भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में खाद्यान्न वितरण की स्थिति नहीं सुधर रही है। इसकी वजह से कई जिलों में तो गरीबों ने अब राशन दुकानों तक पर जाना बंद कर दिया है, जिसकी वजह से अब उसके वितरण की व्यवस्था पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं।
दरअसल इसकी वजह है राशन दुकानों संचालकों की मनमानी। वे अपनी मर्जी से वितरण करते हैं और अपनी मर्जी से वितरण बंद कर देते हैं। हालत यह है कि कई दुकानें तो समय पर खुलती ही नहीं हैं। ऐसे में पात्र हितग्राही चक्कर काटते रहते हैं। जिसकी वजह से उनका समय बर्बाद होता है। इससे परेशान होकर वे राशन लेने ही नहीं जाते हैं। यही वजह है कि राशन वितरण का आंकड़ा बढ़ ही नहीं पा रहा है। दरअसल इसकी बड़ी वजह है सरकारी अमले द्वारा इन दुकानों की सही तरीके से निगरानी नहीं की जाना। इसका खुलासा खुद राशन वितरण की जारी रैंकिंग रिपोर्ट से हो रहा है। हाल ही में जारी की गई जानकारी में बताया गया है कि इस मामले में सबसे अधिक हालत आदिवासी बाहुल जिलों की खराब है। इस मामले में इंदौर संभाग का अलीराजपुर जिला सबसे फिसड्डी पाया गया है। इसके उलट प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर इस मामले में सबसे आगे हैं। इस जिले में 99 प्रतिशत राशन का वितरण होना पाया गया है। इसके उलट अलीराजपुर में सबसे खराब स्थिति पाई गई है। इसी तरह से रीवा संभाग में सिर्फ सीधी की स्थिति ठीक है। वहां पर 91 प्रतिशत परिवारों तक राशन पहुंचा है।
इस तरह के हालात है जिलों में
प्रदेश में सर्वाधिक फिसड्डी जिलों की बात करें तो अलीराजपुर में 78, कटनी में 79, डिंडोरी में 79 सतना में 80 और शिवपुरी में महज 82 प्रतिशत लोगों को ही खद्यान्न मिल रहा है, जबकि अगर शीर्ष पांच जिलों की बात की जाए तो इस मामले में सर्वाधिक 99 प्रतिशत लोगों को इंदौर में राशन मिल रहा है। इंदौर में कुल कार्डधारी 361503 लोग हैं । उनमें से 358495 लोगों को राशन मिल रहा है जो 99 प्रतिशत होता है। इसी तरह से भोपाल में 336179 लोगों में से 324715 लोगों को राशन मिल रहा है, जो इंदौर के बाद दूसरे स्थान पर है। यह 97 प्रतिशत है। इसी तरह से मंडला में 94, शहडोल में 93 और बैतूल में 92 प्रतिशत लोगों को राशन मिल रहा है। इसकी वजह से इन जिलों का पहले पांच स्थानों में नाम शामिल है।
13/02/2024
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