किसानों को पसंद नहीं आ रहा ऑनलाइन भुगतान

ऑनलाइन भुगतान
  • साइबर फ्रॉड की बढ़ती घटनाओं ने किया उन्हें डिजिटल पेमेंट से दूर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार का पूरा फोकस इन दिनों डिजिटल पेमेंट पर बना हुआ है। यही वजह है कि हर सरकारी दफ्तर में भी भुगतान की इस प्रणाली की सुविधा का इंतजाम किया गया है। समय के साथ लोगों में डिजिटल पेमेंट की बढ़ती प्रवृत्ति के साथ ही साइबर अपराधों में भी तेजी से वृद्धि हुई है। दरअसल पता ही नहीं चलता है कि कब कोई ठग आपसे किस बहाने से बैंक खाते की जानकारी जुटा ले और फिर तब पता चले जब खाते में से पूरी रकम ही निकाल गई हो। यही वजह है कि किसानों का डिजिटल पेमेंट से मोह भंग होता जा रहा है। वे इस प्रक्रिया की जगह नगद लेनदेन पर ही भरोसा कर रहे हैं।  राज्य की अनाज मंडियों के बीते चार माह के आंकड़ें देखने पर पता चलता है कि मंडी में फसल बेचने आने वाले किसानों में से महज 20  फीसदी ही किसानों ने  भुगतान लिया है, बाकी ने नकद में। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की राज्य की 259 मंडियां और इतनी ही उपमंडियों में औसतन 40 हजार करोड़ प्रतिमाह का भुगतान किसानों को होता है। इनमें से चार से साढ़े चार हजार करोड़ रुपए ही डिजिटल भुगतान हो पाता है। जानकार बताते हैं कि युवा किसान डिजिटल पेमेंट पर विश्वास करते हैं, जबकि पुराने किसान नकद पैसे ही मांगते हैं।
तुरंत खरीदी में लगते है रुपए
उल्लेखनीय है कि इस साल में अब तक जनवरी से अप्रैल माह तक की मप्र राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड में किसानों को किए गए भुगतान के जो आंकड़े आए हैं, उनके अनुसार डिजिटली भुगतान मात्र 15 फीसदी ही हो रहा है। इनमें उन कृषकों की संख्या ज्यादा है, जिन्हें उपज बेचने के बाद तुरंत रुपयों की जरूरत होती है। उनका पैसा सीधे उनके खाते में पहुंच जाता है, जबकि 90 फीसदी किसान उपज का पैसा लेकर जरूरत के अनुसार, खाद-दवा खरीद लेते हैं या अन्य लेनदेन करते हैं। इस मामले में अनाज व्यापारी संघ का कहना है कि किसान अनाज बेचकर बाजार में पैसा खर्च करता है। व्यापारी उसके खाते में पैसा डाल दते हैं, जिसके बाद बैंक से पैसे निकालने में समय लगता है, इसलिए किसान नकद की मांग करते हैं।
राज्य की मंडियों में किसानों को भुगतान
माह डिजिटल भुगतान कुल भुगतान
जनवरी-2024 850 करोड़ रुपए 7500 करोड़ रुपए
फरवरी-2024 1420 करोड़ रुपए 9000 करोड़ रुपए
मार्च-2024 1150 करोड़ रुपए 10,000 करोड़ रुपए
अप्रैल-2024 2420 करोड़ रुपए 12,000 करोड़ रुपए

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