पोर्टल की मैपिंग में से हुआ हैरानी करने वाला खुलासा
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में शिक्षा की अलख जगाने के लिए प्रदेश सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग ने कई नवाचार किए हैं, लेकिन उसके बावजूद विद्यार्थियों का पढ़ाई से मोह भंग हो रहा है। इसका खुलासा पोर्टल की मैपिंग में हुआ है। सत्र 2023-24 में 14 लाख बच्चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं। यानि हर स्कूल से 15 से 20 छात्रों का पढ़ाई से मोह भंग हुआ है। यह आंकड़े स्कूल शिक्षा विभाग ने ही जारी किए हैं। विभाग अब इन बच्चों को वापस शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रयास कर रहा है।
गौरतलब है कि हर साल नए शिक्षा सत्र के शुरू होने के अवसर पर सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग की कोशिश होती है कि अधिक से अधिक बच्चों को स्कूल पहुंचाया जाए। लेकिन सरकार के प्रयासों के बावजूद 14 लाख बच्चों का पढ़ाई छोड़ा बड़ी बात है। यह एक चिंताजनक स्थिति है, जिससे निपटने के लिए शिक्षा विभाग ने तत्काल कदम उठाए हैं। शिक्षा विभाग ने इस गंभीर समस्या का समाधान करने के लिए सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार, कलेक्टरों को ड्रॉपआउट बच्चों की जानकारी जुटाने और स्कूल छोडऩे के कारणों का पता लगाने के लिए कहा गया है। विभाग का लक्ष्य इन बच्चों को वापस स्कूल लाना और शिक्षा की मुख्यधारा में जोडऩा है। इसके लिए, स्कूल शिक्षकों को ड्रॉपआउट बच्चों की सूची प्रदान की गई है और उनसे इन बच्चों से संपर्क करने और उन्हें वापस स्कूल आने के लिए प्रेरित करने के लिए कहा गया है। यह पहल निश्चित रूप से राज्य में शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
भोपाल में 46 हजार ने छोड़ा स्कूल
चौंकाने वाले आंकड़ों में सबसे ज्यादा विद्यार्थियों की संख्या भोपाल जिले में है। यहां 46 हजार विद्यार्थियों ने स्कूल छोड़ा है। दअरसल, स्कूल शिक्षा विभाग ने सत्र 2023-24 के यूडीआईएसई पोर्टल में ड्रॉप बॉक्स के छात्रों की वास्तविक मैपिंग और शाला त्यागी तथा पलायन करने वाले छात्रों की मैपिंग को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। जारी निर्देशों में कहा गया है कि साल 2023-24 के यूडीआईएसई प्लस डाटा की चाइल्ड प्रोफाइल की समीक्षा करने पर यह पाया गया है कि बहुत अधिक संख्या में छात्र ड्रॉपबॉक्स में है। ड्रॉपबॉक्स में छात्र चिन्हित होने की स्थिति में यह छात्र शाला त्यागी की गणना में माने जाएंगे, जो कि जिला एवं प्रदेश के लिए विषम परिस्थिति होगी। राज्य शिक्षा केंद्र के जारी निर्देशों में कहा गया है कि कुछ बच्चों की मौत हो गई है, या फिर कुछ छात्र गांव और विकासखंड में वापस चले गए हैं। जिनके बारे में जानकारी उपलब्ध फिर से करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे छात्र जो जिले या फिर राज्य से बाहर चले गए हैं. उनके बारे में भी जिला परियोजना समन्वयक जानकारी एकत्रित करेंगे। साथ ही पढ़ाई छोड़ चुके छात्र फिर से वापस पढऩा चाहते हैं, तो उनके बारे में भी उन्हें प्रेरित किया जाएगा। इसके अलावा फिर शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ा जाएगा। यदि कोई छात्र पढ़ाई नहीं करना चाहता है तो शाला त्यागी छात्र के रूप में उसे चिंहित किया जाएगा और पूछा जाए कि आखिर क्यों पढ़ाई नहीं करना चाहता है। इस मैपिंग के दौरान जानकारी निकलकर सामने आई है कि करीब 58,458 स्कूलों में बच्चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं। इन स्कूलों में करीब 1 लाख 37 हजार 487 छात्र हैं, जिनकी एंट्री डुप्लीकेट के तौर पर हुई है। 2565 छात्रों की साल 2023-24 में मौत भी हो चुकी है। साल 2023-24 में 12वीं की पढ़ाई करीब 13 हजार 711 छात्रों ने पास की है। 2 लाख 46 हजार 926 बच्चों ने स्कूल छोड दिया है। 1 लाख 94 हजार 500 छात्र ऐसे हैं। जिन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद दूसरे राज्य या फिर जिले में माइग्रेट हो चुके हैं।8 लाख 12 हजार 912 छात्र ऐसे हैं, जिनके बारे में फिर से मैपिंग करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों को निर्देश दिए है, क्योंकि उनके पढ़ाई के संबंध में सही जानकारी विभाग के पास नहीं है।
60 फीसदी ने 8वीं के बाद छोड़ा स्कूल…
आठवीं के बाद सबसे ज्यादा विद्यार्थियों ने स्कूल छोड़ा है। इनकी संख्या कुल डाटा में 60 फीसदी के आसपास बताई जा रही है। इसके बाद अन्य कक्षाओं के विद्यार्थी हैं। आंकड़ों में सबसे खास बात भोपाल जिले की है। यहां 46420 विद्यार्थियों ने स्कूल छोड़ा है। बताया जा रहा है कि यह स्थिति जिले के अधिकारियों के ध्यान नहीं देने के कारण बनी है। स्कूल शिक्षा विभाग के जारी रैकिंग कार्ड या परीक्षा परिणाम में भी भोपाल जिला पिछड़ा हुआ है। यह भी खास है कि भोपाल जिले में डीइओ अंजनी कुमार त्रिपाठी के खिलाफ जिला पंचायत दो बार निंदा प्रस्ताव पास कर हटाने के लिए मंत्री को प्रस्ताव भेज चुका है। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई है। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में अध्ययनरत विद्यार्थियों के पास होने के बाद सत्र 2023-24 में प्रवेश हुआ। अगली कक्षा में प्रवेश लेने पर छात्र दूसरे स्कूल या अन्य जिलों में जाता है, तो उसके नामांकन के आधार पर पोर्टल पर उसकी पहचान हो जाती है। लेकिन मप्र में 14 लाख बच्चे ऐसे हैं, जो कि पिछले साल के अध्ययनरत विद्यार्थियों की संख्या से कम हैं। इन बच्चों का किसी को पता नहीं है। यही बच्चे ड्रॉपआउट है। जबकि स्कूल प्राचार्य की जिम्मेदारी होती है कि उनके स्कूल में अध्ययस्त विद्यार्थी पढ़ाई को लिए किस कारण से नहीं आया है।