मप्र में बैंकों की मनमानी अफसरों पर पड़ी भारी

बैंकों की मनमानी
  • मुख्यमंत्री उद्यम योजना का पंचनामा …

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने एवं उन्हें आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए सरकार ने बीते साल मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना शुरू की थी। लेकिन इस योजना का सफलता प्रतिशत 25 फीसदी से भी कम है। इसकी सबसे बड़ी वजह है योजना की शर्तें और बैंकों की आनाकानी। बैंकों की मनमानी का खामियाजा अफसरों को उठाना पड़ रहा है।  राज्य शासन ने उन सभी जिला व्यापार और उद्योग केंद्रों के अफसरों और तृतीय श्रेणी कैडर तक के कर्मचारियों के के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी है जहां इस योजना के केस स्वीकृति और राशि वितरण की प्रोग्रेस 17 मार्च की स्थिति में 25 प्रतिशत से कम रही है।  
जानकारी के अनुसार यह योजना जब से शुरू हुई है तभी से युवाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण देने में फेल रही है। स्थिति यह रही है कि इस योजना की बार-बार लांचिंग के बाद भी न तो योजना में युवाओं को अपेक्षित लाभ मिल पा रहा है और न ही इसकी शर्तों के आधार पर बैंक ऋण स्वीकृत करने में रुचि दिखा रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि अब अफसरों पर एक्शन लिया जा रहा है।
इन जिलों की परफॉर्मेंस 25 प्रतिशत से कम
शासन की योजना के तहत ऋण बांटने के मामले में इंदौर पहले स्थान पर है, जबकि वहीं भोपाल दूसरे, जबलपुर तीसरे, रीवा चौथे स्थान और ग्वालियर 5वें नंबर पर है। जिन जिलों को 25 प्रतिशत से कम परफार्मेंस में चिन्हित किया गया है उसमें पन्ना, रायसेन, बैतूल, झाबुआ, बड़वानी, छतरपुर, नीमच, सतना, भिंड, बुरहानपुर शामिल हैं। इसके साथ ही टीकमगढ़, अशोकनगर, सिंगरौली, अनूपपुर, सीधी, बालाघाट, दतिया, निवाड़ी, अलीराजपुर और श्योपुर का भी परफॉर्मेंस कमजोर है और ये जिले भी मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना में 25 प्रतिशत के कम वितरण वाले जिलों में शामिल हैं।
20 जिलों के अफसरों का रोका वेतन
मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना की शर्तों और इसको लेकर बैंकों द्वारा लोन मंजूर किए जाने में होने वाली आनाकानी का असर अब जिला उद्योग केंद्र पर पड़ रहा है। राज्य शासन ने उन सभी जिला व्यापार और उद्योग केंद्रों के अफसरों और तृतीय श्रेणी कैडर तक के कर्मचारियों के मार्च माह के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी है जहां इस योजना के केस स्वीकृति और राशि वितरण की प्रोग्रेस  25 प्रतिशत से कम है। महाप्रबंधकों को दिए निर्देश में कहा गया है कि उद्योग संचालनालय की अनुमति के बाद ही वेतन आहरित किया जा सकेगा। जिला व्यापार और उद्योग केंद्र के प्रदेश के सभी महाप्रबंधकों को दिए निर्देश में कहा गया है। कि मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना में 25 प्रतिशत से अधिक प्रगति करने वाले जिलों के वेतन आहरण की अनुमति एमएसएमई संचालनालय देगा। इसी माह संचालक एमएसएमई द्वारा जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्रों के महाप्रबंधकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में इस योजना की समीक्षा की गई थी। इसमें कहा गया था कि ऐसे जिले जिनमें मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के हितग्राहियों को राशि वितरण की प्रगति 25 प्रतिशत से कम है उनके कार्यालय का माह फरवरी का वेतन (चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी एवं वाहन चालकों को छोडक़र) उद्योग संचालनालय की अनुमति के उपरांत ही आहरित होगा। इसके परिप्रेक्ष्य में जिन जिलों द्वारा 25 प्रंतिशत से अधिक प्रगति दर्ज कर ली गयी है। उन्हें वेतन आहरण की अनुमति प्रदान की जाती है। जिन जिलों में वितरण की प्रगति 25 प्रतिशत कम है तथा जिनके द्वारा फरवरी माह के वेतन का आहरण कर लिया गया था उन्हें माह मार्च का वेतन (चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी एवं वाहन चालकों को छोडक़र) उद्योग संचालनालय की अनुमति के उपरांत ही मिल सकेगा।
25 प्रतिशत तक मार्जिन मनी जमा करने का प्रावधान
डीआईसी के अधिकारियों ने बताया कि योजना के तहत 50 हजार से 50 लाख तक का लोन उद्योग श्रेणी में मिलता है। जबकि खुदरा व्यवसाय एवं सर्विस सेक्टर के लिए 50 हजार से 25 लाख तक के लोन का प्रावधान है। इस लोन पर 7 साल तक 3 प्रतिशत की दर से ब्याज अनुदान शासन द्वारा दिया जाता है। 25 प्रतिशत तक मार्जिन मनी हितग्राही को जमा करानी होती है, जिसे बैंक चाहे तो कम भी कर सकता है। पहले युवा उद्यमी योजना और स्वरोजगार योजना में यह मार्जिन मनी शासन द्वारा अनुदान के तौर पर दे दी जाती थी, लेकिन इन योजनाओं को शासन ने कोरोना काल में ही बंद कर दिया है।

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