खबरें असरदारों की/किसके भाग्य का छींका टूटेगा

  • विनोद उपाध्याय
 भाग्य का छींका

किसके भाग्य का छींका टूटेगा
प्रशासनिक वीथिका में वैसे तो प्रचलन है कि कोई भी अधिकारी चुनावी साल में कलेक्टर और एसपी बनना नहीं चाहता है। इसकी वजह यह है कि बात-बात में इन पर आरोप लगाते रहते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद कई अफसर आस लगाए हुए हैं कि कोई जिला खाली हो और उन्हें पदस्थापना मिले। अभी हाल ही में पुरानी शिकायतों के आधार पर चुनाव आयोग ने दो जिलों के एसपी बदल दिए हैं और अभी तीन एसपी निशाने पर हैं। इनमें से एक एसपी ने तो आचार संहिता लगने के एक दिन पहले ही 100-150 स्थानांतरण कर दिए। वहीं दूसरे  एसपी जातीय समीकरण में तो तीसरे एसपी का ससुराल पक्ष भाजपा में होने के कारण आयोग के निशाने पर आ गए हैं। इनकी भी रवानगी तय मानी जा रही है । अब इसको लेकर कई आईपीएस जुगाड़ लगा रहे हैं कि ये जिले कब खाली होंगे और वेें पदस्थ हो जाएं। अब देखना यह है कि किसके भाग्य का छींका टूटता है।

पानी-पानी हो गईं मैडम
अभी सात महीना पहले ही जल जीवन मिशन के तहत संचालित हर घर नल से जल योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सम्मानित होने वाली बुरहानपुर कलेक्टर भव्या मित्तल उस दिन पानी-पानी हो गईं, जिस दिन उन्हें पता चला कि जिले में पीने के पानी को तरस रहे लोग खेतों से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं। गौरतलब है कि मैडम जिसे जिले में कलेक्टर हैं, वह जिला हर घर नल से जल योजना के क्रियान्वयन में देश में नंबर वन है। इसके लिए अप्रैल में मैडम को पीएम ने सम्मानित भी किया था। लेकिन मैडम उस दिन आश्चर्य चकित हो गईं ,जब उनके मोबाइल पर कॉल आया कि जिस गांव में करीब 35 लाख रूपए खर्च कर पाइप लाइन बिछाकर पानी की टंकी बनाई गई, वहां पानी की टंकी से महज दो तीन दिन ही पानी आया। इसके बाद से पानी मटमैला और खराब आने लगा। अब मैडम ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं।

निशाने पर छोटे साहब
चुनावी साल में कब किस अफसर पर तोहमत लग जाए कोई कुछ नहीं बता सकता। वर्तमान में विपक्ष के निशाने पर ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले के नगर निगम  आयुक्त निशाने पर हैं। 2015 बैच के इन आईएएस अधिकारी को जिले में लोग छोटे साहब के नाम से जानते हैं। छोटे साहब पर आरोप है कि वे सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। दरअसल, आरोप है कि छोटे साहब द्वारा त्योहारों के मौसम के बाद भी एक विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मार्गों को अमृत योजना एवं अन्य योजनाओं के नाम पर खुदवाया जा रहा है, जबकि उक्त क्षेत्र प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र है। इससे व्यापारियों, कारोबारियों, दुकानदारों एवं जनता में आक्रोश  व्याप्त है। इस संदर्भ में चुनाव आयोग को की गई शिकायत से साहब भी हैरान हैं। क्योंकि क्षेत्र में जो विकास कार्य चल रहे हैं, वह वहां की जनता की मांग पर हो रहें हैं।

न खुदा ही मिला न…
हम सभी ने यह शेर सुना है कि …न खुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के हुए न उधर के हुए, लेकिन यह वर्तमान में 2018 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा की एक महिला अधिकारी निशा बांगरे पर सटीक बैठ रही है। दरअसल, मैडम पर चुनावी रण में उतरने की खुमारी कुछ इस कदर चढ़ी की उन्होंने करीब तीन महीने पहले अपनी रसूखदार पद वाली नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने उनके इस्तीफे को मंजूर नहीं किया था। इस्तीफे को लेकर उन्होंने करीब तीन महीने तक लंबी लड़ाई लड़ी और अदालती हस्तक्षेप के बाद दशहरे के दिन उनका इस्तीफा मंजूर हुआ। इस्तीफा मंजूर होने के बाद चर्चाओं ने जोर पकड़ा और उनको टिकट मिलने की संभावना बन गई। इसके लिए उन्होंने बकायदा कांग्रेस की सदस्यता भी ली, लेकिन पार्टी ने स्पष्ट कर दिया कि वे चुनाव नहीं लड़ रही हैं।

अब भविष्य संवारेंगे साहब
चुनाव लडऩे की आस में विंध्य क्षेत्र की सबसे बड़ी प्रशासनिक कुर्सी छोडक़र  वीआरएस लेने वाले 2003 बैच के प्रमोटी आईएएस अधिकारी राजीव शर्मा  ने आनन फानन में वीआरएस तो ले लिया, लेकिन उन्हें किसी भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया। ऐसे में साहब का कहना है कि अब वे समाज सेवा करेंगे। उनका कहना है कि समाज सेवा के लिए मैंने वीआरएस लिया है। इसके लिए केवल राजनीति ही जरिया नहीं हैं। समाज सेवा के लिए अन्य कई विकल्प है। उन विकल्पों के साथ अपने गृह जिले की तस्वीर बदलने, सोच बदलने के लिए वापस आया हूं। सूत्रों का कहना है की माफियागिरी के लिए कुख्यात जिले का भविष्य सुधारने के लिए साहब जल्द ही बड़ा अभियान शुरू करेंगे। इसके लिए उन्होंने कार्य योजना पर काम भी शुरू कर दिया है। प्रशासनिक वीथिका में भी साहब के नए कदम का इंतजार है।

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