कायाकल्प-शहरी सडक़ें चमकाने के लिए निकायों ने मांगे ढाई अरब

शहरी सडक़ें

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मतदान समाप्त होते ही नगरीय निकाय एक बार फिर से बदहाल शहरी सडक़ों को चकाचक करने की तैयारी में है। इसके लिए निकायों द्वारा सरकार से ढाईअरब रुपयों की मांग की गई है। यह राशि कायाकल्प योजना के दूसरे चरण के तहत मांगी गई है। माना जा रहा है कि यह राशि अगले माह मिल सकती है। इसकी वजह है प्रदेश में अभी चुनावी आचार संहिता लागू होना। दरअसल इस साल के पहले माह में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सडक़ों की मरम्मत, रिन्यूअल के लिए कायाकल्प अभियान शुरू करने की घोषणा की गई थी। इस अभियान के पहले चरण के तहत नगरीय निकायों के लिए फरवरी माह में साढ़े सात अरब रुपए मंजूर कर दिए गए थे। यह बात अलग है कि खजाने की माली हालत अच्छी नहीं होने की वजह से इस स्वीकृत राशि में से निकायों को महज साढ़े तीन अरब ही जारी किए गए थे। इस राशि से डामर की सडक़ों का काम 30 जून तक पूरा करने के निर्देश दिए गए थे। इसी तरह से सीमेंट कांक्रीट के कामों के लिए समय सीमा 30 अगस्त तक की तय की गई थी। यह बात अलग है कि निकायों की लापरवाही की वजह से यह काम तय सीमा में पूरा नहीं हो सका। इसका उदाहरण भोपाल है। यहां के कई इलाकों का काम अब भी आधा अधूरा पड़ा है। राजधानी में डामरीकरण के कामों के यह हाल हैं, तो दूर दराज के इलाकों की स्थिति समझी जा सकती है।
वापस करनी पड़ी राशि
कायाकल्प योजना के पहले चरण में भोपाल नगर निगम को आवंटित की गई राशि को खर्च करने में लापरवाही का खामियाजा शहरवासियों को भोगना पड़ा। तय समय सीमा में काम नहीं कराने की वजह से विभाग ने आंवटित राशि में से दो करोड़ रुपए वापस ले लिए थे। दरअसल भोपाल के लिए सैद्धांतिक रुप से 46.50 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे, जिसमें से 15.42 करोड़ रुपए भोपाल नगर निगम को आवंटित भी कर दिए गए थे। निगम इस राशि तय सीमा में सडक़ों का निर्माण ही नहीं कर सका। ऐसा नही है कि राशि सिर्फ भोपाल नगर निगम से ही वापिस ली गई थी , बल्कि कई अन्य लेट लतीफ निकायों से भी राशि वापस ले ली गई थी।  

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