भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की सडक़ों पर आए दिन होने वाले हादसों की खबरें आम हैं। इन सडक़ हादसों में लोगों की जानें भी खूब जाती हैं। यही वजह है कि सरकार द्वारा प्रदेश के सभी प्रमुख राजमार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर हाईवे पुलिस चौकियों का बनाना तय किया था , लेकिन इनमें से करीब तीन दर्जन के निर्माण का काम आज तक शुरू ही नहीं हो सका है। इसकी वजह से न तो हादसों पर रोक लग पा रही है और न ही हादसों से होने वाली मौतों पर लगाम लग पा रही है।
दरअसल हाईवे पुलिस चौकी के जरिए स्टेट और नेशनल हाइवे पर मॉनिटरिंग की जानी है। प्रदेश में नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे सुरक्षा योजना के तहत 80 चौकी बनाने का तय किया गया था। इन चौकियों के बनाने की समय सीमा वर्ष 2017 तय की गई थी। हालात यह हैं कि तय समय सीमा से पांच साल अधिक हो जाने के बाद भी अब तक 48 हाईवे चौकियां ही बन सकी हैं। हद तो यह है कि शासन 31 हाईवे चौकियों के लिए जमीन तक उपलब्ध नहीं करा सका है। सिर्फ नीमच के जीवद फंटा चौकी के लिए एनएच-31 पर जमीन दी है। हालांकि इसका सीमांकन नहीं हुआ है। जिन हाइवे पर 48 चौकियां बनी हैं, उनमें से अधिकतर यातायात पुलिस की बजाय संबंधित थानों के पास हैं। प्रदेश में एसएच और एनएच पर सडक़ हादसों व नियमों की अनदेखी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश को 7 जोन में बांटा था।
पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट भोपाल के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 395 ब्लैक स्पॉट हैं, जिनमें से 215 नेशनल और स्टेट हाइवे पर हैं और प्रदेश में एक साल में सडक़ हादसों में होने वाली कुल मौतों में से 50 फीसदी से अधिक हाइवे पर होती हैं। इधर, प्रदेश में पिछल साल यानी वर्ष 2022 में हुए सडक़ हादसों में 13400 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2021 में ये आंकड़ा 12057 था।
यहां हैं हाइवे चौकियां
नेशनल-स्टेट हाइवे के हिसाब से प्रदेश को 7 जोन में बांटा है। ये इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर-चंबल, भोपाल-नर्मदापुरम, जबलपुर-बालाघाट, सागर, रीवा-शहडोल हैं। उज्जैन व रीवा-शहडोल जोन में सबसे अधिक 9-9, जबलपुर-बालाघाट में 8 तो इंदौर, ग्वालियर-चंबल व भोपाल-नर्मदापुरम में 6-6 चौकियां बनी हैं। सागर में 4 चौकियां बनी हैं। एनएच पर 36 तो 11 चौकियां स्टेट हाइवे पर हैं। 1 चौकी एनएच व एचएच को कवर करती है।
30/04/2023
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