
- बीसीएलएल की मेहरबानी का कमाल
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी में लोक परिवहन उपलब्ध कराने वाली कंपनी भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड ने नियमों, शर्तों में हेरफेर कर ऐसा कारनामा कर दिया है कि उससे जहां बस ऑपरेटर मालामाल हो गया है, वहीं सरकार पर बड़ा बोझ आ गया है। यह मामला सुर्खियों में आने के बाद हंगामा मचा हुआ है। उधर, बीसीएलएल की सीईओ निधि सिंह का कहना है कि बसों के संचालन में घाटे की जानकारी मिलने पर ऑपरेटर को अभी केवल एक बार फंडिंग की गई है। आगे कितना भुगतान होगा ये अभी तय नहीं है।
जानकारी के अनुसार, राजधानी भोपाल के लोगों को सस्ता लोक परिवहन उपलब्ध कराने के लिए भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड ने प्राइवेट बस ऑपरेटर मां एसोसिएट को 150 गाड़ी चलाने के नाम पर इतना अनुदान मुहैया कराया गया कि ठेकेदार को गाड़ी मुफ्त में पड़ गईं। जबकि सरकार पर करोड़ों रुपए का फिजूल बोझ आ गया।
मां एसोसिएट को 7 साल का टेंडर …
सरकारी प्रस्ताव था कि 150 लो फ्लोर गाड़ी चलाने के लिए मां एसोसिएट को 7 साल का टेंडर मिला है। प्रति गाड़ी खरीदने के लिए मां एसोसिएट को 10 लाख का अनुदान देने की स्वीकृति शिवराज सरकार के समय दी गई थी। बीसीएलएल ने इस टेंडर की आड़ में एक नया प्रस्ताव बनाकर संचालन में होने वाले घाटे की भरपाई भी सरकारी खजाने से करने का प्रस्ताव नगरीय प्रशासन को भेज दिया। अफसरों को बसें बंद होने का डर दिखाकर इसे मंजूर भी करवा लिया गया। दरअसल, 150 गाडिय़ों को चलाने की बदले मां एसोसिएट को बीसीएल द्वारा 40 रुपए प्रति किलोमीटर ऑपरेशन कॉस्ट दी जाती है। जबकि चलो नामक कंपनी द्वारा इन्हीं बसों में टिकट वसूली के नाम पर प्रति किलोमीटर 32.5 रुपए बीसीएलएल को रॉयल्टी दी जाती है।
15 की बजाए 50 करोड़ बंट रहे
टेंडर शर्तों के अनुसार ऑपरेटर को केवल प्रति वाहन 10 लाख की राशि अनुदान में देनी थी, लेकिन बीसीएलएल ने बगैर वित्त विभाग की मंजूरी एवं कैबिनेट अप्रूवल के बस संचालन में होने वाले घाटे की भरपाई करने अनुदान बांटना शुरू कर दिया। 150 वाहनों की कीमत 37.5 करोड़ आई जिस पर सिर्फ 15 करोड़ अनुदान देना था। एक अतिरिक्त प्रस्ताव की आड़ में बीसीएलएल ने अलग से 35 करोड़ के अनुदान का इंतजाम करवा दिया है। इस प्रकार 150 गाडिय़ों पर 15 की बजाए 50 करोड़ बंट दिए हैं और सब चुप हैं।