जाति के दम पर बसपा हुई बेदम

बसपा
  • मप्र में बड़े-बड़ों को हराने वाली पार्टी के पास नेताओं का टोटा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद मप्र में सियासी हलचल तेज है। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां सियासी दम भर रही हैं। वहीं, विंध्य क्षेत्र में दोनों पार्टियों को एक चुनौती का फिर से सामना करना पड़ सकता है। वह चुनौती है बसपा। हालांकि बसपा के पास वर्तमान समय में नेताओं का टोटा है। इसलिए पार्टी केवल भाजपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ने की स्थिति में ही है। यानी बसपा चुनाव तो नहीं जीत सकती, लेकिन वोट जरूर काटेगी। गौरतलब है की बसपा ने मप्र की राजनीति में कई बार अपना दम दिखाया है। लेकिन जाति आधारित राजनीति के कारण बसपा प्रदेश में बेदम हो गई है। इसलिए यह प्रदेश में केवल वोट कटवा पार्टी बनकर रह गई है। उल्लेखनीय है कि विंध्य क्षेत्र में चार लोकसभा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी का अपना वोट बैंक है। इस पर भाजपा और कांग्रेस सेंध लगाने का प्रयास करती रहीं हैं, इसके बाद भी यहां की दो लोकसभा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनावों में अब तक चार बार जीत चुकी है। विधानसभा चुनाव में मिले मतों से उत्साहित बसपा लोकसभा चुनाव पूरी दमदारी के साथ लडऩे के मूड में नजर आ रही है। वैसे भी विंध्य की चार लोकसभा सीटों में से सतना एक और रीवा तीन बार बसपा जीत चुकी है, लिहाजा इस बार भी बसपा अपने पुराने इतिहास को दोहराने और सबको चौंकाने के मूड में है।
जमीनी नेताओं का टोटा
प्रदेश को चार सांसद व 38 विधायक देने वाली बसपा मप्र में फिर से जमीन तैयार करने में जुटी है। यही वजह है कि पार्टी 29 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। सात सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। 40 स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर चुकी है।  इसके बावजूद पार्टी मैदान में कम दिखाई दे रही है। वजह है पार्टी के पास जमीनी नेताओं का टोटा होना है। एक समय था जब पार्टी विंध्य समेत दूसरे हिस्सों में काफी मजबूत थी। चुनावी तैयारियों में भी बसपा कांग्रेस के मुकाबले आगे निकलती दिख रही है। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है, जबकि लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को खजुराहो सीट सपा को देनी पड़ी है। इस वजह से खजुराहो के जमीनी नेताओं के विरोध का पार्टी को अंदरूनी तौर पर सामना करना पड़ रहा है। बसपा स्टार प्रचारकों की सूची जारी करने में बाजी मार चुकी है, लेकिन कांग्रेस है कि संगठन ही खड़ा नहीं कर पा रही है। इन तैयारियों के बावजूद बसपा के पास जमीनी नेताओं की कमी दिख रही है। इस कारण पार्टी मैदान में कुछ खास करती नजर नहीं आ रही। बीएसपी के कार्यालय मंत्री सीएन गौतम का कहना है कि दूसरी पार्टियों की तरह बसपा ने किसी दूसरे दलों से समझौता नहीं किया। जनता से संवाद का क्रम जारी है। दिखावे के बजाय पार्टी जमीनी मुद्दों पर काम कर रही है। नेताओं की कमी जैसा कोई विषय है ही नहीं।

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