हैदराबाद। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने सोमवार को कहा कि भारत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में सहायता के लिए डिजिटल समाधान और नवाचार को बढ़ावा देकर डिजिटल स्वास्थ्य विभाजन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। जी20 इंडिया के तीसरे हेल्थ वर्किंग ग्रुप से संबंधित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. पॉल ने कहा कि भारत का डिजिटल सामान दुनिया के लिए है। देश की डिजिटल संरचना और क्षमताएं वैश्विक आर्थिक विकास और मानव विकास के समर्थक हैं। उन्होंने कहा, ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में भारत डिजिटल समाधानों को बढ़ावा देकर और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की सहायता के लिए नवाचार को बढ़ावा देकर डिजिटल स्वास्थ्य विभाजन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
डिजिटल इंडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान का हवाला देते हुए, पॉल ने कहा, मैं एक डिजिटल भारत का सपना देखता हूं जिसमें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा ई-स्वास्थ्य सेवा द्वारा संचालित दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच योग्य हो। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कार्य समूहों में विचार-विमर्श से पता चलता है कि डिजिटल प्रौद्योगिकियां सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने और स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य, टेलीमेडिसिन और मोबाइल ऐप जैसी पहलों के माध्यम से स्थान या सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बावजूद लोगों तक पहुंच बढ़ाकर सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को सक्षम कर सकता है। उन्होंने कहा कि जी20 हेल्थ वर्किंग ग्रुप सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करने की दिशा में संबंधित देशों के बीच डिजिटल उपकरणों और प्रौद्योगिकियों तक समान पहुंच को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए एक वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल बनाने पर विचार कर रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि सभी देशों को अगली महामारी के लिए तैयार रहने की जरूरत है। उन्होंने सभी हितधारकों से एक साथ आने और ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’, भारत जी20 प्रेसीडेंसी की थीम के लिए कार्य करने का आग्रह किया। जी20 इंडिया प्रेसीडेंसी के हिस्से के रूप में तीसरी स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक चार से छह जून से हैदराबाद में आयोजित की जा रही है और जी20 स्वास्थ्य ट्रैक की तीन प्रमुख प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। भारत की अध्यक्षता में जी-20 सम्मेलन की तीसरी स्वास्थ्य बैठक हैदराबाद में जारी है। इस बैठक में दिल्ली से लेकर पुणे और आईआईटी से लेकर आईसीएमआर तक के वैज्ञानिकों को अपने नवाचार प्रस्तुत करने के लिए बुलाया गया है।
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि पीलिया से लेकर समय पूर्व जन्म तक, सस्ती स्वदेशी नवाचार क्षमताओं को जी-20 देशों के सामने रखा है। उन्हें हैरानी तब हुई जब पता चला कि इन नवाचार को गूगल से लेकर यूएस एफडीए तक से सम्मान मिला है। आईसीएमआर के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि जन्म लेने के 28 दिन के भीतर एक शिशु को सबसे ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। भारत में सालाना लाखों बच्चे समय पूर्व जन्म लेते हैं और इन्हें कई बीमारियों से जान का जोखिम भी होता है। इसके लिए नेमोकेयर रक्षा तकनीक काफी चर्चित हुई है। हमें खुशी है कि जी-20 देशों की ओर से भारतीय नवाचार को लेकर काफी सराहना मिली है। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि नवजात शिशुओं में पीलिया गंभीर मामला है। हाल ही में आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने एनलाइट360 तकनीक की खोज की है। यह तकनीक पीलिया के विभिन्न स्तर को नियंत्रित करने में काफी मददगार साबित हुई है।