- अब वित्त विभाग ने लगाई रोक
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मत्स्य विभाग के अफसरों द्वारा फिश पार्लर के लिए आवंटित राशि पर कुंडली मारकर बैठना अब मुख्यमंत्री की घोषणा पर भारी पड़ रही है। इसकी वजह है अब वित्त विभाग द्वारा बगैर अनुमति राशि के आवंटन पर रोक लगा देना। इसकी वजह से प्रदेश के शहरी इलाके में बनने वाले स्मार्ट फिश पार्लर की योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही है। दरअसल मुख्यमंत्री बनते ही पहली ही बैठक में डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के सभी नगरीय क्षेत्रों में बिना लाइसेंस खुले में अवैध रूप से मांस- मछली की बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे। उनके इस निर्देश का पालन अब तक नहीं हो पाया है। इसकी वजह है मत्स्य विभाग द्वारा राशि जारी नहीं किया जाना। अब वित्त विभाग तमाम विभागों पर बगैर अनुमति राशि खर्च करने पर रोक लगा चुका है। ऐसे में यह मामला एक बार फिर से अटक गया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने 2022-23 के बजट में मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत नगरीय निकायों में 20 करोड़ रुपए की लागत से 400 स्मार्ट फिश पार्लरों का निर्माण किया जाना था। इस हिसाब से एक स्मार्ट फिश पार्लर के निर्माण पर 5 लाख रुपए की लागत अनुमानित की गई थी। योजना के लिए प्रशासनिक अनुमोदन 2 साल के लिए किया गया था। बीते साल विभाग द्वारा अपने सभी जिलों को स्मार्ट फिश पार्लर के लिए राशि आवंटित कर दी गई थी। जिला कार्यालयों को यह राशि जिलों से संबंधित नगर निगम या नगर पालिका को यह राशि देनी थी, लेकिन विभाग के अफसर इस राशि पर कुंडली मारकर बैठ गए। इस दौरान महज तीन जिलों में ही यह राशि ट्रांसफर की गई, इसमें नर्मदापुरम, धार और टीकमगढ़ जिले शामिल हैं। नर्मदापुरम नगर पालिका को 40 लाख रुपए आवंटित किए गए थे, वहां 8 स्मार्ट फिश पार्लर बनाने का काम अंतिम चरण मे है। धार और टीकमगढ़ को 20-20 लाख रुपए आवंटित किए गए थे। यहां चार-चार स्मार्ट फिश पार्लर का निर्माण किया जा रहा है।अब जब इस मामले में पूछताछ शुरु हुई तो पता चला कि अधिकांश जिलों के मत्स्य कार्यालयों द्वारा तो उक्त राशि निकायों को दी ही नहीं गई है। अब जिला कार्यालयों द्वारा राशि देने में देरी की वजह अक्टूबर में विधानसभा चुनाव की लगी आचार संहिता का बहाना बनाया जा रहा है। आचार संहिता समाप्त होने के बाद वित्त विभाग द्वारा तमाम विभागों द्वारा खर्च की जाने वाली राशि पर रोक लगा दी गई है। इसकी वजह से अब बाकी 52 जिलों में मत्स्य विभाग के जिला कार्यालय नगरीय निकायों को राशि का आवंटन नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह से यह राशि मत्स्य विकास विभाग के जिला कार्यालयों के खातों में जमा है। अब इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि वित्त विभाग ने दिसंबर में 38 विभागों की 150 योजनाओं पर वित्तीय रोक लगा दी है। वित्त विभाग की अनुमति से ही इन योजनाओं में राशि का आवंटन किया जा सकेगा। दरअसल रोक वाली योजनाओं में मत्स्य विकास विभाग की मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना भी शामिल है। यदि वित्त विभाग 15 मार्च तक मत्स्य पालन विभाग को नगरीय निकायों के खातों में राशि ट्रांसफर करने की अनुमति देता है, तो स्मार्ट फिश पार्लर का निर्माण हो सकेगा, नहीं तो यह योजना ही बंद हो जाएगी। इसकी वजह है मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना का योजना का प्रशासनिक अनुमोदन दो साल के लिए ही है।
पीएमएमएसवाई योजना में 5.47 करोड़ आवंटित
केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) का संचालन किया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रदेश में 73 मछली विक्रेताओं को 5 करोड़ 47 लाख रुपए का आवंटन किया गया है। योजना में प्रत्येक हितग्राही को स्मार्ट फिश पार्लर के लिए 7.50 लाख रुपए का लोन दिया जाता है। पीएमएमएसवाई योजना का उद्देश्य मछली उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना, प्रौद्योगिकी का उपयोग, मत्स्यपालन क्षेत्र में मानक और ट्रेसेबिलिटी लान, एक मजबूत मत्स्यपालन प्रबंधन ढांचा स्थापित करना, मछुआरों का कल्याण करना और मत्स्य निर्यात प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी करना है।