- प्रदेश में स्कूल से दूर रहने वाले 18 हजार बच्चों की हुई पहचान
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। हर बार नए सत्र के शुरू होते ही प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को स्कूल लाने के लिए गृह संपर्क अभियान चलाया जाता है , लेकिन फिर भी स्कूल न आने वाले बच्चों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है, बल्कि उनका आंकड़ा कई बार तो बढ़ भी जाता है। यह अभियान शाला त्यागी या अप्रवेशित बच्चों के लिए चलाया जाता है। इस अभियान के तहत मिलने वाले बच्चों का विभाग हर साल स्कूलों में दाखिला कराता है, लेकिन बच्चों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब इस सत्र में भी विभाग द्वारा छह से 14 वर्ष आयु वर्ग के स्कूल से बाहर के बच्चों को चिन्हित करने का अभियान चलाया गया है, जिसमें स्कूल न जाने वाले 18,331 बच्चों का पता लगाया गया है। इनमेंं 10,178 लडक़े और 8,153 लड़कियां शामिल हैं। इसी तरह से इस अभियान के तहत बीते साल भी 12 हजार बच्चों का पता लगाया गया था। इस बार मिले बच्चों को अब स्कूल तक पहुंचाने के लिए विभाग द्वारा सभी कलेक्टर्स को निर्देश जारी किए हैं कि 15 सितंबर तक इन बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाए। विभाग इन बच्चों को शिक्षा के मुख्य धारा से जोडऩे के लिए गृह संपर्क अभियान चलाया, लेकिन वह भी फेल रहा। इन बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाकर विशेष प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से सीखने की क्षमता को दूर करने करने का प्रयास किया जाएगा।
17 जिलों में एक भी शाला त्यागी बच्चे नहीं हैं
प्रदेश के 17 ऐसे जिले हैं, जहां एक भी शाला त्यागी बच्चा नहीं है। इसमें भोपाल, उमरिया, टीकमगढ़, सीधी, शहडोल, रीवा, पन्ना, मंदसौर , अनुपपूर , होशंगाबाद, हरदा, देवास, दमोह, भिंड, अशोकनगर, आदि शामिल है। इन जिलों में विभाग की ओर से विशेष प्रशिक्षण केंद्र भी नहीं लगाया जाएगा। हालांकि विभागीय अधिकारियों का मानना है कि शाला त्यागी और अप्रवेशित बच्चों की संख्या 50 हजार के करीब है। सभी की मैपिंग की जा रही है। वहीं सबसे ज्यादा बड़वानी, बुरहानपुर, खंडवा व शिवपुरी में शाला त्यागी बच्चे हैं। इस मामले में अफसरों का कहना है कि इसमें ऐसे बच्चे अधिक शामिल हैं,जो अपने माता-पिता के साथ दूसरे शहर में काम के सिलसिले में चले गए होंगे। वहीं कुछ बच्चे प्रवेश लेने के बाद दूसरे जगह चले जाते हैं।