‘अमानक’ में फंसा किसानों का 115 करोड़

अमानक
  • नान द्वारा खरीदे गए 4.80 लाख क्विंटल गेहूं को डब्ल्यूएलसी ने बताया अमानक

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच मप्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विपणन वर्ष 2024-25 के लिए गेहूं की खरीदी तेजी से चल रही है। इस वर्ष लगभग 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। 15 अप्रैल तक लगभग 21 लाख 66 हजार टन से अधिक गेहूं की खरीदी की जा चुकी है। इसके एवज में 2 लाख 63 हजार से अधिक किसानों को लगभग 3355 करोड़ रुपए का भुगतान हो गया है। वहीं सहकारी समितियों के जरिए किसानों से खरीदे गए 4.80 लाख क्विंटल गेहूं की क्वालिटी खराब बताकर वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन ने हजारों किसानों की कमाई पर पानी फेर दिया है। अमानक गेहूं के चक्कर में किसानों के 115 करोड़ रुपए फंस गए हैं।
गौरतलब है कि गेहूं खरीदी के लिए नोडल विभाग खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम है, जिसने प्रदेश में लगभग 3642 खरीदी केंद्र बनाए हैं। ज्ञातव्य है प्रदेश में बेमौसम बरसात तथा ओलावृष्टि के कारण कुछ क्षेत्रों में गेहूं फसल प्रभावित हुई है, दाना भी चमकविहीन हो गया है। सरकार के मौखिक निर्देश पर नागरिक आपूर्ति निगम (नान)ने किसानों से हर तरह के गेहूं को खरीदना शुरू कर दिया है। लेकिन नान के गेहूं को डब्ल्यूएलसी (वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन) ने फेल कर दिया है।
4.80 लाख क्विंटल गेहूं फेल
प्रदेश में सहकारी समितियों के जरिए किसानों से खरीदे गए 4.80 लाख क्विंटल गेहूं की क्वालिटी पर दो संस्थानों में फंसे पेंच ने हजारों किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। डब्ल्यूएलसी का दावा है कि उक्त गेहूं गुणवत्ता के निर्धारित मापदंड पर खरा नहीं है। यदि इसे लिया गया तो भविष्य में एफसीआई इसे फेल कर सकता है या फिर राशन की दुकानों से होते हुए गरीबों की थाली तक पहुंचा तो आफत आ सकती है। कहा जा रहा है कि किसानों ने खराब गेहूं नहीं बेचा है, बल्कि समितियों में खराब हुआ है। दरअसल समितियों के पास संसाधन कम थे। बारिश से गेहूं गीला हो गया। गीले गेहूं को सुखाने बड़े और कवर्ड मैदान की जरूरत थी। बार-बार मौसम खराब हो रहा था, इसलिए समितियों ने पीछा छुड़ाते हुए उसका परिवहन करा दिया।
फिर से होगी ग्रेडिंग
वहीं किसान संगठनों ने गड़बड़ी के आरोप लगाए। उनका कहना है कि किसानों ने यदि खराब गेहूं दिया होता तो सहकारी समितियां उसे पहले ही लौटा देतीं। किसानों ने जो गेहूं बेचा है, उसे गोदामों में जमा नहीं किया जा रहा है। समर्थन मूल्य के हिसाब से इसकी कीमत 119 करोड़ 20 लाख रुपए करीब है। डब्ल्यूएलसी भोपाल से रिटायर्ड मैनेजर अनिल बाजपेयी के मुताबिक समितियां अब इसकी स्वयं के खर्च पर ग्रेडिंग कराते हुए उसे दोबारा भेजेंगी। यदि फिर भी वह एफएक्यू (फेयर एवरेज क्वालिटी) मापदंड में उचित नहीं पाया जाता, किसानों को लौटाया जाएगा। इस तरह जब तक उक्त गेहूं का निराकरण नहीं हो जाता, किसानों को भुगतान भी नहीं होगा। प्रदेश में 20 मार्च से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी शुरू हुई है। अब तक 2 लाख 85 हजार किसान 23 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेच चुके हैं। केंद्रों में समितियों द्वारा गेहूं की गुणवत्ता जांच की जाती है। समितियों ने जिस गेहूं का अच्छा बताकर खरीदा उसे डब्ल्यूएलसी ने घटिया बताकर गोदामों में लेने से ही मना कर दिया। किसान नेता सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि खरीदी केंद्रों में संसाधनों की कमी थी। विभागों की लापरवाही का खमियाजा किसान बिल्कुल नहीं भुगतेंगे। गेहूं लौटाया गया तो किसान आंदोलन होगा। आयुक्त खाद्य नागरिक आपूर्ति रवींद्र सिंह का कहना है कि रिजेक्टेड गेहूं वापस किए जा रहे हैं। इसकी ग्रेडिंग समितियों से कराएंगे। किसानों का नुकसान न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा।  जानकारी के अनुसार, उज्जैन में 5203 मीट्रिक टन, शाजापुर में 8572 मीट्रिक टन,  टन, देवास में 3150 मीट्रिक टन, इंदौर में 1923 मीट्रिक टन, विदिशा में 2587 मीट्रिक टन, भोपाल में 3440 मीट्रिक टन, सीहोर में 9002 मीट्रिक टन, रायसेन में 6480 मीट्रिक टन, राजगढ़ में 1153 मीट्रिक टन, नर्मदापुरम में 1462 मीट्रिक टन और सागर में 3260 मीट्रिक टन गेहूं रिजेक्ट किया गया है।
24 हजार करोड़ का गेहूं खरीदेगी सरकार
मप्र में दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक वर्ष 2023-24 में लगभग 329 लाख टन से अधिक गेहूं उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है। इसमें से विपणन वर्ष 2024-25 में लगभग 100 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य केन्द्र सरकार ने मप्र को दिया है। जबकि देश में कुल 320 लाख टन गेहूं की खरीदी एमएसपी पर की जाएगी। प्रदेश में 15 लाख से अधिक किसानों ने गेहूं विक्रय के लिए पंजीयन कराया है।

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