सूचना आयुक्त के 8 पद खाली, शिकायतों का लगा अंबार
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सूचना आयोग में 2 साल से आयुक्तों की नियुक्ति की राह देखी जा रही है, लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं हो पाई है। आयुक्त के 8 पद खाली पड़े है। आयुक्तों की कमी के कारण अपील के लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि लोगों को न्याय कैसे मिलेगा। आमजन के पास सूचना पाने का सशक्त हथियार है, सूचना का अधिकार। नौकरशाहों और सरकार के लिए यह परेशानी भी है। ऐसे में जानकारी देने के बजाय अफसरों का प्रयास जानकारी छुपाने में ज्यादा रहता है। हालांकि इसमें उन्हें कामयाबी कम ही मिल पाती है। दूसरी ओर आयोग में काम का बोझ लगातार बढ़ा है। इससे व्यक्ति को अपने सवाल का जवाब पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा कारण राज्य सूचना आयुक्तों की संख्या में कमी आना है। गौरतलब है कि आम लोगों को सूचना पाने का अधिकार देने के लिए प्रदेश में 18 साल पहले आरटीआई कानून लागू किया गया था। इससे लोगों को लाभ भी हो रहा है। लेकिन सरकारी सिस्टम ही इस व्यवस्था को कमजोर करने में लगा हुआ है। दरअसल राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की संख्या काफी कम हो गई है। नियमानुसार राज्य में अधिकतम 10 राज्य सूचना आयुक्त और एक मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति की जा सकती है। लेकिन सरकार ने कभी भी यहां 10 सूचना आयुक्त नहीं बिठाए। मौजूदा स्थिति में राज्य सूचना आयुक्तों की संख्या घटते- घटते दो रह गई है। एक सूचना आयुक्त अरुण कुमार पाण्डेय का कार्यकाल हाल ही में समाप्त हुआ है। आयोग में एक साल से आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। नवंबर 2021 में सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे थे। 121 दावेदारों ने आवेदन किए थे। इनमें रिटायर्ड आइएएस, आइपीएस, कई रिटायर्ड जज से लेकर पत्रकार भी शामिल हैं।
इस माह एक और आयुक्त हो जाएंगे रिटायर
आयोग में पिछले दो साल में चार आयुक्तों के पद खाली हुए हैं। इनमें रिटायर आइएएस डीपी अहिरवार, राजकुमार माथुर, रिटायर आईपीएस सुरेन्द्र सिंह, रिटायर आइएफएस गोल्ला कृष्णमूर्ति शामिल हैं। इन सभी सूचना आयुक्तों का कार्यकाल वर्ष 2021 में पूरा हुआ। अरुण कुमार पाण्डेय का कार्यकाल बीते 20 जुलाई को पूरा हो गया। अब सिर्फ दो आयुक्त विजय मनोहर तिवारी और राहुल सिंह ही कार्यरत हैं। एक का कार्यकाल अक्टूबर में समाप्त हो रहा है और जबकि दूसरे आयुक्त का कार्यकाल मार्च में समाप्त हो रहा है। अब अगर मार्च से पहले नियुक्तियां नहीं कीं, तो आयोग में आमजन की सुनवाई बंद हो जाएगी। राज्य सरकार ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नवंबर 2021 में आवेदन बुलाए थे। थोक में आवेदन आने के बाद भी राज्य सरकार नियुक्ति नहीं कर पाई। अब अगर प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई, तो सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का रास्ता कुछ समय के लिए बंद हो जाएगा। नई सरकार के गठन के बाद ही इसकी प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकती है।
दो साल से चल रही नियुक्ति प्रक्रिया
राज्य सूचना आयोग में 10 में से 8 पद खाली हैं। डेढ़ साल से सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। नवंबर 2021 में सामान्य प्रशासन विभाग ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आवेदन बुलाए थे। 121 दावेदारों ने आवेदन किए। लेकिन आवेदन जमा होने के पूरे ड़ेढ साल बाद भी कोई नई नियुक्ति नहीं हो सकी है। आयोग में आयुक्तों की संख्या में लगातार कमी होने का असर सीधे तौर पर कामकाज पर पड़ रहा है। इस वजह से लंबित मामले बढ़ गए हैं और इस समय आयोग में 6 हजार प्रकरण लंबित हैं। आयोग में केवल आयुक्त नहीं, बल्कि अन्य कर्मचारियों की संख्या भी बहुत कम है। यहां अधिकारी, शीघ्र लेखक और लिपिक संवर्ग के 57 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 33 कर्मचारी ही कार्यरत हैं।