- गौरव चौहान
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के पहले प्रदेश सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के तबादला आदेश जारी करने की तैयारी कर चुकी है। इसमें कई जिलों कलेक्टरों सहित कई अन्य आईएएस अफसरों के नाम शामिल हैं। इनमें चार संभागायुक्त सहित एक दर्जन करीब विभागाध्यक्षों नाम बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही उन अफसरों का भार कम किया जाएगा , जिनके पास अपने विभागों के अलावा दूसरे विभागों का प्रभार भी है। ऐसे अफसरों की संख्या करीब आधा दर्जन बताई जा रही है। तबादला सूची एक साथ या फिर अलग-अलग भी जारी की जा सकती है। जिन अफसरों की नए सिरे से पदस्थापना की जानी , उसको लेकर चर्चा पूरी हो चुकी है। 29 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा प्रदेश में एक साथ कई विकास कामों का शिलान्यास एवं लोकार्पण समेत अन्य सरकारी प्रमुखता वाले कार्यक्रमों का आयोजन है, जिसकी वजह से यह सूची जारी नहीं की जा रही है। इस कार्यक्रम के अगले दिन यानि की 1 मार्च को जारी होने की पूरी संभावना है। प्रदेश सरकार ढाई महीने में आईएएस अधिकारियों के 30 से ज्यादा अलग-अलग आदेश जारी कर चुकी है। जिसमें करीब 180 अधिकारी प्रभावित हुए हैं। अहम बात यह है कि यह सभी आदेश छोटी -छोटी सूचियों में जारी किए गए हैं। इनमें से कई की पदस्थापना आदेश में तो एक -एक ही नाम थे। प्रदेश में अब भी आईएएस की नए सिरे से पदस्थापनाएं की जानी हैं। जिसमें कलेक्टर, संभागायुक्त एवं विभागाध्यक्ष तक के नाम हैं। जिन जिलों में कलेक्टर पदस्थ होना है, उनमें श्योपुर जिला भी शामिल हैं। क्योंकि श्योपुर में एक हफ्ते से प्रभारी कलेक्टर के भरोसे काम चलाया जा रहा है। गुना और हरदा कलेक्टर हादसों की वजह से बदले गए हैं। जबकि शेष कलेक्टर पूर्व में तैयार की गई सूची में से ही हटाए गए हैं। चुनाव से पहले सरकार कलेक्टरों के थोकबंद तबादला करने के मूड में नहीं है, लेकिन अलग-अलग कारणों से दर्जनभर जिलों के कलेक्टरों को बदला जाना है। कुछ जिलों के लिए राजनीतिक कारण भी सामने आए हैं।
प्रभार से मुक्त होंगे कई अफसर
फरवरी की शुरूआत में मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर सचिव अविनाश लवानिया, चंद्रशेखर बालिंबे, उप सचिव अदिति गर्ग, अंशुल गुप्ता को पदस्थ किया गया था। इन अधिकारियों के पास पिछली पदस्थापना वाले दायित्वों का भी अतिरिक्त प्रभार है। अगली सूची में मुख्यमंत्री कार्यालय के सभी अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर दिया जाएगा। हालांकि मुख्यमंत्री के सचिव भरत यादव के पास आयुक्त नगरीय प्रशासन विभाग का अतिरिक्त प्रभार बना रहेगा। मुख्यमंत्री कार्यालय से उप सचिव सुधीर कोचर को अन्य जगह पदस्थ किया जा सकता है। माना जा रहा है कि उन्हें कलेक्टर बनाकर मैदानी स्तर पर पदस्थ किया जा सकता है।
युवाओं को मौका
नई सरकार में अब तक जो तबादले किए गए हैं, उनकी वजह है चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश का पालन करना या फिर अफसरों की लापरवाही मिलना। प्रदेश में सबसे अधिक आईएएस अधिकारियों के तबादले किए गए है। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने वर्षों से शासन के बड़े पदों पर बैठे अफसरों को दरकिनार कर युवा अफसरों को बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है।
अब तक महज एक दर्जन ही बदले
नई सरकार बनने के बाद अधिकांश तबादले मंत्रालय या विभागाध्यक्ष स्तर पर हुए हैं। जिलों में सिर्फ 12 कलेक्टर बदले गए हैं। हालांकि यह प्रशासनिक जमावट तंत्र में कसावट लाने की मंशा से की गई है। जिसमें लंबे समय से लूप लाइन में पड़े अधिकारियों को नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिन जिलों के कलेक्टर बदले जा चुके हैं , उनमें गुना, होशंगाबाद, उज्जैन, बैतूल, शाजापुर, नरसिंहपुर, जबलपुर, इंदौर, भोपाल, हरदा, छिंदवाड़ा और श्योपुर जिले हैं। अभी तक सरकार ने ग्वालियर-चंबल संभाग में सिर्फ गुना कलेक्टर को हादसे की वजह से बदला है। श्योपुर कलेक्टर को भी पिछले हफ्ते हटाया जा चुका है। इस संभाग के अभी दो और जिलों के कलेक्टरों की संभावना जताई जा रही है। इसी तरह से सागर, जबलपुर , इंदौर और रीवा संभाग के तहत आने वाले कुछ जिलों के कलेक्टरों के नाम नई सूची में बताए जा रहे हैं।