राजौरा और सुखवीर की थपथपाई गई पीठ
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा बीते रोज बुलाई गई आला अफसरों की बैठक में एसीएस होम डॉ. राजेश राजौरा और प्रमुख सचिव लोक निर्माण सुखवीर सिंह के कामकाज की तारीफ करते हुए जमकर उनकी पीठ थपथपाई गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजौरा काम के प्रति इतने सजग रहते हैं कि रात को एक बजे भी किसी काम के लिए कहा जाए या सुबह चार बजे तब भी वे पूरी तन्मयता से काम करते हैं। उन्होंने कहा कि हर काम को समय सीमा में करने में राजौरा का कोई सानी नहीं है। इसके अलावा सीएम ने लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई जा रही सडक़ों की गुणवत्ता में सुधार पर जाकर निर्माण कार्य की मानीटरिंग करते हैं, इससे व्यवस्था में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा तैयार किए सॉफ्टवेयर से अब इंजीनियर व ठेकेदार का गठजोड़ नही चल पा रहा है। किसी को मालूम ही नही चलता कि मटेरियल किस लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा।
इसी माह बन जाएंगे राप्रसे के 33 अफसर आईएएस
राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) के 33 अधिकारियों को अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अवार्ड करने के लिए बहुप्रतिक्षित डीपीसी की बैठक 19 मई को रखी गई है। एसएएस के 33 अफसरों में 2021 के 19 और 2022 के 14 पद हैं। दोनों साल की डीपीसी एक साथ इसलिए रखी गई है, क्योंकि 2021 की डीपीसी 2022 में होनी थी, जो नहीं हो पाई। वर्ष 2000 से लेकर 2006 बैच तक के एसएएस अधिकारियों के नाम डीपीसी में रहेंगे। कुल 33 पदों के लिए तीन गुना यानी 99 नामों पर विचार किया जाएगा।
विजयवर्गीय को मिली बड़ी राहत
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी रहे कैलाश विजयवर्गीय को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। ज्यादती की एक शिकायत पर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कैलाश विजयवर्गीय, संघ से जुड़े जीसु बसु और भाजपा नेता प्रदीप जोशी के खिलाफ जांच के निर्देश दिए थे। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। बीते रोज शीर्ष अदालत ने पूर्व में की गई पूरी कार्रवाई को निरस्त करते हुए पूरा प्रकरण मजिस्ट्रेट कोर्ट को फिर से भेज दिया है। पीडि़ता ने विजयवर्गीय व अन्य पर दुष्कर्म व उसे और उसके बेटे को मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। महिला ने दिसंबर 2019 में एक साथ दो शिकायतें दर्ज कराई थीं। एफआईआर नहीं हुई तो महिला ने कोर्ट में परिवाद लगाया था। कोर्ट ने पुलिस को जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया था। इसके बाद विजयवर्गीय हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट चले गए थे।
भाजपा नेताओं के भोपाल की मेयर नहीं उठातीं फोन
भले ही भोपाल नगर निगम की मेयर भाजपा की मालती राय हैं, लेकिन अब वे अपने ही दल के नेताओं के फोन तक नहीं उठाती हैं। यह आरोप भाजपा नेताओं ने बीते रोज भाजपा प्रदेश कार्यालय में हुई बूथ विजय संकल्प अभियान की बैठक में उठाया। यह मामला उठाए जाने से वहां पर सनाका खिंच गया। यही नहीं यह आरोप लगाने वाले शाहर भाजपा के जिला मंत्री राजकुमार विश्वकर्मा ने बैठक के बीच कहा कि जिन्होंने उन्हें जिताने के लिए काम किया वो उनके ही फोन नहीं उठातीं। वो सीएम-पीएम नहीं बन गई। टेडी बियर समझ लिया है। यह बात अलग है कि जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी ने उन्हें यह कहकर बैठा दिया कि बैठक इस विषय के लिए नहीं है। जिसे जो बात करनी है, अकेले आकर बताए। उधर, मेयर ने कहा कि मीटिंग में यदि हूं तो फोन नहीं उठता, लेकिन बाद में सभी के फोन उठाते हैं।