चुनाव से पहले शिवराज का कर्मचारी कार्ड

शिवराज सिंह चौहान

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार दिल खोलकर पैसे खर्च कर रही है।  इसी कड़ी में सरकार प्रदेश के 10 लाख कर्मचारियों को कई सौगातें देने जा रही है। यानी कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले होने वाली है। कर्मचारियों को केंद्र के समान डीए देने, प्रोबेशन पीरियड की सौगात, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने, वाहन भत्ता बढ़ाने के साथ ही पदोन्नति का लाभ देने की तैयारी की जा रही है। माना जा रहा है कि सरकार चुनावी साल में कर्मचारियों का खुश करके बड़ा वोट बैंक साधना चाहती है।
दरअसल, भाजपा सरकार 2018 के विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए सभी वर्गों को खुश करने में जुटी हुई है। गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कर्मचारियों का रूझान कांग्रेस की तरफ हो गया था। इसको देखते हुए भाजपा ने इस बार कर्मचारियों को पूरी तरह खुश करने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से अगले माह संवाद करेंगे। इसके लिए सभी संगठनों से दो-दो प्रतिनिधियों के नाम मांगे जा चुके हैं। वहीं, कर्मचारी आयोग ने कुछ संवर्गों की वेतन विसंगति को दूर करने संबंधी रिपोर्ट भी सरकार को दे दी है। अनुकंपा नियुक्ति के नियमों में संशोधन हो चुका है तो पेंशन नियम में संशोधन का प्रारूप तैयार है, जिसे मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद लागू कर दिया जाएगा।
मिल सकता है पदोन्नति लाभ
चुनावी साल में सरकार प्रदेश के कर्मचारियों को जो सबसे बड़ी सौगात देने की तैयारी कर रही है, वह है पदोन्नति।  बता दें कि प्रदेश में 7 साल से प्रमोशन पर रोक लगी हुई है। लाखों कर्मचारी अब तक बिना प्रमोशन के सेवानिवृत्त हो चुके हैं। राज्य कर्मचारियों के अधिकारी कर्मचारी की नाराजगी दूर करने के लिए दूसरे विकल्प को तलाशा जा रहा है। ऐसे में वरिष्ठ पद का प्रभार देकर अधिकारी कर्मचारियों के नाराजगी को दूर किया जा सकता है। इससे पहले पुलिस और जेल विभाग के कर्मचारियों को वरिष्ठ पद का प्रभार सौंपा गया था। स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को भी प्रभार दिया जा रहा है। हालांकि अधिकारी कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें प्रमोशन दिया जाए और वह उच्च प्रभार से संतुष्ट नहीं है।  इसलिए विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार अधिकारी कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ दे सकती है। इसके लिए उच्च स्तर पर विचार शुरू कर दिया गया है। संभावना उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई से सितंबर तक के बीच अधिकारी कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ दिया जाएगा। दरअसल साल के अंत में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले राज्य सरकार अधिकारी कर्मचारियों की नाराजगी को दूर करने की कोशिश कर सकती है। उच्च स्तर पर प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। सरकार बीच का रास्ता निकाल कर अधिकारी कर्मचारियों को पदोन्नति दे सकती है। जुलाई से सितंबर महीने में पदोन्नति देने की शुरुआत की जा सकती है। हालांकि फिलहाल इस पर सरकार की तरफ से कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है लेकिन, पदोन्नति उच्च न्यायालय के निर्णय के अधीन रहने वाली है। ऐसा माना जा रहा है कि न्यायालय द्वारा जो निर्णय रहेगा, अधिकारी कर्मचारियों को स्वीकार करना पड़ेगा। गौरतलब है कि पिछले 7 साल से प्रदेश में 70 हजार कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं। जिनमें से 39000 कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें रिटायरमेंट से पहले प्रमोशन मिलना था। हालांकि उन्हें प्रमोशन का लाभ नहीं दिया