सभी विद्रोहियों के… निशाने पर सिंधिया

 ज्योतिरादित्य सिंधिया

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए महज चंद माह ही रह गए हैं , ऐसे में तीन साल पहले भाजपा की सरकार बनवाने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायक और मंत्री अब पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बन गए हैं। अब तक प्रदेश भाजपा के जो नेता विद्रोही बनकर सामने आए हैं, उन सभी के निशाने पर सिंधिया और उनके समर्थक नेता ही बने हुए हैं। इसकी वजह है सिंधिया समर्थकों को प्रदेश संगठन से लेकर सरकार में बेहद अधिक महत्व मिलना और मूल भाजपाईयों की घोर उपेक्षा की जाना। फिर मामला शासन व प्रशासन का हो या फिर सत्ता में भागीदारी देने का। यही वजह है कि संगठन व सरकार स्तर पर रुठों को मनाने के लिए अब तक किए गए सभी प्रयास पूरी तरह से विफल नजर आ रहे हैं। पूर्व मंत्री दीपक जोशी अब पूरी तरह से कांग्रेसी बन चुके हैं। उनके अलावा कई और नेता उनकी राह पर चलने के लिए पूरी तरह से तैयारी कर चुके हैं। इसकी बानगी बीते कई रोज से नेताओं द्वारा दिए जाने वाले बयानों से सामने आ रही है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है भले ही प्रत्यक्ष रूप से इन नेताओं के निशाने पर सिंधिया हैं , लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से निशाना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा पर भी है। यही वजह है कि अब चुनावी साल में इस तरह के विद्रोह से भाजपा की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। माना जा रहा है कि अभी तो यह शुरुआत है , जैसे-जैसे चुनावी समय पास आता जाएगा, वैसे-वैसे और भी नेता मुखर होंगे। दरअसल तीन साल पहले जब कांग्रेस की कमलनाथ को सरकार से बाहर किया गया था , उस समय भाजपा के रणनीतिकारों ने सिंधिया के साथ उनके समर्थक 22 विधायकों को भाजपा में शामिल किया था। इसके बाद भी जरुरी नहीं होने पर भी कई अन्य विधायकों को मौकों -बेमौकों पर दलबदल कराकर भाजपा में लेकर उन्हें उपकृत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।  सिंधिया के साथ भाजपा में आए उनके समर्थक विधायकों व अन्य नेताओं की वजह से भाजपा के कई नेताओं को भारी नुकसान हुआ है। यही नहीं कई नेताओं का तो राजनैतिक भविष्य तक पूरी तरह से चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है। पार्टी की खातिर ऐसे नेताओं ने अब तक अपनी उपेक्षा को बर्दाश्त किया और इस उपेक्षा से पार्टी से लेकर सरकार तक को अवगत भी कराया गया , लेकिन उनकी बात को कोई तबज्जो नहीं दी गई। इस वजह से अब चुनावी साल में ऐसे नेताओं के सब्र का बांध टूटने लगा है।  उधर, ग्वालियर के पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष ने भी सिंधिया द्वारा अपने महल पर सम्पत्तिकर नहीं देने के मामले में निशाना साधा है।
खुलेआम मचा रखी है लूट
उधर, भंवर सिंह शेखावत ने कहा है कि सिंधिया और उनके समर्थकों के आने के बाद भाजपा पार्टी की जमीन खोखली हो गई। उनके मंत्रियों ने लूट मचा रखी है। जमीनों- खदानों पर कब्जा करना, जुआ-सट्टा चला रहे हैं। यही बात हम संगठन को बता रहे हैं। जिन्होंने भाजपा के खिलाफ काम किया, उन्हें पुरस्कृत कर रहे हैं। जिन्होंने पार्टी के लिए काम किया उनका अपमान कर रहे। उनका सीधा निशाना सिंधिया समर्थक मंत्री राजवर्धन सिंह पर है।  
भाजपा को भाजपा ही हरा सकेगी
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि मध्यप्रदेश में संगठन ने अपनी गलतियां ठीक नहीं की, तो भाजपा ही भाजपा को हरा सकती है। हालांकि हम संगठन की उन गलतियों को ठीक करने की कोशिश में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा नेतृत्व इस ओर ध्यान दे रहा है। पूर्व मंत्री दीपक जोशी के कांग्रेस में जाने और अन्य नेताओं द्वारा पार्टी विरोधी बयान देने के सवाल पर भाजपा नेता विजयवर्गीय ने कहा कि मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि आज की तारीख में मप्र में भाजपा को कांग्रेस नहीं हरा सकती। कांग्रेस में दम नहीं है।
