आने वाले गांवों के ग्रामीण, जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की जाए, उन्हें रिजर्व के नियमों की जानकारी दी जाए, फायदे और नुकसान बताएं और ग्राम सभाओं से अनुमति ली जाए। 11 जून को बोर्ड की दूसरी बैठक में वन विभाग की वन्यप्राणी शाखा की ओर से बताया गया था कि 37 गांवों में उक्त कार्रवाई पूरी कर ली है, बाकी के 38 गांव बचे हैं, उन्हें भी 15 दिनों में ग्राम सभाएं कर ली जाएंगी, जो कि संभव नहीं है।

Related Articles