एसपीएस को चाहिए… अर्धसैनिक बलों की तरह पदोन्नति

  • गौरव चौहान
एसपीएस

राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) कैडर के अधिकारियों ने अर्धसैनिक बलों यानी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और रेल पुलिस बल (आरपीएफ) की तर्ज पर पदोन्नति दिए जाने की मांग की है। इस संदर्भ में मप्र के राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर अपनी मांग से अवगत कराया। साथ ही राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) और राज्य वित्त सेवा (एसएफएस) की तर्ज पर पांचवां ग्रेड-पे भी मांगा है। गौरतलब है की अपनी मांगों को लेकर राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों ने गत दिनों राज्यपाल से भी मुलाकात की थी और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा था।
राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से कहा है कि प्रदेश में तीन प्रमुख सेवाओं के अफसर कार्यरत हैैं, इनमें एसएएस, एसपीएस और एसएफएस शामिल हैैं। तीनों कैडर के अफसरों को समान वेतन मिलना चाहिए, लेकिन इस मामले में रापुसे कैडर के अधिकारी पीछे रह गए हैं। एसएएस और एसएफएस कैडर के अफसरों को 8900 रुपए का पांचवां स्केल दिया जा रहा है, लेकिन रापुसे कैडर के अधिकारियों को यह नहीं मिल रहा है। कई बार मांग की जा चुकी है, इसे लागू करने में शासन पर ज्यादा आर्थिक बोझ भी नहीं आएगा, बावजूद इसके वित्त विभाग अड़ंगा लगा देता है।  प्रतिनिधि मंडल में एएसपी निमिषा पांडे, शालिनी दीक्षित, नीतू ठाकुर, बीना सिंह, रश्मि अग्रवाल, रश्मि खरया, अजय पांडे, अमित सक्सेना और आशीष खरे सहित तमाम एसपीएस अधिकारी मौजूद थे।
16 पदों के लिए डीपीसी 2 मई को
उधर, एसपीएस से आईपीएस अवार्ड के लिए 2 मई को दिल्ली में डीपीसी होनी है। यह डीपीसी दो साल से खाली 16 पदों के लिए हो रही है। डीपीसी के दौरान आईपीएस के 16 पदों के लिए तीन गुना यानी 48 अफसरों के नाम शामिल होंगे। इनमें राज्य पुलिस सेवा 1995 बैच के 2 अफसरों के अलावा 1996 और 1997 बैच के अफसरों के नाम शामिल होंगे। लिस्ट में शुरुआती दो नाम 1995 बैंच के अफसरों के हैं। कोर्ट में मामला विचाराधीन होना, ओवर एज होना और विभागीय जांच के कारण आठ अफसरों के लिफाफे बंद रहने की संभावना है। इन नामों में देवेंद्र सिरोलिया 59 साल, गोपाल प्रसाद खांडेल की उम्र 60 साल से ज्यादा और मुन्नालाल चौरसिया भी 60 साल के हो चुके हैं। इसलिए उनके नामों को शामिल नहीं किया जाएगा। विभागीय जांच के कारण प्रकाश चंद्र परिहार के नाम पर विचार नहीं होगा। यही स्थिति विनोद कुमार सिंह और सीताराम ससत्या के साथ है। इनके मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। अरुण कुमार मिश्र की विभागीय जांच हुई थी। हालांकि हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिली है। शासन उसके खिलाफ डबल बेंच में चला गया है। ऐसी स्थिति में उनके नाम पर भी विचार संभव नहीं है। पुरानी विभागीय जांच के कारण अवधेश प्रताप सिंह का भी लिफाफा नहीं खोला जाएगा। सब कुछ ठीक रहा तो 16 खाली पदों के लिए मनीष खत्री, राजेश कुमार त्रिपाठी, सुनील कुमार मेहता, वीरेंद्र जैन, देवेंद्र कुमार पाटीदार, राय सिंह नरवरिया, रामशरण प्रजापति, सुंदर सिंह कनेश, राजेश व्यास, पद्म विलोचन शुक्ला, सुधीर कुमार अग्रवाल, पंकज कुमार पांडेय, अजय पांडेय, संजय कुमार अग्रवाल दिलीप सोनी और राजेंद्र कुमार वर्मा के नामों को शामिल किया जा सकता है। राज्य पुलिस सेवा के अफसरों से आईपीएस की वर्ष 2022 में एक ही वैकेंसी निकली थी। जबकि इस वर्ष की डीपीसी में 6 अफसरों को आईपीएस अवार्ड होना है। दरअसल पिछले साल जून में आईपीएस कॉडर रिव्यू हुआ था, जिसमें राज्य पुलिस सेवा से आईपीएस अवार्ड के लिए पांच पदों का इजाफा हुआ था। इसके चलते इन अफसरों को पांच पद और मिल गए।
