- एक करोड़ 85 लाख से ज्यादा वसूलने के बजाय छोड़ दिए गए
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के नगरीय निकाय आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। आलम यह है की पैसे की कमी के कारण कई निकायों में वेतन के लाले पड़े हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ निकायों की मोबाइल कंपनियों पर इस कदर मेहरबानी बरस रही है कि वे उनसे एक करोड़ 85 लाख से ज्यादा राशि वसूल नहीं पा रही हैं। पाई-पाई के लिए मोहताज निकाय मोबाइल कंपनियों पर यह मेहरबानी किसी की समझ में नहीं आ रही है। सबसे अधिक बकाया नगर निगम रीवा ने 11,34,000, नगर निगम खंडवा ने 1,73,800, नगर परिषद डबरा ने 4,96,883, नगर परिषद शहडोल ने 24,50,000 और नगर परिषद मंदसौर ने 2,30,000 नहीं वसूला है। गौरतलब है कि पैसे की तंजी से गुजर रहे नगरीय निकाय जनता से टैक्स वसूलने के लिए कठोर कदम उठा रहे हैं। लोगों की संपत्तियां तक जब्त की जा रही हैं, वहीं मोबाइल कंपनियों पर जमकर मेहरबानी दिखाई जा रही है। मेहरबानी भी ऐसी कि पांच सालों में इन कंपनियों से एक करोड़ 85 लाख से ज्यादा वसूलने के बजाय छोड़ दिए गए। निकायों ने न तो कंपनियों से टावर लगाने के लिए शुल्क लिया और न ही उनके नवीनीकरण के लिए। इस बात का खुलासा संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। निकायों में मोबाइल फोन सेवा का संचालन करने टॉवर लगाने के लिए कंपनियों से शुल्क लगाने का प्रावधान वर्ष 2012 से किया गया था। इनका हर पांच साल में नवीनीकरण किया जाना अनिवार्य था। निकायों ने मोबाइल कंपनियों से सांठ-गांठ कर न तो मोबाइल टावर लगाने के लिए शुल्क लिया और ही रिन्यूअल की राशि।
1 करोड़ 85 लाख से अधिक का नुकसान
16 निकायों में टावर अनुज्ञा शुल्क की वसूली नहीं होने से सरकार को वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक एक करोड़ 85 लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। आयुक्त नगर निगम रीवा संस्कृति जैन का कहना है कि मोबाइल टावर शुल्क वसूली कितनी हुई, कितनी नहीं हुई, इस मामले को संबंधित फाइल देखने पर ही कुछ कहा जा सकता है। वैसे वसूली एक सतत प्रक्रिया है। वैसे भी ये अब जिला प्रशासन को दे दिए गए हैं। वहीं नगर पालिका शहडोल के सीएमओ अक्षत बुंदेला का कहना है कि शुल्क वसूली के कार्यक्रम समय समय पर चलाए जाते हैं। मोबाइल टावरों सहित अन्य बकाया वसूली अभियान हर तीन माह में चलाया जाता है। अगर वसूली नहीं हुई होगी तो कुछ समय बाद हो जाएगी। जानकारी के अनुसार मोबाइल टावर के लिए निकायों द्वारा अलग-अलग राशि वसूला जाता है। ननि (महानगर)में अनुज्ञा शुल्क 1 लाख और नवीनीकरण शुल्क 20 हजार, नगर निगम में अनुज्ञा शुल्क 75 हजार और नवीनीकरण शुल्क 10 हजार, नगरपालिका में अनुज्ञा शुल्क 50 हजार और नवीनीकरण शुल्क 10 हजार, नगर परिषद में अनुज्ञा शुल्क 25 हजार और नवीनीकरण शुल्क 5 हजार है।