- लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समीकरण साधने पर रहेगा फोकस
- विनोद उपाध्याय
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले प्रदेश में पांच राज्य सभा सदस्यों का निर्वाचन होना है। इसकी वजह है, मौजूदा पांच सदस्यों का कार्यकाल मार्च माह में समाप्त हो रहा है। यही वजह है कि अभी से राज्यसभा जाने की इच्छा पाले कांग्रेस व भाजपा के नेताओं से अभी से दावेदारी पुख्ता करने की कवायद शुरु कर दी गई है। मार्च में रिक्त होने जा रही राज्यसभा की मध्य प्रदेश से पांच सीटों के लिए हालांकि मौजूदा उम्मीदवार भी अपनी दावेदारी फिर से कर रहे हैं, लेकिन भाजपा जहां अपने मौजूदा सदस्यों को लोकसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं, तो वहीं कांग्रेस में अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि माना जा रहा है कि विधानसभा का चुनाव हारने के बाद प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए जीतू पटवारी को पार्टी राज्यसभा उम्मीदवार बना सकती है। यही वजह है कि राज्यसभा के लिए दावेदार अभी से बड़े नेताओं की परिक्रमा करने में लग गए हैं। इस बीच कोई सार्वजनिक मंच पर तो कोई अपने करीबी बड़े नेताओं के माध्यम से राज्यसभा में पहुंचने की जुगत लगाने में लगे हुए हैं। फिलहाल जो पांच सीटें रिक्त होने वाली हैं उनमें से अभी चार भाजपा और एक कांग्रेस के पास है। विधानसभा दोनों दलों के सदस्यों की संख्या के आधार पर भी आगे भी चार सीटें भाजपा और एक कांग्रेस को मिलना तय है। इन सीटों के लिए चुनाव मार्च में होंगे। दोनों दल अप्रैल-मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते उम्मीदवार का चयन करेंगे। भाजपा की ओर से इस बार नरोत्तम मिश्रा के अलावा विनोद गोटिया की भी दावेदारी है, जबकि धर्मेन्द्र प्रधान और एल मुरुगन को दोबारा मौका दिया जा सकता है। बता राज्यसभा में प्रदेश की 11 सीटों में से तीन कांग्रेस व आठ भाजपा के पास हैं। लोकसभा चुनाव को देखते हुए दोनों दल ऐसे उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं, जिनसे पार्टी को चुनाव में लाभ मिले। उधर, इस बात की भी में पूरी कोशिश है प्रत्याशी चयन के बाद कोई जनप्रतिनिधि या वर्ग नाराज नहीं होने पाए। इस कारण सबसे अधिक जोर जातिगत और फिर क्षेत्रीय समीकरणों पर रहने का अनुमान है। भाजपा विधानसभा चुनाव में पराजित या फिर नाराज नेताओं को भी मौका दे सकती है। साथ ही एक या दो सीटों पर नया चेहरा सामने ला सकती है। इसके पहले भी पार्टी ने ऐसे ही चेहरे राज्यसभा में भेजे हैं। बड़वानी के एक कालेज में प्राध्यापक सुमेर सिंह सोलंकी और इससे पहले संपतिया उइके को राज्यसभा में भेजा गया था। भाजपा राज्यसभा के कुछ सदस्यों को लोकसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया , कविता पाटीदार के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। फिलहाल भाजपा के कोटे से अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, धर्मेंद्र प्रधान और डा.एल मुरुगन राज्यसभा सदस्य है, जबकि कांग्रेस से राजमणि पटेल सदस्य हैं।
कांग्रेस एससी मोर्चा ने मांगी सीट
प्रदेश से राज्यसभा में सदस्य भेजने के लिए कांग्रेस अनुसूचित जाति (एससी) विभाग के सम्मेलन में इस सीट पर एससी वर्ग के उम्मीदवार को भेजने की मांग उठ चुकी है। विभाग के राष्ट्रीय संयोजक हेमंत नरवरे ने कह चुके हैं कि भाजपा ने एससी वर्ग की सुमित्रा वाल्मीकि को राज्यसभा में भेजा है। कांग्रेस को भी एससी नेतृत्व विकसित करने के लिए अगले चुनाव में राज्यसभा के लिए एससी उम्मीदवार को आगे लाना चाहिए। इस वर्ग में प्रदेश कांग्रेस अजा विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और विजयलक्ष्मी साधौ भी दावेदार हैं। इसके अलावा ओबीसी में जीतू पटवारी और अरुण यादव के नाम भी चर्चा में बने हुए हैं।
39 विधायकों से चुना जाएगा राज्यसभा का एक सदस्य
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सदस्य है। पांच सीटों के लिए चुनाव होने हैं। निर्धारित फार्मूला के अनुसार 39 विधायक एक सदस्य को चुनेंगे। भाजपा के पास 163 विधायक है। इस हिसाब से चार सीटें उसे निर्विरोध मिल जाएंगी। इसी तरह से कांग्रेस के पास 66 विधायक है। यानी उसे भी एक सीट मिलना तय है।