भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अभी हाल ही में 3 दिन के दौरे पर मप्र आए भाजपा के चाणक्य और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ग्वालियर में चुनावी तैयारियों की समीक्षा के दौरान कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देते हुए कहा कि सपा और बसपा के उम्मीदवारों की मदद करो, ये जितने मजबूत होंगे, उतना हमें फायदा होगा। यही कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे। शाह के इस मंत्र के बाद भाजपा के नेता सजग हो गए हैं। उन्होंने तीसरे मोर्चे से होने वाले लाभ-हानि का गणित लगाना शुरू कर दिया है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सत्ता की राह में भाजपा और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा रोड़ा तीसरा मोर्चा ही है। मप्र में भाजपा और कांग्रेस ने सभी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं बसपा ने 178, सपा ने करीब 60, आम आदमी पार्टी ने 66 और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने करीब 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वास्तविक भारत पार्टी, जनहित पार्टी, विंध्य विकास पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम जैसे दलों ने भी अपने उम्मीदवार कुछ सीटों पर उतारे हैं। अगर पिछले चुनाव के परिणाम का आकलन किया जाए तो शाह यूं ही नहीं सपा और बसपा के उम्मीदवारों का ध्यान रखने की सलाह दे गए हैं। वर्ष 2018 में तीसरे मोर्चे यानी सपा, बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का कुल वोट शेयर 8.1 फीसदी रहा था। यही निर्णायक साबित हुआ था और प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था। वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो सपा और बसपा ने 20 सीटों पर सीधे तौर पर बड़ा नुकसान पहुंचाया था।
तीसरे मोर्चे का वोट शेयर बढ़ा
ग्वालियर ग्रामीण, सतना, सबलगढ़, सुमावली, मऊगंज, सिमरिया, ग्वालियर व रीवा जोन में बसपा उम्मीदवारों को पिछले चुनाव में अच्छे मत हासिल हुए थे। वही निवाड़ी, पृथ्वीपुर, बालाघाट और गुद सीट पर सपा प्रत्याशी निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे थे। तीन सीटों पर सपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे थे । परसवाड़ा में कंकर मुंजारे और बालाघाट में अनुभा मुंजारे को भी अच्छे वोट मिले थे। तीसरे मोर्च के दलों का वोट शेयर भी पिछले चुनाव में बढ़ गया। हालांकि, 2018 के चुनाव में बसपा को नुकसान उठाना पड़ा। वर्ष 2013 में बसपा को 6.29 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। पांच साल बाद यह 5 फीसद रह गया। इसके उलट समाजवादी पार्टी को फायदा हुआ। सपा का वोट शेयर पांच साल में 0.3 से बढ़ कर 1.3 प्रतिशत पर पहुंच गया। इसी तरह गोंडवाना गणतंत्रण पार्टी 1.8 फीसदी मत हासिल करने में सफल रही। यह 2013 में एक प्रतिशत था। इस तरह 2018 में इन दलों के कुल वोट शेयर में करीब आधा फीसदी का इजाफा हुआ था। इस चुनाव के लिए सपा पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर रही है। क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखने वाले भाजपा, कांग्रेस के बागियों को टिकट दिया है। पार्टी के लगभग सभी बड़े नेताओं को एमपी में चुनाव प्रचार का जिम्मा सौंपा है।
06/11/2023
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