- वीडी शर्मा से लेकर आलोक संजर तक का नाम शामिल
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा की चौथी सूची जारी होने के साथ ही भोपाल जिले की एक विधानसभा सीट छोडक़र सभी सीटों की तस्वीर साफ हो गई है, लेकिन दक्षिण-पश्चिम सीट पर अब भी असमंजस बना हुआ है। यही सीट वैसे तो भाजपा की ही सीट मानी जाती रही है, लेकिन बीते चुनाव में इसे कांग्रेस ने जीतकर भाजपा को बड़ा झटका दिया था। दरअसल राजधानी की जिन दो सीटों को बीते चुनाव में भाजपा ने गंवाया था, उन दोनों ही सीटों के प्रत्याशियों से जनता की नाराजगी पहले से ही जग जाहिर थी। इसके बाद भी पार्टी ने उनका टिकट नहीं काटा था।
अब यही सीट भाजपा के लिए मुश्किल बनी हुई है। इसकी वजह है, बीते चुनाव में अपनी-अपनी सीट गंवाने वाले दोनों नेता इस सीट से दावेदारी कर रहे हैं। इनमें पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता और सुरेन्द्र नाथ सिंह शामिल हैं। माना जा रहा है कि इन दोनों नेताओं की दावेदारी में अब भाजपा किसी तीसरे नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। यह नया चेहरा कौन होगा इसको लेकर कयासों को दौर चल रहा है। फिलहाल जिन नए चेहरों के नाम चर्चा में हैं उनमें पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से लेकर जिलाध्यक्ष सुमीत पचौरी, नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी और पूर्व सांसद आलोक संजर का नाम शामिल है। बीते रोज भाजपा की चौथी सूची में जिन उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है, उनमें चार प्रत्याशी राजधानी की चार विधानसभा सीटों के भी शामिल हैं। इसके साथ ही भोपाल जिले की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट को छोडक़र भाजपा ने अपने सभी प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। दक्षिण- पश्चिम में भाजपा को दमदार उम्मीदवार की दरकार है, इसलिए इस सीट पर पार्टी में अभी मंथन चल रहा है। भाजपा ने 57 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। पार्टी ने बैरसिया से विष्णु खत्री, नरेला से विश्वास सारंग, गोविंदपुरा से कृष्णा गौर और हुजूर से रामेश्वर शर्मा को टिकट दिया है। भोपाल उत्तर से आलोक शर्मा और मध्य से ध्रुवनारायण सिंह के नाम का ऐलान पार्टी पहली सूची में कर चुकी है। अब तक जिले के छह टिकट घोषित किए जा चुके हैं। जिले में अब दक्षिण-पश्चिम एकमात्र सीट बची है, जिस पर पार्टी को अपने प्रत्याशी का चुनाव करना है। दक्षिण-पश्चिम सीट भाजपा के लिए चुनौती है, क्योंकि कांग्रेस के पीसी शर्मा इस सीट से मौजूदा विधायक हैं।
उनकी दावेदारी एक बार फिर से मजबूत है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि भाजपा जिस उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी, उसका मुकाबला कांग्रेस के पीसी शर्मा से ही होना है। शर्मा कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उन्हें सहज और सरल नेता माना जाता है। यही वजह है कि भाजपा इस सीट पर बेहद मजबूत चेहरा चाहती है। शर्मा से चुनाव हारने वाले उमाशंकर गुप्ता अपनी दावेदारी सेे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। वे यहां से तीन बार विधायक रहे हैं। इस सीट को कायस्थ बहुल सीट माना जाता है। इस वजह से पूर्व सांसद आलोक संजर की भी दावेदारी मजबूत बनी हुई है। वे सीट के जातीय समीकरण में पूरी तरह से फिट बैठते हैं। इस सीट पर पार्टी के जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी की भी नजर है। यह बात अलग है कि वे नरेला विधानसभा सीट से आते हैं, लेकिन उस सीट पर भाजपा द्वारा एक बार फिर से विश्वास सारंग को प्रत्याशी बनाया जा चुका है, ऐसे में वे दक्षिण-पश्चिम से दावेदारी कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो इस सीट पर भाजपा अपने प्रदेश अध्यक्ष शर्मा को भी चुनाव मैदान में उतार सकती है। इसको लेकर पार्टी में शीर्ष स्तर पर मंथन किया जा रहा है। भाजपा ने टिकट वितरण में अब तक जिस तरह से चौंकाने वाले फैसले लिए हैं, उसी तरह से विष्णुदत्त शर्मा को टिकट देने का फैसला भी लिया जा सकता है। शर्मा अभी खजुराहो से सांसद हैं।
होगा कड़ा मुकाबला
भाजपा ने अब तक जो सीटें घोषित की हैं और जिस तरह से कांग्रेस के दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं, उससे साफ है कि सभी सीटों पर मुकाबला बेहद कड़ा होने वाला है। बैरसिया सीट से भाजपा ने विष्णु खत्री पर फिर से दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस का उम्मीदवार अभी घोषित नहीं हुआ है। इस सीट से जयश्री हरिकृष्ण और राम मेहर प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। नरेला सीट पर भाजपा प्रत्याशी विश्वास सारंग के मुकाबले कांग्रेस के मनोज शुक्ला और डा. महेंद्र सिंह चौहान दावेदारी कर रहे हैं। गोविंदपुरा सीट पर भाजपा की कृष्णा गौर के मुकाबले रवींद्र साहू झूमरवाला और दीप्ति सिंह की दावेदारी बनी हुई है। हुजूर सीट पर भाजपा उम्मीदवार रामेश्वर का मुकाबला कांग्रेस के नरेश ज्ञानचंदानी और पूर्व विधायक जितेंद्र डागा से होने के आसार हैं। मध्य सीट पर ध्रुवनारायण सिंह का मुकाबला कांग्रेस के मौजूदा विधायक आरिफ मसूद से होना पहले से ही तय है।