गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र संघ और भाजपा की प्रयोग भूमि के रूप में स्थापित हो चुका है। खासकर मध्यभारत प्रांत तो भाजपा का ऐसा गढ़ बन गया कि पार्टी यहां जिस पर भी हाथ रख देती है, वह फर्श से उठकर अर्श पर पहुंच जाता है। मध्यभारत प्रांत में आने वाले विधानसभा और लोकसभा सीटों पर भाजपा का दबदबा रहता है। इसका असर यह देखा गया है कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव में जिस पर भी दांव लगाया है वह जीत गया है।
मध्य भारत प्रांत में अच्छी पकड़ के चलते वर्तमान लोकसभा चुनावों में भी भाजपा को प्रयोग करने की ताकत मिली है, जिसका उपयोग भी वह कर रही है। यहां की 7 सीटों में से 6 पर अभी कांग्रेस नाम तक तय नहीं कर सकी है, वहीं भाजपा ने जो चेहरे उतारे हैं, उनमें से कई को सीधे बड़ा मौका मिला है। मध्यभारत प्रांत भाजपा के गढ़ के रूप में स्थापित हो चुका है। इसकी बानगी स्थानीय निकाय चुनावों से लेकर विधानसभा तक में नजर आती है लेकिन सबसे गहराई से प्रभाव लोकसभा चुनावों में नजर आता है। इस पट्टी के छह से सात संसदीय क्षेत्र भाजपा के कब्जे में हैं। अधिकतर सीटों से भाजपा लगातार जीतती आ रही है।
जिनको मिला भाजपा का टिकट वे चमक उठे
दरअसल, भाजपा ने मध्यभारत प्रांत क्षेत्र में आने वाले लोकसभा क्षेत्रों में जिन पर भी दांव लगाया है वे जीतकर चमक उठे हैं। इस बार नर्मदापुरम से उतारे गए दर्शन सिंह चौधरी की पहचान किसानों के लिए आंदोलन करने वाले कार्यकर्ता से लेकर शिक्षक आंदोलन करने वाले कर्मचारी नेता की है। भाजपा ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है और वे प्रचार में भी जुट गए हैं। इसी तरह राजनीति के साथ-साथ भौगोलिक रूप से बड़ी सागर सीट से महिला आयोग की पूर्व सदस्य लता वानखेड़े को आगे बढ़ाया है। संगठन की ताकत के साथ वे भी प्रचार में जुट गई हैं। सागर से 2019 में भाजपा से सांसद चुने गए राजबहादुर सिंह लोकसभा चुनावों के पूर्व पूरे संसदीय क्षेत्र में कोई बड़ा नाम नहीं थे। वे सागर शहर की स्थानीय राजनीति करते थे। शहर के वृंदावन और गोपालगंज वार्ड से तीन बार के पार्षद सिंह को पार्टी ने टिकट दिया और पूरी पार्टी उनके पीछे खड़ी हो गई। पार्टी के कार्यकर्ता स्थानीय नेता से 100 किमी से लंबे क्षेत्र में प्रचार की जिम्मेदारी संगठन ने उठाई। सिंह ने जमकर मेहनत की और नतीजा यह रहा कि कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी पूर्व राज्यमंत्री प्रभु सिंह को रिकार्ड तीन लाख मतों से पराजित किया। सिंह बताते हैं, यह मेरी नहीं पार्टी की जीत थी, पार्टी किसी को भी ऊंचाईयों पर पहुंचा सकती है। 2019 के पहले ठाकुर प्रज्ञा सिंह की पहचान एक राजनीतिज्ञ के रूप में नहीं थी। ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय थीं। मालेगांव बम धमाकों में नाम आने के चलते उनका नाम चर्चा में आया। इस बीच 2019 में कांग्रेस से दिग्विजय सिंह ने भोपाल से ताल ठोकी तो भाजपा ने उनकी काट के रूप में अचानक साध्वी प्रज्ञा सिंह का नाम बढ़ाया। एक खांटी राजनेता और राजधानी से लेकर आसपास जमीनी पकड़ रखने वाले नेता के सामने एक बारगी युवा नाम चौंकाने वाला लगा, लेकिन भाजपा ने उन्हें कथित भगवा आतंकवाद के नाम पर सरकार की प्रताडऩा का शिकार बताकर आगे बढ़ाया। जाने-पहचाने नेता के सामने युवा चेहरे ने कमाल कर दिया और उन्होंने दिग्विजय सिंह जैसे कद्दावर नेता को साढ़े तीन लाख मतों से मात देने का करिश्मा कर दिखाया। इसी तरह बैतूल – हरदा लोकसभा सीट पर भी भाजपा ने 2019 में चौंकाने वाले नाम को आगे बढ़ाया। दुर्गादास उइके शासकीय स्कूल में शिक्षक थे। इसके अतिरिक्त गायत्री परिवार से जुड़े उइके की पहचान धर्म- संस्कृति के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता की थी। भाजपा ने स्वच्छ छवि के नेता को आगे बढ़ाया तो उन्होंने साढ़े तीन लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल कर संसद में पहुंचने का सफर आसानी से तय कर लिया।
19/03/2024
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