मंत्री पद को लेकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ना तय

भाजपा
  • वरिष्ठ विधायक और अधिक मतों से जीतने वालों की दावेदारी

    गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। चुनाव में मिली बड़ी जीत से भले ही भाजपा बेहद खुश है, लेकिन उसके सामने इस बार नया संकट मंत्रीमंडल को लेकर खड़ा होना तय है। दरअसल इस बार भी कई ऐसे चेहरे बड़े मर्जिन से जीते हैं, जो लगातार मंत्री पद के दावेदार होने के बाद भी मंत्री नहीं बन पाए हैं। अब ऐसे चेहरे इस बार अभी से मंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं। अच्छी बात यह है कि पुराने मंत्रीमंडल के एक दर्जन सदस्य इस बार चुनाव नहीं जीत सके हैं, जिसकी वजह से उनकी दावेदारी समाप्त हो गई है। इसकी वजह से ऐसे विधायक अधिक उम्मीद लगा रहे हैं, जो हारने वाले मंत्रियों की वजह से पिछली बार मंत्री पद पाने से वंचित रह गए थे।  कुछ नए विधायकों को भी इस बार मंत्री पद की उम्मीद लगी हुई है। अगर पिछले बार की बात की जाए तो जिस विंध्य अंचल ने 30 में से सर्वाधिक 24 सीटें भाजपा को दी थीं, वह अंचल मंत्री पद के मामले में सर्वाधिक उपेक्षित रहा था। इसके बाद भी इस बार भी इस अंचल ने हार नहीं मानी और एक बार फिर से उसी इतिहास को दोहराया है। इस बार भाजपा के विधायकों की संख्या इस अंचल में 24 से बढक़र 25 हो गई है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि इस बार इस अंचल के कुछ विधायकों की किस्मत खुल सकती है। इसी तरह से बुंदेलखंड और मालवा-निमाड़ में भी भाजपा को भरपूर विधायक दिए हैं। जिससे इन दोनों ही अंचलों में मंत्री पद के दावेदारों की संख्या में वृद्धि हुई है।
    माना जा रहा है कि इन दोनों अंचलो का प्रभाव मंत्री मंडल में बढ़ सकता है। अहम बात यह है कि कई जिलों में तो एक साथ कई -कई विधायक ऐसे निर्वाचित हुए हैं, जो जातिगत से लेकर क्षेत्रीय समीकरणों में तो फिट बैठते ही हैं, साथ ही कई बार से लगातार जीत भी रहे हैं। इसकी वजह से भी इस बार सत्तारुढ़ दल के सामने मंत्री पद के लिए नाम तय करने में दिक्कत आना तय है। ऐसे जिलों में इंदौर, सागर, भोपाल और जबलपुर तो शामिल है हीं, साथ ही ग्वालियर से भी दावेदारों की संख्या अधिक है। भाजपा के सामने इस बार एक और बड़ा संकट उन चेहरों को लेकर है, जो इस बार केन्द्र में मंत्री और सांसद रहते विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत भी दर्ज कर चुके हैं। माना जा रहा है कि इन सभी चेहरों को मंत्री मंत्रीमंडल में जगह देना जरूरी है। इन्हें मंत्री बनाने के साथ ही अच्छे और बड़े विभाग देने होंगे। अगर मालवा निमाड़ की बात की जाए तो,इस बार इस अंचल की 66 में से 47 पर भाजपा को जीत मिली है। इस अंचल के इंदौर से ही आधा दर्जन चेहरे मंत्री पद की रेस में शामिल हैं। इनमें कैलाश विजयवर्गीय तो मुख्यमंत्री पद की रेस में भी शामिल हैंं। इनके अलावा जगदीश देवड़ा, तुलसी सिलावट, उषा ठाकुर, महेंद्र हार्डिया, रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़ इंदौर से तो सोनकच्छ से राजेश सोनकर , जावद से ओमप्रकाश सकलेचा, उज्जैन दक्षिण से