- सीएम इंफ्रा के काम रुके
- गौरव चौहान
प्रदेश में मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास (सीएम इंफ्रा) योजना के तहत होने वाले विकास कार्य यानी सड़क, शहरी यातायात, नगरों को सुंदर बनाने, सामाजिक अधोसंरचना विकसित करने संबंधी नवीन योजनाओं के काम रूके हुए हैं। इसकी मुख्य वजह है कि वित्त विभाग सीएम इंफ्रा के बजट पर कुंडली मारकर बैठा है। नगरीय विकास विभाग के अफसरों की बार-बार की मांग के बावजूद भी बजट जारी नहीं किया जा रहा है। इस संदर्भ में बीते रोज नगरीय विकास विभाग के आला अफसरों ने मुख्य सचिव वीरा राणा से मुलाकात कर उन्हें अपनी समस्या से अवगत करवाया।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए सरकार के दिशा निर्देश पर वित्त विभाग ने विभागों के खर्च पर पहरा बैठा दिया है। वित्त विभाग का अनुमान है कि लक्ष्य से अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी। इसे देखते हुए विभाग ने दिसंबर में वित्तीय प्रबंधन के लिए विभागों के बिना अनुमति विभिन्न योजनाओं में राशि व्यय करने पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब 31 विभागों की 123 योजनाओं को इससे मुक्त कर दिया गया है। यानी विभाग इन योजनाओं में बजट प्रविधान के अनुसार राशि व्यय कर सकते हैं। हालांकि, 25 करोड़ रुपये से अधिक का कोई भी आहरण बिना अनुमति के नहीं होगा। नगरीय विकास विभाग के आला अफसरों ने मुख्य सचिव वीरा राणा को बताया कि सीएम इंफ्रा फेज 4 और कायाकल्प 2 के लिए बजट में प्रावधान होने के बाद भी इनकी राशि जारी नहीं की गई है। चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि में भी हर वर्ष दस फीसदी की बढ़ोतरी होना चाहिए। यह भी नहीं की जा रही है। इस पर सीएस ने कहा कि नगरीय निकाय ग्रोथ के इंजन हैं। उनका पेमेंट होना चाहिए।
मुख्य सचिव ने दिया आश्वासन
नगरीय विकास विभाग के कामकाज और योजनाओं की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने बताया कि वे इस सिलसिले में वित्त विभाग के अफसरों के साथ अलग से बैठक करेंगी। अफसरों ने उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना, स्मार्ट सिटी मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, अमृत 1 व 2 सहित राज्य की योजनाओं का प्रेजेंटेशन दिया। मौजूदा प्रगति और भविष्य की योजनाओं के बाते में बताया। बैठक में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग संचालनालय में खाली पदों पर भी चर्चा की गई। बताया गया कि ज्यादातर पर भर्ती या नियक्ति करने की आवश्यकता है। जानकारी के मुताबिक सीएम इंफ्रा फेज 4, मुख्यमंत्री नगरीय क्षेत्र अधोसंरचना निर्माण योजना, कायाकल्प और मास्टर प्लान की सडक़ों के लिए कुल 1200 करोड़ रुपए का बजट रखा गया। इसमें सीएम इंफ्रा के लिए 500 करोड़, नगरीय क्षेत्र अधोसंरचना का 200 करोड़, कायाकल्प का 400 करोड़ और मास्टर प्लान रोड का 100 करोड़ शामिल है। बजट में आवंटित राशि में से ज्यादातर वित्त विभाग ने अटका रखी है। यह समस्या विभाग के अफसर कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव व नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के समक्ष भी रख चुके हैं। मुख्यमंत्री और मंत्री ने भी वित्त विभाग के अधिकारियों को योजनाओं की राशि जारी करने के निर्देश दिए थे। वहीं प्रदेश में 413 नगरीय निकायों को चुंगी क्षतिपूर्ति के तौर हर साल 300 करोड़ रुपए दिए जाने का प्रावधान किया जाता है। इस राशि में सालाना दस प्रतिशत बढ़ोतरी का नियम भी है। चुंगी क्षतिपूर्ति में इजाफे की बजाय इसमें से लगातार कटौती की जा रही है। निकायों का बकाया बिजली का बिल चुकाने के लिए वित्त विभाग चुंगी में से राशि काट रहा है और इसे विद्युत कंपनियों के खाते में ट्रांसफर कर रहा है। हर महीने निकायों को मिलने वाली राशि में से 28 से 40 करोड़ रुपए तक की कटौती की जा रही है। इससे अधिकांश निकायों के सामने वेतन-भत्ते बांटने का संकट खड़ा हो गया है।
