
- मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने कंपनियों को दिया लाइन लॉस कम करने का टारगेट
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन (टीएंडडी) से होने वाली हानि को रोकने में देश में सफलता मिली है, लेकिन मप्र में बिजली कंपनियों का लाइन लॉस कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसको देखते हुए मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने अब लाइन लॉस कम करने के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। अगले चार साल में बिजली कंपनियों को 10 से 12 फीसदी तक लाइन लॉस कम करना होगा।
कंपनियां लाइन लॉस में एक वित्तीय वर्ष में 3 फीसदी तक की कमी लाती हैं, तो उन्हें मरम्मत कार्य और रखरखाव के लिए 0.5 फीसदी अतिरिक्त राशि प्राप्त करने की पात्रता भी होगी। यह निर्देश भी विद्युत विनियामक आयोग ने जारी किए हैं। गौरतलब है कि टीएंडडी से होने वाली हानि को भारत के बिजली सेक्टर में सुधार की राह में सबसे बड़े अड़चन के तौर पर देखा जाता रहा है। हालांकि जो आंकड़े अब सामने आ रहे हैं, उससे साफ है कि इस समस्या पर काबू पाने में सफलता मिलने लगी है।
एक दशक पहले तक टीएंडडी से होने वाली हानि (वह बिजली जिसकी कीमत बिजली वितरण कंपनियां नहीं वसूल पाती) 35 प्रतिशत तक होती थी, लेकिन ताजा आंकड़ों के मुताबिक यह घटकर 15 प्रतिशत हो गई है। पिछले दो वित्त वर्षों में यह 22 प्रतिशत से घटकर 15.41 प्रतिशत पर आ गया है। हालांकि वैश्विक स्तर के मुकाबले (सिर्फ आठ फीसदी) अभी यह तकरीबन दोगुना है।
लोग बिल नहीं देते: विकसित देशों में तो बिजली सेक्टर में टीएंडडी से होने वाली हानि सिर्फ चार से छह प्रतिशत के बीच है। बहुत संभव है कि अगले कुछ वर्षों में भारत में भी यह स्तर हासिल हो जाए। टीएंडडी हानि में एक बड़ा हिस्सा बिजली चोरी का होता है। कई इलाकों में लोग बिजली का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उसका बिल नहीं देते। इस पर लगाम लगाने के लिए सरकार की मदद से वितरण कंपनियां लगातार कोशिश कर रही हैं।
12 फीसदी तक कम करना होगा लाइन लॉस
मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने साल 2023-24 से 2026-27 तक की गाइडलाइन बिजली कंपनियों के लिए जारी की है। इसके तहत आयोग ने अब लाइन लॉस कम करने के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। अगले चार साल में बिजली कंपनियों को 10 से 12 फीसदी तक लाइन लॉस कम करना होगा। अगर बिजली कंपनियां अपना लाइन लॉस कम कर दें, तो कंपनियों को हर साल बिजली का टैरिफ बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बढ़ाने की जगह टैरिफ कम भी किया जा सकता है। गौरतलब है कि हाल ही में बिजली कंपनियों ने अपने घाटे की भरपाई के लिए एक बार फिर विद्युत विनियामक आयोग में याचिका दायर की है। ऐसे में तय है कि अगले साल अप्रैल में एक बार फिर बिजली कंपनियों का टैरिफ बढ़ जाएगा। इसी बीच आयोग ने बिजली कंपनियों के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस सबसे ज्यादा रहता है। पिछले कई सालों से बिजली कंपनियां अपना लाइन लॉस कम नहीं कर पा रही है। साल 2021-22 में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस 27.40 फीसदी रहा था। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस सबसे कम 11.61 फीसदी रहा था। वहीं मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस 24.67 फीसदी रहा था। विद्युत विनियामक आयोग ने वितरण कंपनियों को 14 से 16 फीसदी तक लाइन लॉस लाने के निर्देश दिए हैं। इस लाइन लॉस को कम करने के लिए बिजली कंपनियां तैयारी कर रही हैं।
चुनौतियों से जूझ रही हैं बिजली कंपनियां
हालांकि, आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक देश की बिजली वितरण कंपनियां (डिस्काम) अभी भी कई तरह की चुनौतियों से जूझ रही हैं। इसमें बिजली शुल्क की कम दर, उच्च दर पर बिजली की खरीद करना, कुछ सेक्टरों से कम दर से बिजली शुल्क वसूलना, जबकि कुछ सेक्टर से ज्यादा दर पर बिजली खरीदना और डिस्कॉम पर राज्य प्रशासन का नियंत्रण। वैसे इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर निरंतर कोशिश जारी है। संभवत: यही कारण है कि भारत में भी टीएंडटी की हानि का स्तर कम होकर 15.41 प्रतिशत (वर्ष 2022-23 में, पावर फाइनेंस कारपोरेशन के मुताबिक) पर आ गया है।