डॉ. मोहन यादव,देवास से गायत्री राजे पंवार, बुरहानपुर से अर्चना चिटनिस के अलावा हरसूद से विजय शाह की मजबूत दावेदारी मानी जा रही है। इनमें से यादव, सकलेचा, उषा और शाह तो अभी मंत्री हैं। माना जा रहा है कि इस बार इंदौर शहर से कम से कम दो नए चेहरों को मौका देना ही होगा। लगभग यही स्थिति मध्य अंचल की भी है। इस अंचल के भोपाल शहर से ही तीन नाम सामने आ रहे हैं। इनमें विश्वास सारंग तो अभी मंत्री है, जबकि रामेश्वर शर्मा, और कृष्णा गौर की दावेदारी भी पुख्ता बनी हुई है। शर्मा और गौर तो उन विधायकों में शामिल हैं ,जो सर्वाधिक मतों से जीते हैं। यह दोनों भी लगातार जीतते आ रहे हैं।
    महाकौशल के यह चेहरे दौड़ में  
    इस अंचल ने इस बार कांग्रेस की जगह भाजपा का साथ दिया है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि पिछली सरकार की अपेक्षा इस बार इस अंचल को महत्व देना भाजपा की मजबूरी रहेगी। इस अंचल से कई बड़े चेहरे हैं। इनमें नरसिंहपुर से जीते केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और जबलपुर से जीते राकेश सिंह का तो अभी से मंत्री बनना तय माना जा रहा है। हालांकि पटेल का नाम मुख्यमंत्री के दावेदारों में प्रमुखता से लिया जा रहा है। इनके अलावा जो अन्य विधायक दावेदार माने जा रहे हैं, उनमें बिसाहू लाल, अजय विश्नोई, ईश्वर रोहाणी, और ओमप्रकाश धुर्वे शामिल हैं। इनमें से कई तो पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं। यह सभी वे नाम हैैं, जो वरिष्ठता के साथ ही क्षेत्रीय और जातीय समीकरण में भी फिट बैठते हैं। वहीं विंध्य अंचल से राजेन्द्र शुक्ला , नागेन्द्र सिंह गुढ़ और गिरीश गौतम स्वभाविक दावेदार हैं। इनमें से दोनों को मंत्री पद मिल सकता है।
    मध्य भारत से यह भी दावेदार
    इस अंचल के तहत भोपाल के अलावा नर्मदापुरम संभाग भी आता है। इसकी वजह से इस अंचल में दावेदारों की संख्या बेहद अधिक है। बैतूल से हेमंत खंडेलवाल, होशंगागाद से ठाकुरदास नागवंशी और डॉ. सीतासरन शर्मा की तो दावेदारी है ही साथ ही भोजपुर से सुरेन्द्र पटवा, सांची से डॉ. प्रभुराम चौधरी भी दावेदार हैं। विदिशा से जीते मुकेश टंडन के अलावा पूर्व राज्य मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा, मोहन शर्मा, सुदेश राय, करण सिंह वर्मा भी इस रेस में शामिल हैं। इनमें से कई तो पूर्व मंत्री भी हैं।
    ग्वालियर-चंबल अंचल
    यह ऐसा अंचल है, जहां पिछली सरकार में सर्वाधिक मंत्री बनाए गए थे। यह बात अलग है कि उनमें से अब कई इस बार विधायक नहीं बन सके हैं। इसके बाद भी अंचल से सबसे बड़ा चेहरा केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का है। उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। उनके अलावा  प्रद्युम्न सिंह तोमर, नारायण सिंह कुशवाहा, राकेश शुक्ला, एंदल सिंह और सरला रावत के नाम दावेदारों में शामिल हैं। यह वे नाम हैं, जो वरिष्ठता के साथ ही जातीय समीकरण में फिट बैठते हैं। इसके अलावा इस अंचल में श्रीमंत का प्रभाव एक बार फिर से मंत्री बनने में दिखना तय है।

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