पन्ना में धीरे-धीरे सिमट रहा हीरों का तिलस्मी संसार

हीरों
  • खदानें बंद होने से हीरों के उत्पादन ग्राफ और रायल्टी में कमी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सदियों से देश और दुनिया में बेशकीमती हीरों के लिए प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में अब धीरे-धीरे हीरों का तिलस्मी संसार सिमट रहा है। कुछ दशकों पूर्व तक पन्ना शहर के आसपास जिन इलाकों में सैकड़ों की संख्या में उथली हीरा खदानें चला करती थीं और हजारों लोग हीरों की तलाश करते थे। अब उन इलाकों में सन्नाटा पसरा रहता है। हीरा खदानों में काम करने वाले मजदूर काम की तलाश में महानगरों की तरफ रुख करने लगे हैं। वन क्षेत्र में चलने वाली हीरा खदानें वैधानिक रूप से बंद कर दी गई हैं।
इस वजह से सिमट रहा हीरों का तिलस्मी संसार
उल्लेखनीय है कि पूर्व में अधिकांश हीरा खदानें वन क्षेत्र में संचालित होती थीं। वन संरक्षण अधिनियम लागू होने के बाद से हीरों की उपलब्धता वाली शासकीय राजस्व भूमि बहुत कम है, इन हालातों में अब ज्यादातर हीरा खदानें निजी पट्टे की भूमि में ही संचालित हो रही हैं। वन क्षेत्र में चोरी छिपे जो खदानें चलती हैं, वहां से प्राप्त होने वाले हीरों को हीरा कार्यालय में जमा नहीं किया जाता। जाहिर है कि इन हीरों की बिक्री अवैध रूप से की जाती है, जिससे शासन को राजस्व की हानि होती है। उथली हीरा खदानों के पट्टे भी पहले भी तुलना में कम बन रहे हैं।
2023 में अधिकृत रूप से सिर्फ 22 नग हीरे हुए जमा
पन्ना में हीरों के तिलस्मी संसार के सिमटने का आलम यह है कि वर्ष 2023 में यहां अधिकृत रूप से हीरा कार्यालय में सिर्फ 22 नग हीरे ही जमा हुए हैं। पन्ना के इतिहास में यह पहला अवसर है जब इतने कम हीरा यहां जमा हुए हैं। हीरा कार्यालय में पदस्थ हीरा पारखी अनुपम सिंह बताते हैं कि पूर्व में यहां औसतन हर साल तीन-चार सौ नग हीरे जमा होते रहे हैं, लेकिन अब लगातार गिरावट हो रही है। आपने बताया कि वर्ष 2022 में 214 नग हीरा जमा हुए थे, लेकिन वर्ष 2023 में यह आंकड़ा घटकर 22 हो गया। इसकी वजह पूछे जाने पर आपने बताया कि हीरा धारित क्षेत्र अब नहीं बचा, जहां हीरा है वह इलाका वन क्षेत्र में है। ऐसी स्थिति में अब उथली हीरा खदानों के पट्टे भी पहले भी तुलना में कम बन रहे हैं। वर्ष 2023 में कुल 260 पट्टे बने थे।
देश का इकलौता हीरा कार्यालय बंद होने की दहलीज पर
जिला मुख्यालय पन्ना में स्थित देश के इकलौते हीरा कार्यालय पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। शासन की अनदेखी और उपेक्षा के चलते पन्ना स्थित हीरा कार्यालय मौजूदा समय महज एक कमरे में संचालित हो रहा है। इटवां खास व पहाड़ीखेरा में संचालित होने वाले उप कार्यालय भी बंद हो चुके हैं। पिछले कई वर्षों से इस कार्यालय में कर्मचारियों के रिटायर होने पर उनकी जगह किसी की पदस्थापना नहीं हुई, फलस्वरूप इस कार्यालय के ज्यादातर पद खाली पड़े हैं। आलम यह है कि देश के इस इकलौते हीरा कार्यालय का वजूद सिर्फ नाम के लिए रह गया है।
खनिज अधिकारी के पास हीरा कार्यालय का प्रभार
पूर्व में पन्ना स्थित हीरा कार्यालय में जहां हीरा अधिकारी की पदस्थापना होती थी वहीं, अब खनिज अधिकारी के पास हीरा कार्यालय का प्रभार है। नवीन कलेक्ट्रेट भवन में हीरा अधिकारी का चेंबर तक नहीं है, हीरा कार्यालय एक छोटे से कमरे में संचालित हो रहा है। हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि पहले पन्ना जिला मुख्यालय के साथ-साथ इटवांखास व पहाड़ीखेरा में उप कार्यालय हुआ करते थे जो अब बंद हो चुके हैं। उस समय उथली हीरा खदानों की निगरानी व खदानों से प्राप्त होने वाले हीरों को जमा कराने के लिए तीन दर्जन से भी अधिक सिपाही और हीरा इंस्पेक्टर पदस्थ थे। लेकिन अब सिर्फ दो सिपाही बचे हैं जो अपने रिटायरमेंट की राह देख रहे हैं।
हीरा धारित पट्टी का विस्तार लगभग 70 किलोमीटर क्षेत्र में
पन्ना जिले में हीरा धारित पट्टी का विस्तार लगभग 70 किलोमीटर क्षेत्र में है, जो मझगवां से लेकर पहाड़ीखेरा तक फैली हुई है। हीरे के प्राथमिक स्रोतों में मझगवां किंबरलाइट पाइप एवं हिनौता किंबरलाइट पाइप पन्ना जिले में ही स्थित है। यह हीरा उत्पादन का प्राथमिक स्रोत है जो पन्ना शहर के दक्षिण-पश्चिम में 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां अत्याधुनिक संयंत्र के माध्यम से हीरों के उत्खनन का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) द्वारा संचालित किया जाता रहा है। मौजूदा समय उत्खनन हेतु पर्यावरण की अनुमति अवधि समाप्त हो जाने के कारण यह खदान 1 जनवरी 21 से बंद है।

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