अब तक नहीं मिला बजट…
गौरतलब है कि सीएम इंफ्रा योजना में सडक़, शहरी यातायात, नगरों को सुंदर बनाने, सामाजिक अधोसंरचना विकसित करने संबंधी नवीन योजनाएं ली जाती हैं। राज्य सरकार योजना की लागत का 30 प्रतिशत अनुदान देगी और 70 प्रतिशत राशि निकायों को ऋण के रूप में उपलब्ध करवाई जाएगी। ऋण राशि और ब्याज की अदायगी 15 से 20 वर्ष की अवधि में शासन और शेष 25 प्रतिशत राशि निकाय द्वारा की जाएगी। सीएम इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट योजना अब चार के बजाय दो साल में पूरी करना होगी। नगरीय प्रशासन ने इसकी अवधि कम कर दी है। इस योजना में पूरे प्रदेश में 500 करोड़ रुपए के काम होना हैं। नगरीय निकायों की सडक़ों , सौदंर्यकरण , ट्रांसपोर्ट आदि में सुधार के लिए सीएम इंफ्रा के तहत काम होता है। कांग्रेस सरकार ने सीएम इंफ्रा के तीसरे चरण के लिए चार साल की अवधि तय की थी। इसे वर्ष 2020-21 में शुरू कर मार्च 2024 में खत्म करना था। अभी तक इसके काम शुरू नहीं हुए हैं। योजना में नगर निगम से लेकर नगर परिषद तक काम होंगे और इसके लिए उनकी जनसंख्या के आधार पर राशि आवंटित होगी। लेकिन सारी कवायद धरी की धरी रह गई है।
खर्च का बैरियर हटा, लेकिन सीएम इंफ्रा को फायदा नहीं
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने 120 योजनाओं के क्रियान्वयन में होने वाले खर्च पर लगी रोक हटा दी है। ये योजनाएं 31 विभागों की हैं, जिनमें अब वित्त विभाग की तय नीति के हिसाब से राशि खर्च की जा सकेगी। लेकिन इसका फायदा सीएम इंफ्रा को नहीं मिला है। चुनाव के पहले सरकार का फोकस अटल ज्योति योजना में 100 यूनिट बिजली 100 रुपए में दिए जाने, गौ शालाओं के संचालन पर खर्च, गांव की बेटी और सरकारी कॉलेजों के भवन के निर्माण पर खर्च होने वाली राशि पर है। इसके साथ प्रदेश की 26 हवाई पट्टियों के विस्तार का काम शुरू हो सकेगा। सरकार के 14 बड़े विभाग इस महीने में 7323 करोड़ रुपए खर्च कर सकेंगे। 31 मार्च तक 30 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाना है। इसमें बड़ी राशि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को 2400 करोड़ रुपए दी गई है। इस राशि से ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल खासतौर पर बंद पड़ीं नल-जल योजनाओं के चालू करने, लोगों के घर पर नलों से पानी दिए जाने पर खर्च होंगे। यानी गर्मी में कहीं भी पेयजल की दिक्कत न हो, जिसका असर चुनाव पर पड़े। उज्जैन में होने वाले व्यापारिक मेले में उद्योगों को प्रोत्साहन देने और इस आयोजन पर 92 करोड़ रुपए खर्च होंगे। प्रदेश में सडक़ों की मरम्मत और नए निर्माण पर 2055 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें से 1200 करोड़ रुपए इसी महीने में खर्च किए जाने हैं। 52 जिलों में भोपाल में बरखेड़ी देव मंदिर परिक्रमा पथ (11 किमी) पर 11 करोड़ रुपए, तरावली मंदिर मां हरसिद्धी पथ निर्माण (2 किमी) पर 2 करोड़ रुपए, रोढिया जाफराबाद सडक़ (4 किमी) पर 4 करोड़ रुपए और बम्होरी दमीला जोड़ मार्ग पर 6 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अंतर्गत प्रदेश के 412 नगरीय निकायों के लिए 878 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस राशि से अधोसंरचना विकास के चल रहे काम निकायों में बनने वाली सडक़ों का निर्माण काम शुरू हो सकेगा। इसके साथ ही नगरपालिकाओं में पेयजल योजनाओं के कामों के लिए दिए गए हैं।