बिना किताब स्कूल चले हम!

  • स्कूलों में कैसे पढ़ेंगे बच्चे, अधिकांश के पास नहीं हैं किताबें

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी सहित प्रदेश के कई सरकारी स्कूलों में बच्चों के पास किताबें नहीं हैं। बिना इनके बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। दरअसल योजना के तहत नि:शुल्क किताबों का वितरण अब तक नहीं हो पाया है। जानकारी के अनुसार हर साल पहली से बारहवीं कक्षा तक के बच्चों को स्कूलों के माध्यम से निशुल्क किताबें दी जाती हैं। शहर के बाहरी हिस्से और ग्रामीण क्षेत्रों तक ये अभी पहुंची ही नहीं है। ऐसे में स्कूलों में बच्चे कैसे पढ़ेंगे यह सवाल उठ रहा है।
 प्राइवेट स्कूलों की बराबरी करने में जुटे शासकीय स्कूलों में बिना किताबों के पढ़ाई शुरू हो गई। पाठ्यपुस्तक निगम से जिलों में किताबें पहुंचा भी दी गई, लेकिन इनका स्कूलों में वितरण नहीं हो पाया। प्रदेश में बीआरसीसी द्वारा किताबों को स्कूलों में बांटने बिल्कुल रुचि नहीं दिखाई है। देवास, बड़वानी, इंदौर व पन्ना में परिवहन की समुचित व्यवस्था ही नहीं की गई। वहीं, राजधानी में भी बीआरसीसी द्वारा एक भी स्कूल में बच्चों को किताबें ही नहीं बांटी गई। जबकि प्राइवेट स्कूलों में पहली अप्रैल से स्कूल खुलने के बाद पहले यूनिट टेस्ट तक हो चुके हैं।
नहीं हुआ किताबों का वितरण
गौरतलब है कि प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पहली से बारहवीं तक बच्चों को नि:शुल्क किताबें दी जाती है। इस बार नवीन शैक्षणिक सत्र की शुरुआत बीती एक अप्रैल से हो चुकी है। सत्र की शुरुआत से ही बच्चों की पढ़ाई के लिए पाठ्यपुस्तक निगम ने जिला स्तर पर डिमांड के अनुसार किताबें भेज दी दी थी। प्रदेश के कुल 52 जिलों में 5 करोड़ 89 लाख 92 हजार 80 किताबों की डिमांड पाठ्यपुस्तक निगम को भेजी गई। इसमें पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा जिला स्तर पर बीआरसीसी को एक अप्रैल के पहले 3 करोड़ 30 लाख 45 हजार 670 किताबें भेजी गई। यह कुल किताबों का 56 फीसदी था। प्रदेश के बीआरसीसी द्वारा 56 फीसदी का 93 फीसदी किताबों की प्राप्ति भी कर ली गई। इन किताबों को स्कूलों में पहली अप्रैल से ही वितरित करना था, लेकिन हालत यह रहे कि मात्र 1 लाख 87 हजार 594 किताबें ही स्कूलों में वितरित हो पाईं। इससे पूरे महीने बच्चे बिना किताबों के ही स्कूल गए और उनकी गर्मियों की छुट्टियां कर दी गई।
भोपाल जिले में बीआरसीसी पद की पोस्टिंग के लिए उम्मीदवार सेटिंग में लगे रहते हैं, जिले में बीआरसीसी को सभी बीआरसीसी द्वारा 6 लाख 52 हजार 215 किताबों की डिमांड भेजी गई थी, जिसमें पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा 2 लाख 93 हजार 914 किताबें यानि 45 फीसदी भेजी गई। इसमें बीआरसीसी द्वारा 2 लाख 7 हजार 604 किताबों यानि 71 फीसदी की पावती दी गई। यह किताबें भी एक भी स्कूल में विद्यार्थियों को वितरित नहीं की गई।
मोबाइल एप से ट्रैकिंग
विद्यार्थियों को किताबें मिलीं या नहीं, इसकी मोबाइल एप से ट्रैकिंग की जा रही है। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन टेक्स्ट बुक वितरण ट्रैकिंग मोबाइल एप तैयार किया है। इस ट्रैकिंग के माध्यम से प्रदान करने और वितरण की मॉनिटरिंग राज्य, जिला व विकासखंड स्तर पर की जा रही है। प्रथम चरण में पाठ्य पुस्तक ट्रैकिंग प्रणाली में मप्र पाठ्य पुस्तक निगम के डिपो से पुस्तकों को विकासखंड स्तर पर भेजा जाता है। वहां पर विकासखंड स्त्रोत समन्वयक (बीआरसीसी) द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से बंडल के जीओ टैग फोटो के साथ प्राप्ति दर्ज करते है। अगर किताबें क्षतिग्रस्त और कम पहुंचती हैं तो 15 दिन के अंदर इनकी जानकारी मोबाइल एप के माध्यम से दर्ज करना होती है। इस एप के माध्यम से स्कूल में कक्षा के अनुसार विद्यार्थियों की संख्या दर्ज होगी। बीआरसीसी की ओर से डिस्पैच ऑर्डर तैयार किए जाएंगे। विकासखंड स्तर से जैसे ही स्कूल का डिस्पैच आर्डर लाक करेंगे। संबंधित स्कूल के संस्था प्रमुख को मोबाइल एप पर उनके लाग इन पर दिखाई देने लगेगा। इसके अलावा किताबों को ट्रांसपोर्ट करने लिए रूट चार्ट भी तैयार किया गया है। इसके माध्यम से भी ट्रैकिंग कर सकते हैं। मोबाइल एप पर कक्षा अनुसार दर्ज बच्चों के नाम प्रदर्शित होंगे। उसके अनुसार पुस्तकों का वितरण किया जाएगा, लेकिन चार दिन पहले 20 मई को राज्य शिक्षा केंद्र में आयोजित प्रदेश स्तरीय पुस्तक परिवहन समीक्षा बैठक में सामने आया कि स्कूलों में किताबें ही नहीं पहुंची हैं।

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