वन महकमें में वानिकी के कामों का जिम्मा होगा ठेकेदारों के पास

वन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वन महकमें में सामाजिक वानिकी के तहत होने वाले काम अब विभाग अपने कर्मचारियों की जगह ठेकेदारों से कराने जा रहा है। इसके आदेश राज्य शासन द्वारा हाल ही में जारी कर दिए गए हैं। ठेकेदारों के माध्यम से जो काम कराए जाएंगे उसमें  कैंपा फंड और पौधारोपण से संबंधित सभी वानिकी कामों को शामिल किया गया है। इसके तहत भवन मरम्मत से लेकर गड्ढों की खुदाई से लेकर चैनलिंक फेंसिंग के कार्य भी आते हैं।
विभाग में इस तरह के हर साल काम कराने पर करीब डेढ़ अरब रुपए खर्च किए जाते हैं। इस आदेश को लेकर विभाग के अफसर ही सहमत नहीं दिख रहे हैं। विभाग के कई अफसरों ने सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि वानिकी कार्य में बाहरी ठेकेदारों से काम कराना वन संरक्षण अधिनियम के विरुद्ध है। इस आदेश से बड़े ठेकेदारों और राजनेताओं का दबाव बढ़ जाएगी। बड़े ठेकेदारों द्वारा कराए जाने से गड़बड़ी की आशंका और बढ़ जाएगी।  
जारी आदेश में कहा गया है कि विभागीय निर्माण एवं मरम्मत कार्य निविदा प्रक्रिया के तहत करने के निर्देश जारी किए गए हैं। किसी आदेश में कहा गया है कि वृक्षारोपण में वानिकी कार्य जैसे पौधा तैयारी, गड्ढा खुदाई, वृक्षारोपण, गैर वन क्षेत्र में पर्यावरण वानिकी कार्य और वन्यजीव क्षेत्रों में चैनलिंग फेंसिंग कार्य को निविदा के माध्यम से कराए जाएं। इसके साथ ही ठेकेदारी से कराए जाने वाले कार्यों के भुगतान के संबंध में बजट मद का निर्माण कर पुनर्विनियोजन का प्रस्ताव भी तत्काल भिजवाने को कह गया है। इस आदेश के लागू होने से माना जा रह है कि अब विभाग में भी अन्य विभागों की ही तरह बड़े ठेकेदारों का प्रभुत्व बढ़ जाएगा।
अभी तक यह है व्यवस्था
पौधारोपण से लेकर भवन मरम्मत के सभी कार्य डीएफओ अपने स्तर पर करते आ रहे हैं। मिट्टी और गोबर खाद, चैन लिंक के अलावा रेट सीमेंट गिट्टी की खरीदी वन मंडल अपने स्तर पर निविदा बुलाकर करता आ रहा है। इस प्रथा के कारण कई डीएफओ पर खरीदी में घपलेबाजी  के आरोप लगाते रहे हैं। इस आदेश को लेकर शासन का तर्क है कि डीएफओ को जबरन जांच के दायरे में आने से बचाने के लिए यह आदेश जारी किया गया है।
अफसरों ने उठाए सवाल
शासन के आदेश कई मैदानी आईएफएस अधिकारियों ने सवाल खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि वानिकी कार्य में बाहरी ठेकेदारों से काम कराना वन संरक्षण अधिनियम के विरुद्ध है। इस आदेश से बड़े ठेकेदारों और राजनेताओं का दबाव बढ़ जाएगी। बड़े ठेकेदारों द्वारा कराए जाने से गड़बड़ी की आशंका और बढ़ जाएगी।

Related Articles