जिलों की कमान भी सौंपी जाए
अधिकारियों का तर्क है कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों में एसपीएस कैडर के अफसरों को जिलों में एसपी और कमांडेंट के तौर पदस्थ किया जाता है। मध्यप्रदेश में भी पहले यह व्यवस्था लागू थी, लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है। अब आईपीएस अवार्ड होने के बाद ही रापुसे के अधिकारी जिलों में एसपी बनाए जा रहे हैं। चूंकि एसपीएस अफसरों के आईपीएस बनने में दिक्कत है, इसलिए उन्हें जिलों की कमान सौंपी जानी चाहिए। अफसरों को सुनने के बाद सीएम ने आश्चर्य जताया कि आप लोगों को अभी तक 8900 रुपए का ग्रेड-पे क्यों नहीं मिल रहा है। उन्होंने देर से होने वाली एसपीएस की पदोन्नति पर भी आश्चर्य जताया और कहा कि हम इसे दिखवाते हैं।
आईपीएस में 50 प्रतिशत पद दिया जाए
रापुसे के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के सामने पदोन्नति को मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में अभी 33 प्रतिशत पद दिए जाते हैं। यानी आईपीएस के 100 पदों में सिर्फ 33 पदों पर ही रापुसे के अधिकारी पदोन्नत होते हैं। अधिकारियों ने आईपीएस के 50 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरने की मांग की है। अधिकारियों का कहना है कि यदि आईपीएस के 50 प्रतिशत पदोन्नति से नहीं भरे जाते हैं तो कई अधिकारी आईपीएस बनने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में जिस तरह से सीआरपीएफ और आरपीएफ में अधिकारियों को पदोन्नत कर डीआईजी और आईजी बनाया जाता है, उसी तरह से प्रदेश में भी अलग कैडर बनाकर हम लोगों को पदोन्नति दी जाए।
25 साल सेवा के बाद भी आईपीएस अवॉर्ड नहीं
रापुसे के अधिकारियों ने सीएम को जो ज्ञापन सौंपा है उसमें कहा गया है कि पिछले कई साल से राज्य पुलिस सेवा में नौकरी के बाद भी आईपीएस अवॉर्ड नहीं हुआ है। मध्य प्रदेश में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी कैडर कुप्रबंधन के चलते वर्तमान में कई विसंगतियों और परेशानियों का सामना कर रहे हैं। देश में ज्यादातर राज्यों में राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में 10 से 15 साल सर्विस वाले अधिकारियों का चयन हो रहा है। वहीं, मध्यप्रदेश में 25 साल से ज्यादा सर्विस वाले एसपीएस अधिकारी भी कैडर के समुचित प्रबंध ना होने से भारतीय पुलिस सेवा अवॉर्ड होने वंचित रह रहे है। नियमानुसार 8 साल के सेवाकाल के बाद ही राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी को भारतीय पुलिस सेवा में चयन की पात्रता आती है। स्थिति इतनी गंभीर है कि भारतीय पुलिस सेवा में चयन की पात्रता रखने वाले लगभग 275 अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा में चयन के लिए इंतजार कर रहे हैं। इसके कारण बड़ी संख्या में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को पूरी सर्विस में एक पदोन्नति मिले बिना रिटायरमेंट की स्थिति बन रही है।

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