- बाघों की सुरक्षा को ताक पर रखकर निजी हाथों को सौंप दिया था संचालन
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वन अफसरों ने मनमाने तरीके से पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में जंगल कॉटेज बनाकर उसे निजी हाथों में संचालन के लिए सौंप दिया। उनकी यह मनमानी अब उन पर भारी पड़ रही है। इस तरह का पर्यटन स्थल बनाकर उसे निजी हाथों में सौंपे जाने से बाघों पर खतरा मंडराने लगा था। अब इस मामले में केन्द्र सरकार ने संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दरअसल इस मामले की शिकायत केन्द्र सरकार से की गई थी। केन्द्र से शिकायत की जानकारी मिलने के बाद यहां पर्यटकों के लिए बनाए गए कॉटेज का संचालन बंद कर दिया गया है। इस शिकायत के बाद केन्द्र सरकार ने इन कॉटेज बनाने वाले वन अफसरों पर कार्रवाई करने को कहा है। इसके बाद अब मप्र ईको पर्यटन बोर्ड की मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. समिता राजौरा ने पन्ना कलेक्टर को पत्र लिखकर मामले में कार्रवाई के साथ जंगल कॉटेज वाली जमीन का संयुक्त सीमांकन करने के निर्देश दिए हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया के हिनौता क्षेत्र में सालों से ईको विकास समिति द्वारा जंगल कॉटेज का संचालन किया जा रहा था। जिसमें स्थानीय जनजाति के लोग शामिल थे। 2020 में पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने कोर एरिया क्षेत्र में ढाई करोड़ रुपए की लागत से पक्का निर्माण कराया और फिर इसके संचालन का जिम्मा ईको विकास समिति से छीनकर स्थानीय ठेकेदार को सौंप दिया था। बाद में जंगल कॉटेज में स्विमिंग पुल बनाने की भी तैयारी थी। इस बीच कोर एरिया में किए गए पक्के निर्माण की शिकायत केन्द्र सरकार के पास पहुंच गई। शिकायत पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस मामले में मप्र वन विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए।
इन अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
पन्ना टाइगर रिजर्व के उप संचालक रिपुसूदन सिंह भदौरिया, क्षेत्र संचालक बृजेश झा के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। जबकि अवैध रूप से बनाए गए जंगल कॉटेज को निविदा जारी करके निजी कंपनी को देने के मामले में तत्कालीन संचालक उत्तम शर्मा भी उलझ सकते हैं। शर्मा फिलहाल कूनो चीता प्रोजेक्ट के संचालक हैं।
तत्कालीन संचालक को पड़ सकता है भारी
केन्द्र सरकार को भेजी शिकायत में कहा गया था कि पन्ना टाइगर रिजर्व ने गलत तरीके से लाखों रुपए खर्च कर निर्माण कराकर पर्यटन स्थल विकसित कर कॉटेज बनाए गए हैं। 2022 में तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर उत्तम शर्मा ने निविदा जारी कर निजी फर्म मेसर्स जंगल टूर एंड ट्रैवल खजुराहो, छतरपुर को संचालन के लिए दे दिया, जो गंभीर प्रकृति का भ्रष्टाचार है। दुबे ने आरोप लगाते हुए कहा कि एनएमडीसी की जमीन पर पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा अवैध कॉटेज को बनाकर निजी फर्म को पर्यटन के लिए सौंपना भ्रष्टाचार का मामला है। यह गैर कानूनी कार्य बाघों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के सहायक वन महानिरीक्षक हेमंत सिंह ने पीसीसीएफ एमपी को लिखे पत्र में कहा था कि शिकायत में काफी तथ्य हैं, इसलिए कार्रवाई करने के साथ ही प्राधिकरण को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजें।
राजस्व विभाग बता रहा अपनी भूमि
पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में पक्का निर्माण का टेंडर हुआ। इसके बाद निजी फर्म मेसर्स जंगल टूर एंड ट्रैवल खजुराहो, छतरपुर को संचालन का जिम्मा दे दिया गया। केंद्र सरकार को भेजी शिकायत में बताया गया कि जिस जमीन पर जंगल कॉटेज बनाया गया, उस पर राजस्व विभाग का दावा है। साथ ही जमीन हीरा खदान के लिए एनएमडीजी को आवंटित की गई थी। ईको पर्यटन बोर्ड की सीईओ का कहना है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता अंतर्गत आरक्षित कक्ष क्र. 535 के सीमाओं को लेकर टाइगर रिजर्व प्रबंधन, एनएमडीसी, वन विभाग व राजस्व विभाग में मतभेद हैं। फिलहाल टाइगर प्रबंधन ने कॉटेज का संचालन तो बंद कर दिया, लेकिन अब कॉटेज किसकी भूमि पर बना है, यह तय करने के लिए कलेक्टर संयुक्त सीमांकन कराएंगे। हालांकि विवादित भूमि पर वन विभाग द्वारा दरवाजा, जंगल कॉटेज कैम्पस, कैफेटेरिया बनाकर कब्जा किया गया है।