बगैर मान्यता मिले ही करा डाली कई कॉलेजों ने परीक्षाएं
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। पूरे देशभर में बदनामी की वजह बने प्रदेश के निजी नर्सिंग महाविद्यालयों की मनमानी रुकने का अब भी नाम नहीं ले रही है। हालत यह है कि इस मामले में आए दिन कोई न कोई न कोई शिकायत सामने आती रहती है। सरकार व शासन स्तर पर इनका इतना प्रभाव है कि तमाम गड़बडिय़ों के बाद भी उन पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जाती है। यही वजह है कि उनके प्रबंधन मनमानी करने में पीछे नहीं रहते हैं। ऐसा ही एक नया मामला परीक्षा को लेकर सामने आया है। प्रदेश के आधा दर्जन महाविद्यालयों ने मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा बगैर मान्यता एवं संबद्धता के ही परीक्षा तक का आयोजन कर डाला। अहम बात यह है कि यह सभी कॉलेज ग्वालियर जिले के हैं। इनमें से पांच तो ग्वालियर शहर में संचालित होते हैं , जबकि एक इसी जिले के डबरा में संचालित किया जा रहा है। अहम बात यह है कि इन्हें मान्यता नहीं मिलने और संबद्धता भी नहीं दी गई है। इसकी वजह से यह सभी अवैध श्रेणी में आते हैं। हद तो यह है कि कानूनी रूप से दी गई परीक्षा का रिजल्ट जारी न करने की सलाह के बाद भी विश्वविद्यालय के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक ने इन छात्रों का रिजल्ट जारी कर छात्रों को उत्तीर्ण भी कर दिया। यह पूरा मामला वर्ष 2018-19 का है। इस मामले का खुलासा वर्ष 2020 में जारी हुई रिपोर्ट और पत्रों के सामने आने के बाद हुआ है। इस मामले का खुलासा भी ऐसे समय हुआ है जब सीबीआई यह जांच कर रही है कि जो कॉलेज खुले हैं, वे स्टाफ और संसाधन आदि का कोरम पूरा कर रहे हैं या नहीं। इसके साथ ही यह भी खुलासा हुआ है कि फेल छात्रों की अंकसूची में फेरबदल करते हुए उन्हें पास तक कर दिया गया। इसमें भी बेहद अहम बात यह है कि अधिकतर परीक्षा परिणामों पर इंटरनल के साइन हैं और एक्सटर्नल के साइन ही नहीं हैं। हाइलेबल कमेटी ने इस परीक्षा के लिए तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक को दोषी माना था। इस कमेटी की रिपोर्ट 278 छात्रों के फर्जी होने का भी उल्लेख किया गया था। इसके बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई तक नहीं की गई है। हैरत की बात तो यह भी है कि जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जिन छात्रों ने कभी कॉलेज में प्रवेश तक नहीं लिया उनको भी पास कर दिया गया। इसके साथ ही एक ही एनरोलमेंट नंबर पर किसी और को भी परीक्षा दिला दी गई है।
नहीं मानी एमपीएनआरसी की सलाह
मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने वर्ष 2018-19 में प्रवेशित छात्र-छात्राओं की मुख्य परीक्षा के संबंध में मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय को 16 जनवरी 2020 को पत्र लिखकर रजिस्ट्रार को जानकारी दी गई थी कि मध्यप्रदेश नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियम 2018 के अंतर्गत जिन नर्सिंग संस्थाओं को वर्ष 2018-19 की मान्यता प्रदान नहीं की गई है, उनमें से कुछ संस्थाओं ने न्यायालय में याचिका दायर की है कि जिसमें न्यायालय द्वारा अंतिम निर्णय नहीं दिया गया है। दरअसल मान्यता देने का अधिकार नर्सिंग काउंसिल भोपाल के पास है। इसके बाद भी उक्त नर्सिंग संस्थाओं द्वारा छात्र-छात्राओं की परीक्षा में शामिल कराने के लिए विश्वविद्यालय से पत्राचार किया जा रहा है। पत्र में एमपीएनआरसी रजिस्ट्रार ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के तत्कालीन रजिस्ट्रार को लिखा था कि आपको अवगत कराया जाता है कि नर्सिंग काउंसिल के निर्देशानुसार ही संबंधित नर्सिंग संस्था की संबद्धता/परीक्षा संबंधी कार्रवाई करना तय करें। अन्यथा किसी भी प्रकार की अनियमितता होने पर आप स्वयं जिम्मेदार होंगे। इस पत्र के बावजूद जिन छ कॉलेजों को एफिलिएशन नहीं मिला उनकी परीक्षा कराने के बाद परिणाम जारी कर दिए गए ।
इन कॉलेजों ने कराई थी परीक्षा
जिन कॉलेजों द्वारा परीक्षा कराने का खुलासा हुआ है , उसमें वंदेमातरम सोसायटी रनिंग वीआईपीएस नर्सिंग कॉलेज , गुमाला सोसायटी रनिंग आर्यन स्कूल ऑफ नर्सिंग, रामकृष्ण कॉलेज ऑफ नर्सिंग , एसआर नर्सिंग कॉलेज, लॉर्ड कृष्णा नर्सिंग कॉलेज, ग्वालियर और डबरा नर्सिंग कॉलेज, डबरा शामिल हैं।
आधे कॉलेजों में मिली कई खामियां
ग्वालियर हाईकोर्ट में बीते रोज मध्य प्रदेश की नर्सिंग परीक्षा के मामले में अहम सुनवाई हुई। सीबीआई ने हाईकोर्ट में नर्सिंग कॉलेज की जांच रिपोर्ट पेश की है। सीबीआई द्वारा प्रदेश के 271 में से 140 कॉलेजों की रिपोर्ट पेश की गई। इनमें 50 फीसदी कॉलेज खामियों के साथ संचालित पाए गए हैं। रिपोर्ट देखने के बाद हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, मेडिकल यूनिवर्सिटी की हालत दीया तले अंधेरे जैसी बन गई’। हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी। हाईकोर्ट ने आईएनसी अपने डाटा से सीबीआई के डाटा को मैच कर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि आईएनसी के डाटा में छेड़छाड़ पाए जाने पर सख्त रुख अपनाया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि डाटा में छेड़छाड़ पाए जाने पर इंडियन नर्सिंग काउंसिल और मेडिकल यूनिवर्सिटी के जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर की जाएगी।