इस्लामाबाद। स्वतंत्र सोच वाले न्यायाधीश के रूप में गिने जाने वाले जस्टिस काजी फैज ईसा ने पाकिस्तान के 29वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 13 महीने का होगा और अगले साल 25 अक्टूबर को समाप्त होगा। जस्टिस इसा (63) को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस्लामाबाद के ऐवान-ए-सद्र में एक समारोह में शपथ दिलाई। उन्होंने उमर अता बंदियाल के सितंबर में सेवानिवृत्त होने के बाद उनकी जगह ली। इस दौरान कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर आदि मौजूद रहे। जस्टिस ईसा को स्वतंत्र विचारों वाला माना जाता है। 2019 में फैजाबाद में एक धार्मिक संगठन के धरने को लेकर शक्तिशाली संगठन के खिलाफ दिए गए फैसले के बाद उन्हें निशाना बनाया गया था। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दाखिल किया गया था, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान गंभीर संवैधानिक, कानूनी और राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। उनकी मुख्य परीक्षा नौ अगस्त को संसद भंग होने के 90 दिनों के भीतर आम चुनाव कराना होगा। हालांकि उनकी सबसे बड़ी चुनौती शीर्ष अदालत की प्रतिष्ठा और तटस्थता को बहाल करना है। खास कर तब जबकि उनके पूर्ववर्ती उमर अता बंदियाल पर पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के प्रति नरम रुख रखने का आरोप लगाया गया है। इस मौके पर नेशनल असेंबली के अध्यक्ष राजा परवेज अशरफ ने न्यायमूर्ति ईसा को बधाई दी। साथ ही उम्मीद जताई कि उनके नेतृत्व में न्याय प्रदान करने वाली संस्थाएं अधिक सक्रिय तरीके से काम करेंगी। उन्होंने कहा कि देश में कानून के शासन और न्याय के प्रावधान के लिए विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका का एक साथ काम करना जरूरी है।