भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में रेत खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो गई है। मप्र सरकार ने इस बार 1500 करोड़ रुपए के मुनाफे का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन रविवार तक हुई नीलामी में 1676 करोड़ रुपए सरकार को मिले हैं। नीलाम खदानें सितम्बर के बाद से चालू होंगी। प्रदेश में बालाघाट की जिला रेत खदान समूह सबसे महंगी नीलाम हुई है। यहां खदान समूह की ऑफसेट प्राइज 37 करोड़ रुपए रखी गई थी, लेकिन ये रेत खदान समूह 84 करोड़ से अधिक में नीलाम हुई। यानी ऑफसेट प्राइज से 31 फीसदी ज्यादा में खदान नीलाम हुई। महंगी रेत खदानें नीलाम होने से सरकार को रेवन्यू का फायदा तो हुआ है, लेकिन इसकी कीमतें जनता को अपनी जेब से देनी होगी। प्रदेश में 42 जिले की 44 रेत खदान समूहों की नीलामी की आखिरी तारीख आज है, लेकिन अब तक करीब 25 जिलों में रेत खदान समूह के नीलामी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। खनिज संसाधन विभाग द्वारा मप्र के 44 जिलों में 101 रेत खदानों को नीलाम किया जाएगा। रेत की खदानें अगले तीन साल के लिए नीलाम की जाएगी। निविदा में आने वाले अधिकतम मूल्य को आधार बनाकर खदानों की बोली लगवाई जाएगी। यह खदानें तीन साल के लिए नीलाम होंगी।
नर्मदापुरम में होंगे तीन समूह
रेत उत्खनन के मामले में मप्र में नर्मदापुरम सबसे बड़ा जिला है। नर्मदापुरम में तहसील स्तर पर तीन समूह बनाए गए हैं, जबकि 43 जिलों में जिला स्तर पर ही रेत समूह नीलाम होंगे। नर्मदापुरम जिले में तीनों रेत खदानों का निविदा के लिए प्रारंभिक आधार मूल्य 160 करोड़ (75, 55 और 30 करोड़) रुपए निर्धारित किया गया है। इस तरह सभी 44 जिलों में रेत खदानों का प्रारंभिक निविदा मूल्य 779 करोड़ रुपए रखा गया है। नर्मदापुरम की रेत खदानें भी नीलाम हो गई हैं। यहां तीनों रेत खदान समूह ऑफसेट प्राइज से एक करोड़ से लेकर पांच करोड़ रुपए से अधिक में नीलाम हुई हैं। भोपाल और सीहोर की रेत खदानें काफी महंगे दामों में नीलाम हुई हैं, सीहोर जिले की रेत खदानों की न्यूनतम दर 65 करोड़ तय की गई थी, लेकिन करीब 70 करोड़ में नीलाम हुई है। रेत कारोबार से जुड़े सूत्रों के अनुसार प्रदेश की 25 जिलों की 27 रेत समूहों के नीलामी की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। शेष जिला रेत खदान समूहों के नीलामी की प्रक्रिया अभी जारी है। बताया जाता है कि खदानों की ऑफसेट प्राइज 1,250 करोड़ रुपए तय की गई थी, लेकिन रविवार तक हुई नीलामी में 1676 करोड़ रुपए सरकार को मिले हैं। नीलाम खदानें सितम्बर के बाद से चालू होंगी।
17 जिलों में ठेकेदारों की रुचि नहीं
प्रदेश के 17 जिला खदान समूहों के लिए ठेकेदारों ने रुचि नहीं दिखाई है। इनमें गुना राजगढ़, धार, देवास, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, शाजापुर, डिंडोरी, पन्ना, टीकमगढ़, आलीराजपुर, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम आगर मालवा और भिंड जिला शामिल हैं। इन जिलों में एक और दो ठेकेदारों ने निविदा में शामिल हुए थे, लेकिन इनमें से अधिकांश ठेकेदार उपयुक्त नहीं पाए गए। कुछ खदानों के लिए तीन दो से ज्यादा ठेकेदार बोली में शामिल हुए, लेकिन इन्हें तकनीकी रूप से योग्य नहीं पाए जाने के कारण निविदा प्रक्रिया को शून्य कर दी गई है।
रेत नीलामी का जिम्मा खनिज निगम का
मप्र सरकार ने रेत खदानों की नीलामी प्रक्रिया का जिम्मा खनिज निगम को सौंपा है। रेत खदानों का संचालन खनिज निगम ही करेगा। इस बार पहली बार खनिज निगम सभी तरह की जरूरत अनुमतियां लेकर ही ठेकेदारों को सौंपेगा। ऐसे में रेत ठेकेदानों को किसी तरह की परेशानी से नहीं जूझना होगा। इससे पहले ठेकेदार ही इस तरह की अनुमतियां लेते हैं, नतीजतन एक-एक साल तक ठेकेदार अनुमति नहीं ले पाते थे और वे बीच में ही रेत ठेके छोड़ देते थे। बता दें इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार में साल 2019 में रेत खदानें नीलाम हुई थीं, इस दौरान 1400 करोड़ का मुनाफा हुआ था। इस बार 1500 करोड़ रुपए का मुनाफा तय किया गया है।
03/09/2023
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