औसतन हर नौ माह में बदले मुखिया फिर भी जांच अधूरी

 मुखिया

बहुचर्चित हाईप्रोफाइल हनी ट्रैप का मामला…

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का बहुचर्चित हनीट्रैप कांड एक बार फिर चर्चाओं में बना हुआ है। इसकी वजह है इस मामले की जांच करने वाली एसआईटी के मुखिया का एक बार फिर से बदला जाना। यह ऐसा मामला है , जिसकी एसआईटी टीम के मुखिया चार साल में पांच अफसरों को बनाया जा चुका है,  लेकिन जांच फिर भी पूरी नहीं हो पा रही है। चार साल पहले गठित की गई टीम को औसतन रुप से हर नौ माह में नया मुखिया मिल जाता है। इस बार नई सरकार बनने के बाद 1992 बैच के आईपीएस आदर्श कटियार को स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम यानी एसआईटी का मुखिया बनाया गया है। इस हनी ट्रैप कांड की जांच अब तक बीरबल की खिचड़ी बन चुकी है। बीते चार सालों में पर नजर डालें तो, 23 सितंबर 2019 को गठित एसआईटी की जिम्मेदारी सबसे पहले 1997 बैच के आईपीएस डी श्रीनिवास वर्मा को सौंपी गई थी। अभी टीम गठन के 24 घंटे भी नहीं हुए थे कि एसआईटी चीफ की जिम्मेदारी वर्मा से वापस लेकर एडीजी संजीव शमी को सौंप दी गई थी। इसके बाद एक अक्टूबर को संजीव शमी को एसआईटी प्रमुख के पद से हटाकर राजेंद्र कुमार को एसआईटी का प्रमुख बना दिया गया था। इस मामले में वीके महेश्वरी भी जांच टीम के  मुखिया रहे चुके। अब आदर्श कटियार को इसका जिम्मा दिया गया है। दरअसल यह मामला बेहद पेंचीदा है। इसकी वजह है इस मामले की एक आरोपी युवती द्वारा  एसआईटी को दिए बयानों में बताया गया था कि उसके द्वारा आईपीएस और आईएएस अफसरों की डिमांड पर कॉलेज की छात्राओं को उनके पास भेजा जाता था। इनमें कई अफसर तो उम्रदराज यानी की उन छात्राओं की पिता की उम्र के बराबर थे।  
मंगाई केस की स्टेटस रिपोर्ट
इस मामले की जांच करने वाली एसआईटी टीम के मुखिया बनते ही सीनियर आईएएस अफसर आदर्श कटियार ने पूरे मामले की अब तक की स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। इसके साथ ही उनके द्वारा पूर्व में एसआईटी चीफ रहे चुके वीके माहेश्वरी से भी लंबी चर्चा की गई है। माना जा रहा है कि  अभी तक की स्टेटस रिपोर्ट सामने आने के बाद मामले पर कुछ बड़ा खुलासा हो सकता है।
बंद लिफाफे में क्या
एसआइटी के चीफ रह चुके स्पेशल डीजी राजेंद्र कुमार द्वारा एक बंद लिफाफा हाईकोर्ट को सौंपा गया था। माना जाता है कि उस लिफाफे में हनीकांड से जुड़ी कई बेहद अहम जानकारियां सौंपी गई थीं। उसके बाद से ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। लेकिन अब तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी कटियार के आने से फिर मामले में हलचलें तेज होती नजर आ रही हैं।
यह है मामला
प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय 17 सितंबर, 2019 को इंदौर नगर निगम के तत्कालीन इंजीनियर हरभजन सिंह द्वारा इस मामले की पुलिस से शिकायत की गई थी। इसके बाद ही इस मामले में एक के बाद एक खुलासे होना शुरु हुए थे। इसमें एक खुलासा हुआ था कि महिलाएं इंजीनियर सिंह को  ब्लैकमेल करके तीन करोड़ रुपए मांग रही है। पुलिस ने ब्लैकमेल करने के मामले में श्वेता स्वप्निल जैन (48), श्वेता विजय जैन (39), आरती दयाल (29), मोनिका यादव (19) और बरखा सोनी को आरोपी बनाया और उन्हें गिरफ्तार भी किया था। इस मामले में हो रहे नए-नए खुलासों के बाद ही 31 अक्टूबर 2020 को एसआईटी का गठन किया गया था।
दर्जनों सेक्स वीडियो मिले
हनीट्रैप गैंग के पास से दर्जनों सेक्स वीडियो मिले थे, जिनमें डेढ़ दर्जन से अधिक अफसरों के साथ नेताओं के वीडियो की तमकर चर्चा रही है। इन महिलाओं से  एक पूर्व मुख्यमंत्री, , दो मंत्री, तीन पूर्व मंत्री, एक पूर्व सांसद, 20 अफसरों को अपना शिकार बनाने की बात सामने आयी थी। हालांकि, इनमें से एक-दो नेताओं और दो अफसरों के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। यह महिलाएं  बेहद पॉश इलाके रिवेरा टाउन में रहती थी। यह वो इलाका है जिसमें अफसरों के अलावा बड़ी संख्या में राजनेताओं के भी आवास हैं। यह गिरोह यहीं से साजिश रचती थी, इसलिए नेता उसके जाल में आसानी से फंस गए। हनीट्रैप कांड की मुख्य आरोपी श्वेता विजय जैन अफसर और नेताओं से आरती की दोस्ती करवाती थी। बाद में आरती उन्हें अपने जाल में फंसाकर वीडियो बना लेती, फिर श्वेता के इशारे पर रुपए वसूलने का काम होता था। श्वेता स्वप्निल जैन, श्वेता विजय जैन, आरती दयाल, मोनिका यादव, बरखा सोनी इस पूरे मामले में मुख्य किरदार बताए गए थे।

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