गया। हर साल 5000 से अधिक कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं और प्रमोशन ना मिलने से कर्मचारियों में विरोध देखा जा रहा है। मामले में मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के सचिव उमाशंकर तिवारी और मध्य प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष एमपी द्विवेदी का कहना है कि पदोन्नति कर्मचारियों का अधिकार है। उन्हें मिलना चाहिए। वरिष्ठ प्रभार मिलने से अधिकारी कर्मचारियों को पैसा तो मिलेगा लेकिन प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी। इसके साथ ही कर्मचारियों द्वारा आंदोलन की भी चेतावनी दी जा रही है। ज्ञात हो कि 2016 को जबलपुर उच्च न्यायालय द्वारा मध्यप्रदेश लोकसेवा पदोन्नति नियम 2002 को निरस्त कर दिया गया था। जिसके बाद इस मामले में सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में अपील की गई थी। हालांकि अभी तक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ेगा
सरकार प्रदेश की 1.90 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी राहत देने की तैयारी में है। जल्द ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में 1500 रुपये और सहायिकाओं के मानदेय में 750 रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है। इसकी घोषणा इसी महीने हो सकती है। प्रदेश में अभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 10 हजार रुपये महीना तो सहायिकाओं को पांच हजार रुपये का प्रतिमाह का मानदेय मिलता है। इसके अलावा इन्हें लाड़ली बहना योजना के एक हजार रुपए हर महीने अतिरिक्त मिलेंगे।
डीए का भुगतान जनवरी से
इसके अलावा प्रदेश में जब भी डीए (महंगाई भत्ता) बढ़ेगा,उसका भुगतान एक जनवरी 2023 से ही किया जाएगा। इसका फायदा प्रदेश के 7.50 लाख कर्मचारियों को होगा। इसका एरियर एक जनवरी से दिया जाएगा। अभी केंद्रीय कर्मचारियों के डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। इसके बाद से उनका डीए 38 फीसदी से बढक़र 42 फीसदी हो गया है। जबकि राज्य कर्मचारियों को अभी 38 फीसदी डीए ही मिल रहा है।
वाहन भत्ता फिर से हो सकता है जारी
सरकार कर्मचारियों के वाहन भत्तों को दोगुना करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार की ओर से एक समिति गठित की गई है। सूत्रों के मुताबिक समिति ने रिपोर्ट में भत्तों को दोगुना करने की सिफारिश की है। अगर सरकार समिति की सिफारिश मान लेगी, तो सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला टीए यानी ट्रैवल अलाउंस 48 रुपये से बढक़र 96 रुपये हो जाएगा। इसके साथ ही 2013 से बंद वाहन भत्ता भी देने की सिफारिश की गई है। गौरतलब है कि वाहन भत्ता के रूप में पहले 15 रुपये मिलता था, जिसे बढ़ाकर 30 रुपये करने की शिफारिश की गई है। दरअसल, प्रदेश में एक जनवरी 2006 से छठा वेतनमान लागू किया गया। यानी 17 वर्ष पहले तय दरों के हिसाब से भत्ते दिए जा रहे हैं। इसके बाद प्रदेश में 2016 में 7वां वेतनमान लागू किया गया। इसके बाद वेतन का पुनरीक्षण तो कर दिया, लेकिन भत्तों का पुनरीक्षण अभी तक नहीं किया गया है। लिहाजा, इस मामले के हल के लिए राज्य सरकार ने कमेटी का गठन किया था, जो अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। प्रदेश सरकार की मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर किसी कर्मचारी को शासकीय काम से शहर से बाहर जाना है, तो टीए 48 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दी जाती है। यानी 24 रुपये जाने और 24 रुपये वापसी के खर्चे के तौर पर दी जाती है। इसी तरह 2013 तक वाहन भत्ता के रूप में 15 रुपये दिए जाते थे, जिस पर बाद में रोक लगा दी गई थी। वहीं, सचिवालय भत्ता कर्मचारियों को 450 रुपये और अधिकारियों को 1000 रुपये देय है।

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