चंबल के पानी की तासीर का लगाया जाएगा पता

– बनायी जा रही है योजना, किया जाएगा अनुसंधान भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मालवा अंचल में स्थित विंध्याचल पर्वत के जानापाव पहाड़ी से निकलने वाली चंबल नदी के पानी की तासीर की अब खोज करने की तैयारी कर ली गई है। 965 किलोमीटर बहने वाली इस नदी की खासियत यह है कि यह नदी उत्तर भारत की सर्वाधिक स्वच्छ नदी मानी जाती है। यही वजह है कि इसके पानी पर शोध करने की योजना बनाई गई है। शोध में पता किया जाएगा कि इसका कितना स्वच्छ है, यह इंसानों के पीने लायक है या नहीं, इसके पानी की खासियत क्या हैं। दरअसल इस बारे में अभी तक किसी को कुछ भी पता नही है। इसी वजह से पहली बार इसका पता करने के लिए चंबल के पानी की जांच की जा रही है। इस पानी की जांच का काम अगले माह से राष्ट्रीय चंबल घडिय़ाल सेंक्चुरी और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) मिलकर करने जा रहे हैं। जांच का काम अत्याधुनिक मशीनों से किया जाएगा। अभी तक जांच के नाम पर राजघाट क्षेत्र में कभी-कभी पानी के सैंपल जरुर लिए जाते हैं, लेकिन वहां पर सतही तौर पर ही जांच की जाती है , लेकिन अब राष्ट्रीय घडिय़ाल सेंक्चुरी की जद में आने वाले चंबल नदी के 495 किलोमीटर के हिस्से (श्योपुर से लेकर उप्र के पचनदा तक) के पानी की गुणवत्ता जांच पहली बार होगी। कम आक्सीजन और अपशिष्ट पदार्थीें की मात्रा मेंं बढ़ोत्तरी वैसे तो चंबल के पानी की जांच यदा-कदा होती रही है। साल 2012 और फिर साल 2013 में चंबल घडिय़ाल सेंक्चुरी ने पानी की जांच करवाई गई थी,जो केवल राजघाट और चंबल नदी पर बने रेलवे पुल के आसपास के पानी की हुई थी। साल 2012 में चंबल के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 7 फीसदी थी,जो साल 2013 की जांच में घटकर 3.4 फीसदी रह गई थी। इसके अलावा पानी में अपशिष्टों की जांच हुई थी,जिसमें साल 2012 में 249 मिलीग्राम प्रति लीटर बताई गई और 2013 में यह बढक़र 374 मिलीग्राम तक पहुंच गई थी। दरअसल पीने योग्य पानी में अपशिष्ट की मात्रा शून्य होनी चाहिए। इस हिसाब से पूर्व में हुई जांच में चंबल के पानी को पीने योग्य नहीं माना गया, लेकिन यह जांच बेहद छोटे स्तर पर हुई थी। ऑक्सीजन की मात्रा भी देखी जाएगी चंबल नदी के किनारों पर, पानी में कई प्रजाति के छोटे-छोटे वनस्पति पौधे 12 महीने हरे-भरे रहते हैं। इन वनस्पति पौधों से पानी की गुणवत्ता पर क्या असर हो रहा, इसका पता लगाने के लिए पानी की जांच होगी। तीन चरणों की जांच में चंबल का पानी परखा जाएगा। चंबल के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा तलहटी से लेकर ऊपर तल पर कितनी है। यह पता लगाने के लिए डिजाल्व ऑक्सीजन की जांच होगी। स्वच्छ पेयजल में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं। चंबल के पानी में कौन-कौन से मिनरल्स कितनी मात्रा में मौजूद हैं। इसकी भी जांच होगी।एक पखवाड़े तक चलेगा काम सेंक्चुरी प्रशासन के अनुसार 12 से 15 दिन तक सैंपल लेने और साथ ही साथ पानी की जांच का काम चलेगा,जांच परिणाम आने के बाद चंबल के पानी में पाई जाने वाली कमियों को दूर कर नदी को स्वच्छ बनाने के काम शुरू होंगे। चंबल का पानी आगामी साल में मुरैना,ग्वालियर में पेयजल सप्लाई में मिलेगा। इसलिए भी यह जांच बेहद अहम है।

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