- एमएसपी की राशि के लिए भी करना पड़ रहा है इंतजार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार द्वारा गेहूं की खरीदी का काम तेजी से किया जा रहा है। यह खरीदी प्रदेश में बीते माह की 20 तारीख से शुरू कर दी गई थी। मप्र अभी देश में गेहूं की खरीदी के मामले में पहले स्थान पर बना हुआ है। प्रदेश में तेजी से हो रही खरीदी के बाद भी किसानों को भुगतान के लिए भटकना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी प्रदेश में किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिल पा रहा है जिसकी वजह से वे भुगतान पाने के लिए भटकने को मजबूर हैं। दरअसल यादव ने हर हाल में तीन दिनों अंदर राशि का भुगतान करने को कहा है। इसके बाद भी कई -कई दिनों तक भुगतान नहीं हो रहा है। उधर, जिन किसानों को भुगतान हो चुका है उन्हें अब तक बोनस की राशि नहीं मिली है। प्रदेश में भुगतान को लेकर हालात यह हैं कि अभी तक महज 15 फीसदी किसानों को उनके द्वारा बेची गई उपज का भुगतान हो सका है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भोपाल, इंदौर, उज्जैन सहित प्रदेश के 33 जिलों में अब तक 9.65 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं खरीदी हुई है। जानकारी के अनुसार किसानों से खरीदी गई उपज का 2,309 करोड़ रुपए का भुगतान होना है, लेकिन अभी तक सिर्फ 355 करोड़ रुपए ही (करीब 15 प्रतिशत) किसानों के खाते में पहुंच पाए हैं। इनमें भी कई किसानों को राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले बोनस का भुगतान नहीं हुआ है। जबकि शेष 22 जिलों में अभी तक गेहूं की खरीदी शुरू ही नहीं हुई है, जबकि सरकार ने इन जिलों में खरीदी केंद्र चालू कर दिए हैं।
समर्थन मूल्य के साथ बोनस भी
सरकार ने समर्थन मूल्य के साथ बोनस देना भी शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि सरकार ने 25 मार्च तक जिन किसानों को गेहूं खरीदी और भुगतान की पर्ची दी थी, उनमें बोनस का उल्लेख नहीं था। 28 मार्च से जारी पर्चियों में 125 रुपए बोनस भी उल्लेख किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि बोनस की राशि का पहले से इंतजाम ही नहीं किया गया है, जिसकी वजह से इसका भुगतान नहीं हो पा रहा है। दरअसल बोनस पर करीब 15 सौ करोड़ का खर्च अनुमानित है। अब बोनस के भुगतान के लिए सरकार एक निगम मंडल से राशि लेकर भुगतान करने की तैयारी कर रही है। इसकी वजह है सरकार लोकसभा चुनाव को देखते हुए किसानों को नाराज नहीं करना चाहती है। सूत्रों का कहना हैै कि बोनस की राशि का भार अब वेयर हाउसिंग वोर्ड पर डालने की तैयारी की जा रही है।
सरकार ने दिए थे ये निर्देश
केंद्र सरकार ने व्यवस्था की है कि जैसे ही खरीदी केंद्रों पर गेहूं की तुलाई के बाद बारदाने की सिलाई हो जाए, वैसे ही किसानों को भुगतान कर दिया जाए। बावजूद खाद्य विभाग किसानों को समय पर भुगतान नहीं कर पा रहा है। पहले गेहूं गोदाम में पहुंचने और उसकी गुणवत्ता की जांच के बाद क्लीयरेंस मिलने पर ही भुगतान किया जाता था। गुणवत्ता में कही समस्या आती थी, तो भुगतान रोक दिया जाता था।
यह तय हैं भाव
रबी विपणन वर्ष 2024-25 को लेकर प्रति क्विंटल भाव 2275 रुपए तय किया गया था, पर किसानों की लगातार मांग को देखते हुए सरकार ने 125 रुपए बोनस देने का प्रावधान इस मर्तबा किया है। अब किसान को प्रति क्विंटल के हिसाब से 2400 रुपए का भुगतान किया जा रहा है, किंतु अभी किसान को सिर्फ 2275 रुपए ही मिल पा रहे हैंं। इसकी वजह है शेष बोनस वाली राशि का भुगतान अलग से करने का प्रावधान किया जाना।
कम हुए पंजीयन
इस बार मप्र में गेहूं पर 125 रुपए बोनस बढ़ने के बाद भी एमएसपी 2400 रु. क्विंटल ही पहुंची है, जो मंडियों के बराबर का भाव है। भोपाल मंडी में 2200 से 2800 तो इंदौर मंडी में 2250 से 2900 तक औसत मूल्य मिल रहे हैं। ऐसे में सरकार के लिए लक्ष्य प्राप्त करना टेढ़ी खीर साबित होगा। इसी बीच, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने गेहूं खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन की तिथि 4 बार बढ़ाई है। इसके बाद भी पंजीयन को लेकर किसानों में बीते सालों की तरह उत्साह नहीं दिखा है। पिछले साल 15.30 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन किया था, लेकिन इस बार संख्या 15.10 लाख तक ही पहुंचीं है।