अनूप मिश्रा को कांग्रेस में आने का न्योता
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने अब पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा को कांग्रेस में आने का न्योता दिया है। अनूप बीजेपी के संस्थापक और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे हैं। वे  पूर्व सांसद भी हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अनूप मिश्रा मेरे मित्र हैं। मैं चाहूंगा कि वो कांग्रेस में आएं। मैं उनका स्वागत करूंगा। बीजेपी में आपराधिक तत्वों का जमावड़ा है। इसलिए बेचारे उपेक्षित होकर घर बैठे हैं। जिन लोगों ने पार्टी के लिए खून, पसीना बहाया है, उन अच्छे लोगों की उपेक्षा हो रही है। आज लूट, खसोट की सरकार बन गई है। भंवर सिंह शेखावत, सत्तन जी यदि कांग्रेस में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। उनको उनकी स्थिति के अनुसार पद प्रतिष्ठा देकर सम्मानित किया जाएगा।
सत्तन का भी सिंधिया पर निशाना
 मालवा के वरिष्ठ भाजपा नेता और कवि सत्यनारायण सत्तन इन दिनों केंद्रीय मंत्री सिंधिया के खिलाफ बेहद मुखर हैं। उन्होंने बीते कुछ दिनों में सिंधिया पर जितना हमला बोला है, वह तीन साल पहले उनके साथ मिलकर बनी भाजपा सरकार पर सीधा हमला है और अब तक जो आरोप कांग्रेस लगाती रही थी, वही विधानसभा चुनाव के समय बुजुर्ग भाजपा नेता द्वारा लगाए जा रहे हैं, जो पार्टी के नुकसानदायक साबित हो सकता है। सत्तन का कहना है कि  ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में आकर कोई उपकार नहीं किया। वे स्वार्थ के लिए आए। उनके परिवार पर कुछ नहीं कहना चाहता। वहां उन्हें सम्मान यानी पद नहीं मिला। यहां आए तो पद मिल गया। उन्हें मालूम था कि वे बड़ा नाम हैं, तो उन्हें पद मिल जाएगा इसलिए आए।
प्रभारियों को बताया पंचाली
पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल पूर्व राज्यसभा सदस्य रघुनंदन शर्मा ने इस पूरे मामले पर संगठन को आड़े हाथों लिया है। शर्मा ने संगठन में संवादहीनता पर हमला बोलते हुए कहा है कि आज प्रदेश में पार्टी के पांच प्रभारी हैं लेकिन संवादहीनता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि जिस तरह द्रौपदी की पांच पतियों के कारण जो हालत हुई थी, वही पार्टी में पांच प्रभारी होने के कारण हो रही है। पहले हर कार्यकर्ता की बात को सुना जाता था, समझा जाता था, लेकिन आज परिस्थितियां वैसी नहीं हैं। पांच प्रभारी भी प्रभावशाली ढंग से संगठन चला रहे हों, ऐसा दिखता नहीं।
दगाबाजों की घर वापसी में रोड़ा
उधर, आया- राम गया राम के प्रयास शुरू हो गए हैं। ऐसे कई नेता पुराने दल में वापसी की कोशिश में लगे हुए हैं, जो पार्टी छोड़ चुके हैं। प्रदेश कांग्रेस में भी ऐसे नेताओं की ताजपोशी की तैयारी है। लेकिन पार्टी के कुछ दिग्गज उन नेताओं की घर वापसी की राह में रोड़ा बन रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पीसीसी चीफ कमलनाथ स्वयं ऐसे नेताओं के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद होने की बात कह चुके हैं, लेकिन कुछ नेता चुनाव से पहले अपने पुराने साथियों को पार्टी में शामिल कराना चाहते हैं। दरअसल, चुनाव से पहले ऐसे कुछ नेता पार्टी में शामिल होने के लिए भोपाल से लेकर दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं, जो कांग्रेस की सरकार गिराने में सहयोगी बने थे, लेकिन तब हुए उपचुनाव में, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इनमें से कुछ नेता ऐसे हैं, जिनका कांग्रेस संगठन में अच्छा खासा प्रभाव था। उनके आज भी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से सीधे सम्बन्ध हैं। भाजपा में जाने के बाद भी इन नेताओं का कांग्रेसियों से सम्पर्क बना रहा है और अब वो इन्हीं संपर्कों के सहारे कांग्रेस में वापसी करना चाहते हैं। लेकिन पार्टी के कुछ दिग्गज नेता इसका विरोध कर रहे हैं।

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