कुपोषण के खिलाफ लड़ाई का मॉडल बना पाटन गांव

कुपोषण
  • अफ्रीका महाद्वीप के देश गांव का दौरा कर ले रहे जानकारी

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। आज से करीब 5 साल पहले मप्र को कुपोषण मुक्त बनाने मिशन के रूप पोषण स्मार्ट विलेज बनाने का जो प्रयास शुरू किया गया था, उसका असर दिखने लगा है।  ऐसा ही  एक पोषण स्मार्ट विलेज कुपोषण के खिलाफ लड़ाई के लिए आदर्श बना हुआ है। छतरपुर जिले में स्थित पाटन गांव आज कुपोषण से लडऩे वाले देशों के लिए प्रेरणा बना हुआ है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अफ्रीका महाद्वीप के कई देश इस गांव का दौरा कर यहां कुपोषण के खिलाफ मिली सफलता का अध्ययन कर रहे हैं। गौरतलब है कि सरकार ने प्रदेश के सभी ब्लॉकों के एक-एक ग्राम को पोषण स्मार्ट विलेज बनाने का अभियान शुरू किया था। इसी के तहत छतरपुर जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर जंगल में बसे पाटन गांव को पोषण स्मार्ट आदर्श गांव बनाया गया था। इस गांव में कुपोषण के खिलाफ अभियान को इस तरह चलाया गया कि आज गांव में केवल 3 ही कुपोषित बच्चे हैं।
गांव के 55 घरों में पोषण गार्डन
आज पाटन गांव कुपोषण के खिलाफ लड़ाई के लिए आदर्श इसलिए बना हुआ है कि यहां कुपोषण दूर करने के लिए सारे प्रयास किए गए हैं। पोषण स्मार्ट आदर्श गांव पाटन में वह सारी सुविधाएं हैं ,जो कुपोषण के खिलाफ लड़ाई के लिए कारगर हैं। कुपोषण दूर करने  के लिए फल, सब्जी और अच्छा भोजन जरूरी है, लेकिन गरीब गांव में यह उपलब्ध होना आसान नहीं था। ऐसे में गांव के 55 घरों में पोषण गार्डन बनाए गए हैं। इनमें 14 तरह की सब्जियां, पपीता, आम, अनार आदि फल का उत्पादन हो रहा है।  शुद्ध पानी के लिए मटका फिल्टर पद्धति अपनाई गई है। इसमें एक के ऊपर एक तीन मटके रहते हैं। ऊपर वाले में पानी भरा जाता है।
बीच के मटके में रेत, कोयला और सूती कपड़ा रहता है। यहां समूह खेती की जा रही है। किसान एक एकड़ के खेत में गेहूं, सरसों, 14 प्रकार की सब्जी, पशुपालन, मछली और मुर्गी पालन कर रहे हैं। गांव में किसान पाठशाला चल रही है। गांव में किसान धनीराम को किसान पाठशाला का जिम्मा दिया गया है। वह महीने में एक बार गांव के किसानों को जैविक खाद बनाने, खेती के उन्नत तरीके, मोटे अनाज के फायदे बताते हैं। गांव में किसान समिति के माध्यम से बीज बैंक स्थापित किया गया है। बैंक से किसानों को सब्जी का बीज फ्री दिया जाता है। फसल बीज देने में शर्त है कि एक क्विंटल लेने पर सवा क्विंटल वापस देना होगा। गांव में शून्य ऊर्जा खपत वाले कूलिंग चेंबर बनाना शुरू किए गए हैं। इसमें ईंटों की दीवारें बनाकर रेत भरा गया है। रेत को ठंडा रखने के लिए ड्रिप सिस्टम से पानी देते हैं।
बदलते भारत की सुखद तस्वीर
कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में आज पाटन गांव बदलते भारत की सुखद तस्वीर बना हुआ है। पोषण स्मार्ट आदर्श गांव के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजेश गुप्ता बताते हैं कि डब्ल्यूएचओ ने दर्शना महिला कल्याण समिति के साथ मिलकर पाटन गांव को पोषण स्मार्ट गांव प्रोजेक्ट के लिए चयनित किया था। गांव के ज्यादातर लोग खेती-किसानी से जुड़े हैं। जिनके पास जमीन नहीं है, वह दिल्ली जैसे बड़े शहरों में मजदूरी करने जाते हैं। यहां के अधिकांश बच्चे कुपोषित थे, ऐसे में यहां कुपोषण मिटाने के लिए दिसंबर 2018 से कार्य शुरू किया गया था। हाल ही में 21 से 25 मार्च तक यहां छह देशों से आए प्रतिनिधिमंडल ने आंगनबाड़ी केंद्र के पोषण कैंप में पोषण मिक्स बनाने के तरीके जाने- समझे। स्व सहायता समूह, पंचायत, स्वास्थ्य और पोषण समिति, किशोर समूह से विभिन्न विषयों के साथ पाटन के पोषण स्मार्ट आदर्श गांव बनने के बारे में जाना और सीखा।
कभी गांव में थे 38 कुपोषित बच्चे…
जंगल में बसे पाटन गांव के 256 घरों में रहने वाली 1054 लोगों की आबादी में कभी 38 कुपोषित बच्चे थे।  लेकिन आज इस गांव में केवल 3 कुपोषित बच्चे हैं। पोषण स्मार्ट आदर्श गांव के रूप में पहचाने जाने वाले इस गांव से प्रभावित होकर अफ्रीका महाद्वीप के इथोपिया, मलावी, सीरिया, लियोने, बुर्किना फासो, बुरूंडी के 17 सदस्यीय दल ने डब्ल्यूएचएच (वेल्ट हंगर हाइफ) के अधिकारियों के आमंत्रण पर गांव का भ्रमण किया। कुपोषण से निपटने का प्रशिक्षण भी लिया। अब यह सदस्य अपने देश में पाटन की तरह आदर्श गांव तैयार कर वहां कुपोषण दूर करेंगे।

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