
- प्रदेश में आदिवासियों की जमीन पर काबिज हैं दबंग …
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल। मप्र सरकार अवैध कब्जों को लेकर गंभीर है। भूमाफिया के खिलाफ प्रदेश भर में लगातार कार्रवाई की जा रही है। इसी कड़ी में अब आदिवासियों को दी गई वन भूमि को अवैध तरीके से खरीदकर या दबंगई से काबिज होने वालों के खिलाफ सरकार मुहिम चलाएगी। गौरतलब है कि प्रदेश में कई जगहों पर अभिलेखों में छेड़छाड़ करके तो कई जगहों पर दस्तावेज बदलकर आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर लिया गया। इस तरह की शिकायतें लगातार पहुंच रही है।
सूत्रों का कहना है कि मप्र सरकार की जानकारी में आया है कि भोपाल और इंदौर सहित प्रदेश के कई शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में गलत प्रक्रिया अपनाकर आदिवासियों से जमीनों की खरीदी की गई है। अवैधानिक तरीके से खरीदी गई आदिवासियों की जमीन अब सरकारी होगी यानी मप्र सरकार उसे अपने कब्जे में लेगी। कटनी कलेक्टर अवि प्रसाद ने इस तरह का एक आदेश अपने जिले में पारित किया है। अब इस आदेश की राज्य सरकार पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी में है। बस! सरकार को लोकसभा चुनाव के लिए लागू की गई आचार संहिता के समाप्त होने का इंतजार है।
ब्यूरोक्रेट्स ने जमकर खरीदी जमीनें
मप्र में पिछले डेढ़ दशक के दौरान जमीनों का कारोबार तेजी से बढ़ा है। मप्र सरकार की जानकारी में आया है कि भोपाल और इंदौर सहित प्रदेश के कई शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में गलत प्रक्रिया अपनाकर आदिवासियों से जमीनों की खरीदी की गई है। जमीन खरीदने वालों में आईएएस-आईपीएस, आईएफएस से लेकर दिग्गज राजनेता तक शामिल हैं। भोपाल में इस तरह के बहुत सारे मामले सामने आए हैं। तमाम लोगों ने इसको लेकर अफसरों के सामने शिकवा शिकायतें भी की है। सरकार इसको लेकर काफी समय से रास्ता तलाश रही थी। अब कटनी कलेक्टर का आदेश सामने आया है। सरकार को यह तरीका सबसे आसान लगा है। जिला कलेक्टर के जरिए सरकार वैध प्रक्रिया को अपनाए बिना खरीदी गई जमीनों को सरकारी करा दी। इससे सरकार के पास भूमि का बड़ा बैंक (लैंड बैंक) तैयार हो जाएगा। इससे सरकार की माली हालत में भी सुधार आएगा। बताते है कि सरकार ने इसे लागू करने की तैयारी कर ली है और इसको लेकर ठोस प्रयास भी शुरू कर दिए गए हैं। तमाम दस्तावेजों और तथ्यों को खंगाला जा रहा है।
कटनी में सामने आया मामला
दरअसल कटनी कलेक्टर के सामने जिले के ग्राम बड़वारा स्थित खसरा नंबर 17 रकवा 0.60 हेक्टेयर जमीन आदिवासी के पट्टे की थी। उक्त जमीन को अवैधानिक प्रक्रिया अपनाकर गैर आदिवासी के नाम नामांतरण करा दिया गया था। उसके बाद उस भूमि की बिक्री भी कर दी गई थी। कलेक्टर की ओर से पारित किए गए आदेश में गैर आदिवासी के नाम पर किए गए नामांतरण के आदेश को निरस्त करते हुए मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों के तहत तहसीलदार बड़वारा को उपरोक्त भूमि को अंतरिम व्यवस्था के तहत शासकीय मद में दर्ज किए जाने का आदेश दिया गया है। कलेक्टर न्यायालय के इस आदेश के बाद आदिवासियों की जमीन पर गिद्ध दृष्टि जमाए बैठे भू-माफियाओं में हडक़ंप मच गया है। अब जब से यह पता चला है कि इस तरह का अभियान पूरे प्रदेश में चलाया जाएगा, तब से जमीन हड़पने वालों की सांसें भी ऊपर-नीचे हो रही हैं। कलेक्टर ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि आदिवासी भूमि-स्वामी सतराम कोल के स्वत्व की जमीन मेहरुनिशा खान के नाम पर कैसे हो गई, इसको लेकर एसडीएम से जांच कराई थी। एसडीएम ने जांच के दौरान इस मामले में हल्का पटवारी से प्रतिवेदन मांगा था। पटवारी के प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर ने बड़वारा निवासी मेहरुनिशा, हनुमानगंज कटनी निवासी रमेश कुमार बजाज पिता नरसिंह दास बजाज, बड़वारा निवासी सुमन कोल पिता संतराम कोल, सत्तोबाई पति संतराम कोल और आशीष कुमार गुप्ता पिता महेंद्र गुप्ता नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। उनके जवाब के बाद कलेक्टर ने उक्त आदेश पारित किया है। दरअसल, तत्कालीन पटवारी मोहन सिंह बरकड़े द्वारा दिए गए प्रतिवेदन में बताया गया कि बड़वारा कला स्थित भूमि वर्तमान खसरा में रमेश कुमार बजाज हनुमानगंज कटनी के नाम पर दर्ज है। यह जमीन वर्ष 1988-89 में आदिवासी संतराम कोल पिता हिंदरई के नाम पर दर्ज थी। उसके बाद फौती नामांतरण के जरिए यह जमीन गैर आदिवासी मेहरुनिशा खान पति संतराम कोल के नाम पर दर्ज हो गई। चूंकि किसी व्यक्ति की जाति, जन्म के आधार पर तय होती है। इसलिए नियमत: आदिवासी की जमीन मेहरुनिशा के नाम पर नहीं होनी थी। अपने नाम पर जमीन होने के बाद मेहरुनिशा ने इसकी पावर ऑफ अटानी आशीष कुमार गुप्ता को दे दी थी। गुप्ता ने जमीन रमेश कुमार बजाज को बेच दी। बजाज ने इस जमीन को 30 जुलाई 2014 को कटनी के मदन मोहन चौबे वार्ड में रहने वाली समिधा त्रिपाठी पति राजेश त्रिपाठी को बेच दी थी। सुनवाई के बाद कलेक्टर ने नामांतरण निरस्त कर भूमि को शासकीय मद में दर्ज करने का आदेश दिया है।