डॉ.मोहन के वरिष्ठ मंत्रियों पर लगीं निगाहें

वरिष्ठ मंत्रियों
  • छह माह बाद होगा कामकाज का आंकलन

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की महान सरकार को बने अब एक माह का समय होने वाला है। ऐसे में अब सरकार के कामकाज की चर्चा होना स्वाभाविक है। फिलहाल इस समय सरकार का हनीमून पीरियड चल रहा है। इस दौरान मंत्रियों द्वारा पदभार ग्रहण करने का दौर जारी है। इसकी वजह से कई मंत्रियों ने तो एक माह का समय बगैर कामकाज के ही निकाल दिया है। माना जा रहा है कि अगले दो माह में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में अब उनके पास दो माह का ही समय कामकाज के लिए रहने वाला है।
    जिसकी वजह से उनके सामने अब बेहतर कामकाज की बड़ी चुनौती बनी हुई है। इनमें भी उनके चेहरों पर खास निगाहें लगी हुई हैं, जो मंत्रिमंडल में वरिष्ठ हैं। सरकार में कितना नया विजन ला पाएंगे, इसकी कसौटी पर ही कामकाज को देख जाएगा। बड़े चेहरों पर तो पूरी तरह से पार्टी हाईकमान से लेकर मोदी व शाह तक की भी नजर है। ऐसे में अगर उनका कामकाज बेहतर नहीं रहता है तो फिर उनके लिए आगे मुश्किल खड़ी हो सकती है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद पूरे मंत्रिमंडल के कामकाज का आंकलन किया जाएगा।  फिलहाल तो मंत्री अभी अफसरशाही की लाइन पर ही चलते दिख रहे हैं। पार्टी से लेकर हाईकमान तक सभी की नजर खासतौर पर केंद्रीय मंत्री से राज्य के मंत्री बने प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, कैलाश विजयवर्गीय और उदय प्रताप सिंह पर बनी हुई हैं।
    यह उठाए कदम
    प्रहलाद पटेल ने ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री का पदभार ग्रहण करते ही उसी दिन अफसरों के साथ विभागीय कामकाज की समीक्षा करते हुए सौ दिन के लक्ष्यों का निर्धारण किया है। अभी वे अफसरशाही के प्रेजेंटेशन पर ही आगे बढ़ रहे हैं। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने तो अभी पदभार तक ग्रहण नहीं किया है। हालांकि वे इसके बाद भी हाल ही में विभागीय बैठक कर चुके हैं। उनके द्वारा इस दौरान नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनने की पिछली सरकार की लाइन को ही आगे बढ़ाया गया है। पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने 3 जनवरी की देर रात पदभर ग्रहण कर लिया है। इसके बाद वे विभाग की बैठक कर चुके हैंं। बैठक में उनके द्वारा पार्टी के संकल्प-पत्र के बिंदुओं को प्राथमिकता से बताया गया है।  पांच साल के लक्ष्यों पर अफसरशाही की लाइन पर ही काम कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा और परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह तो शुरुआत में ही वाहन चालकों की हड़ताल का सामना कर चुके हैं। इसके बाद उनके द्वारा स्कूल शिक्षा पर फोकस किया जा रहा है।
    शुभ मुहूर्त का इंतजार
    मंत्री पद की शपथ लेने के बाद कई मंत्रियों द्वारा अब तक पदभार ग्रहण नहीं किया गया है। इसकी वजह है उनके द्वारा शुभ मुहूर्त का इंतजार किया जाना।  अभी तक महज आधा दर्जन मंत्रियों ने पदभार ग्रहण नहीं किया है। इनमें से कुछ तो 14 जनवरी के निकलने का इंतजार कर रहे हैं। मुहूर्त का महत्व इससे समझा जा सकता  है कि राकेश सिंह ने तीन जनवरी को देर रात में मंत्रालय पहुंचकर पद संभाला है। अब तक जो मंत्री पदभार सम्हाल चुके हैं , उनमें डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल व जगदीश देवड़ा। मंत्रियों में विजय शाह, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, करण सिंह वर्मा, उदय प्रताप सिंह, सम्पत्तिया उइके, तुलसी सिलावट, एंदल सिंह कंसाना, निर्मला भूरिया, विश्वास सारंग, नागर सिंह चौहान, चेतन्य काश्यप, कृष्णा गौर, धर्मेंद्र सिंह लोधी, दिलीप जायसवाल, गौतम टेंटवाल, लखन पटेल, नारायण सिंह पंवार, नरेंद्र शिवाजी पटेल, प्रतिमा बागरी, दिलीप अहिरवार, राधा सिंह और गोविंद सिंह राजपूत शामिल हैं। उधर, शुभ मुहूर्त के इंतजार में अब भी कैलाश विजयवर्गीय, प्रद्युम्र सिंह तोमर, राकेश शुक्ला, इंदर सिंह परमार और नारायण सिंह रुके हुए हैं।
    तोमर के सामने भी चुनौती
    प्रदेश से लेकर केन्द्र सरकार तक में मंत्री रह चुके विधानसभा अध्यक्ष बने नरेंद्र सिंह तोमर के सामने भी चुनौतियां बनी हुई हैं। उनके द्वारा कल से दो दिवसीय विधायक प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित कर नवाचार का प्रयास शुरू किया गया है। पूर्व विस अध्यक्ष गिरीश गौतम की छवि कर्मचारी हितैषी की रही है। प्रोटेम स्पीकर रहे रामेश्वर शर्मा ने सनातन धर्म की लाइन पर काम किया था। इससे पूर्व कांग्रेस सरकार में एनपी प्रजापति का अध्यक्षीय कार्यकाल जरुर लोकप्रिय नहीं माना गया है, लेकिन उनके पूर्व स्पीकर रहे सीतासरण शर्मा की कार्यशैली जरूर पसंद की गई थी। अब तोमर के सामने भी अपनी लोकप्रियता बढ़ाने की चुनौती मानी जा रही है।

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