यस एमएलए: योजनाओं का पूरा लाभ न मिलने की पीड़ा

रविंद्र सिंह तोमर

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम।  राजनीतिक दृष्टि से हमेशा सुर्खियों में रहने वाली मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट वर्तमान में कांग्रेस के कब्जे में है। इस सीट पर अब तक भाजपा 6 बार, कांग्रेस 3 बार और बीएसपी एक बार जीती है। क्षेत्र में विकास और बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है।  विकास का यह हाल है कि नगर निगम सीमा क्षेत्र में ही पिछले पांच साल से सडक़ भी नहीं बन सकी हैं। लोगों का कहना है कि सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ क्षेत्र को नहीं मिल पाया है। अस्पताल हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं आते। विकास की बात तो ठीक है, लेकिन आम आदमी को बुरी तरह प्रभावित करने वाली महंगाई भी तो नहीं थम रही। हर आदमी महंगाई से परेशान हैं। 1200 रुपए का सिलेंडर है। आदमी तीन दिन की कमाई को सिलेंडर में खपा देगा तो क्या खाएगा? युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा।  दिमनी विधानसभा से वर्तमान में कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर भिडोसा यहां से विधायक हैं। उन्होंने उपचुनाव में भाजपा के गिरिराज दंडोतिया को शिकस्त दी थी। गिरिराज 2018 में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे, लेकिन सिंधिया के साथ भाजपा में आ गए, लेकिन उपचुनाव में वह शिकस्त खा गए। यह सीट तोमर ठाकुर बाहुल्य मानी जाती है, लेकिन ब्राह्मण भी इस सीट पर जीतते रहे हैं, बसपा के टिकट पर 2013 में बलबीर दंडोतिया भी यहां जीत चुके हैं। मुरैना जिला मुख्यालय से सटी यह विधानसभा लंबे समय तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है। 2008 में परिसीमन के बाद यह अनारक्षित हुई। इस विधानसभा में सभी मतदाता ग्रामीण परिवेश के है। भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री मुंशी लाल इसी विधानसभा से लंबे समय तक विधायक रहे है। भिंड- दतिया सीट से मौजूदा सांसद  संध्या राय भी 2003 में इस सीट से विद्यायक रह चुकी हैं।
टिकट के दावेदार
दिमनी से कांग्रेस की ओर से विधायक रविंद्र सिंह तोमर भीडोसा का टिकट लगभग तय है। 2020 में कांग्रेस के टिकट पर रविन्द्र सिंह तोमर भीडोसा 26 हजार वोट से जीते थे। तोमर आर्थिक रूप से बहुत सक्षम उम्मीदवार हैं।  2008 में बसपा और यहां से लड़ चुके थे जनसंपर्क के मामले में रविन्द्र का रिकॉर्ड बेहतर है। वह सरकार से कोई मदद नहीं करा पाते यह अलग है, लेकिन निजी तौर पर वे लोगों की मदद करते रहते हैं। तोमर बिरादरी में उन्हें लेकर फिलहाल ऐसी खास नाराजगी नहीं है। अनावश्यक छोटे मामले में वे दखल नहीं देते हैं। वे बड़े कारोबारी है और यहां के स्थानीय निवासी भी नही हैं। एक औसत छवि उनकी विधायक के रूप में यहां अभी है। रविन्द्र सिंह तोमर का नाम कांग्रेस में फाइनल माना जा रहा है। उनकी टिकट कटने के कोई आधार भी नजर नहीं आ रहे हैं। मधुराज सिंह तोमर, ब्रजराज सिंह तोमर भी कांग्रेस से टिकट की दावेदार हंै। भाजपा की ओर से गिरिराज दंडोतिया भाजपा, देवेंद्र सिंह (रामु तोमर) भाजपा, वेद प्रकाश शर्मा भाजपा, शिवमंगल सिंह तोमर भाजपा, लोकेंद्र सिंह तोमर एडवोकेट दावेदार हैं। गिरराज दंडोतिया सक्रिय हैं, लेकिन जीत के समीकरण कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में ज्यादा सरल थे, जो अब भाजपा में 2018 की तुलना में आसान नहीं लग रहे हैं। बसपा से फिलहाल कोई सक्रिय नहीं है , लेकिन पूर्व विधायक बलबीर सिंह दंडोतिया भी यहां से बसपा के टिकट पर फिर लड़ सकते हैं। इनके अलावा भीमसेन पहाडिय़ा भी दावेदार हैं।
दिमनी का समीकरण
मुरैना जिले की दूसरी विधानसभा सीट दिमनी है। इस विधान सभा क्षेत्र में क्षत्रिय राजपूतों के सर्वाधिक वोट हैं। इसके बाद इस विधानसभा इलाके में निर्णायक स्थिति में ब्राह्मण मतदाता हैं। दिमनी विधानसभा सीट में कुल मतदाता 2,11,151 हैं। इनमें ठाकुर 84 हजार, ब्राह्मण 20 हजार, गुर्जर 12 हजार, हरिजन 25 हजार हैं। दिमनी में तोमर (राजपूत), अनुसूचित जाति व ब्राह्मण मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं।  प्रजापति, रजक, केवट, खटीक, वाल्मीकि वंशकार, राठौर, पटेल समेत अन्य जाती के वोटर भी हैं। यह सीट मुरैना शहर से सटी हुई है, इसलिए मुरैना की राजनीतिक हवा भी यहां प्रभावित करती है। पिछले चार विधानसभा नतीजों का जातिगत आधार पर विश्लेषण किया जाए तो कुछ ट्रेंड आसानी से यहां समझे जा सकते हैं।
तोमर और वीडी की प्रतिष्ठा दांव पर
 इस सीट पर सीधे प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री और क्षेत्रीय सांसद नरेंद्र सिंह तोमर के लिए भी यह क्षेत्र खासा महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके सजातीय वोटर इसी विधानसभा में सर्वाधिक है और उनका सीधा प्रभाव भी यहां स्वयंसिद्ध है। अगर उनके पुत्र रामू तोमर यहां से उम्मीदवार होते हैं ,  तो सजातीय मतदाता उन्हें जिताने में सहायता करेंगे। देवेंद्र (रामू ) तोमर की छवि यहां बहुत ही विनम्र कार्यकर्ता की है। उनके लिए पार्टी के सभी कार्यकर्ता काम पर लग सकते हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि वह तुलनात्मक रूप से थोड़े बेहतर नजर आ रहे हैं। क्या पार्टी नेता पुत्रों को टिकट देने की नीति पर किस सीमा तक समझौता करती है। भाजपा से मजबूत प्रत्याशी के रूप में यहां से क्षेत्रीय सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र सिंह (रामू) तोमर को टिकट देकर इस सीट पर रविन्द्र तोमर को अच्छी टक्कर दी जा सकती है ,क्योंकि रामू तोमर के आने से तोमर वोटर में बड़ा वर्ग भाजपा के साथ जाने की संभावना में स्थानीय जानकार व्यक्त कर रहे हैं। शिवमंगल सिंह तोमर भाजपा टिकट पर दो चुनाव हार चुके है और उनकी छवि यहां आज भी बहुत अच्छी नहीं है । अगर पार्टी ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया तो मुकाबला बसपा और कांग्रेस के बीच टिक सकने की संभावना व्यक्त की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रामू तोमर को अगर टिकट नहीं दी जाती है तो किसी ऐसे ब्राह्मण उम्मीदवार को उतारा जाए जो निर्विवाद हो और नया चेहरा हो।

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