मंत्रिमंडल: आधी आबादी का बढ़ेेगा रुतबा

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गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम का ऐलान होने के बाद अब मंत्री पदों के चेहरों को लेकर कयासों का दौर शुरु हो गया है। माना जा रहा है कि इस बार मंत्रिमंडल का चेहरा न केवल अलग होगा , बल्कि उसमें आधी आबादी का रुतबा भी बढ़ेगा। माना जा रहा है कि प्रदेश में बीते दो दशक में बनी भाजपा की चारों सरकारों की अपेक्षा इस बार मातृ शक्ति को अधिक मौका दिया जाएगा। इसके अलावा इस बार पूरी तरह से संतुलन भी नजर आएगा। इसकी वजह है मंत्रिमंडल में जिन चेहरों को शामिल किया जाएगा , उन नामों का फैसला भी दिल्ली से होना तय है। ऐसे में महिलाओं की भागीदारी बढऩा तय है। मंत्रिमंडल में इस बार पूरी तरह से जातीय व क्षेत्रीय समीकरण का संतुलन भी नजर आना तय माना जा रहा है।
फिलहाल मुख्यमंत्री ओबीसी, दो डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा (एससी) और राजेंद्र शुक्ला (सामान्य) को बनाकर भाजपा ने तीन वर्गों का संतुलन बनाया है। इस बार 33 में से 31 मंत्री चुनाव मैदान में उतरे थे। इसमें से 19 जीते हैं। इनमें से कुछ ही पुराने चेहरों को रिपीट किया जाएगा , बाकी नए चेहरे शामिल किए जाएंगे। इनके चयन में जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 35 सदस्य वाले नए मंत्रिमंडल के चेहरे पूरी तरह से केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर करेंगे। केंद्रीय स्तर पर इस पर चर्चा शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि फिलहाल एक छोटा मंत्रिमंडल रहेगा। जिसमें 12 से 15 मंत्री हो सकते हैं। जिसका विस्तार लोकसभा चुनाव के बाद किया जा सकता है।
महिलाओं की संख्या में होगी वृद्धि
प्रदेश के नए मंत्रिमंडल में इस बार महिला मंत्रियों की संख्या बढ़ना तय है। अगर शिवराज सरकार के बीते दो कार्यकाल को देखें तो मौजूदा सरकार में महज तीन ही मंत्री थीं। इनमें यशोधरा राजे, मीना सिंह और ऊषा ठाकुर के नाम शामिल हैं। जबकि इसके पूर्व की शिव सरकार में ही पांच महिलाओं को बतौर मंत्री काम करने का मौका दिया गया था। जिसमें यशोधरा राजे, अर्चना चिटनिस, कुसुम मेहदेले, माया सिंह और ललिता यादव के नाम शामिल हैं। इन नामों में से इस बार यशोधरा राजे और कुसुम मेहदेले ने चुनाव ही नहीं लड़ा है , जबकि माया सिंह चुनाव हार चुकी हैं। इसकी वजह से माना जा रहा है कि अब नए महिला चेहरों को भी मौका मिल सकेगा। दरअसल बीजेपी ने इस बार 29 महिलाओं को टिकट दिए थे, जिनमें से इस बार 21 महिला विधायक चुनी गयी हैं। बीजेपी नेतृत्व लगातार नारी शक्ति को सम्मान की बात कर रहा है।  इसलिए मंत्रिमंडल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ना तय माना जा रहा है।  
यह महिला चेहरे हैं दावेदार
नई सरकार में जो महिला विधायक मंत्री पद की दावेदार मानी जा रही हैं उनमें नीना वर्मा, मालिनी गौड़, गायत्री राजे, निर्मला भूरिया, अर्चना चिटनिस, उषा ठाकुर जैसी पुरानी सदस्यों के साथ सांसद से विधायक बनी रीति पाठक और संपत्तियां उइके का भी नाम शामिल है। आदिवासी चेहरे के तौर पर निर्मला भूरिया और उइके को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है, हालांकि बाबूलाल गौर की विरासत संभाल रही कृष्णा गौर भी दावेदार हैं। वे इस बार भी शिवराज सिंह चौहान से भी ज्यादा रिकॉर्ड एक लाख 6 हजार वोट से जीती हैं। हालांकि उनकी संभावनाएं बहुत कम हैं। इसकी वजह है सीएम का उनकी ही जाति से होना।
यह चेहरे भी चर्चा में
मोहन मंत्रिमंडल के दावेदारों में इस बार कई युवा व नए चेहरे भी शामिल हैं। इनमें विंध्य अंचल से रीति पाठक और दिव्यराज सिंह के साथ ही मीना सिंह और विसाहूलाल सिंह को भी मंत्री बनाया जा सकता है। मालवा निमाड़ अंचल से कैलाश विजयवर्गीय के अलावा तुलसी सिलावट को कैबिनेट में जगह मिलना लगभग तय है। उषा ठाकुर की जगह चौथी बार चुनाव जीती मालिनी गौड और प्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीते रमेश मेंदोला की दावेदारी मजबूत  है। इसी तरह भोपाल से रामेश्वर शर्मा और विष्णु खत्री , जबकि महाकौशल से राकेश सिंह, अजय विश्नोई, अशोक रोहाणी, राव उदय प्रताप सिंह और संजय पाठक, ग्वालियर अंचल से प्रद्युम्न सिंह तोमर, नारायण सिंह कुशवाह और भितरवार से विधायक मोहन सिंह राठौर को भी मंत्री बनाया जा सकता है। राठौर संघ के करीबी बताए जाते हैं।
कई अंचलों का भी बढ़ेगा प्रभाव
माना जा रहा है कि इस बार मंत्रिमंडल में प्रदेश के उन अंचलों का प्रभाव बढ़ेगा, जो बीते सरकार में इस मामले में उपेक्षित किए गए थे। इनमें विंध्य , महाकौशल और मालवा निमाड़ अंचल शमिल हैं। इसी तरह से ग्वालियर -चंबल अंचल का प्रभाव कम होना भी तय है। इसकी वजह है अब अपने समर्थकों को मंत्रिमंडल में शामिल कराने के मामले में श्रीमंत का दबाव काम कम ही करेगा।

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