नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुस्लिम संगठनों को सांप्रदायिकता से जुड़े सभी मामलों में सरकार की भूमिका तलाशने की जगह तथ्यों को देखने-समझने की नसीहत दी है। मुस्लिम संगठनों के साथ बैठक में शाह ने कहा, सांप्रदायिक मामलों में केंद्र और भाजपाशासित राज्य सरकारें संविधान के अनुसार कार्रवाई कर रही हैं। यह सरकारों का सांविधानिक कर्तव्य है, जिसे बिना किसी भेदभाव के अमली जामा पहनाया जा रहा है। शाह ने कहा, कार्रवाई न होने के मामले उन्हें बताएं। अगर केंद्र या भाजपा शासित राज्यों का मामला है, तो हर हाल में तीन दिन में समाधान होगा।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के नेतृत्व में मंगलवार देर रात 16 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की शाह के साथ बैठक को मुस्लिम संगठनों ने सकारात्मक बताया है। बैठक में प्रतिनिधिमंडल ने रामनवमी हिंसा नफरती भाषण, भीड़ हिंसा, कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण निरस्त किए जाने, असम में मदरसों के खिलाफ कार्रवाई जैसे 14 मामलों पर बातचीत की।
अनुच्छेद 370 हटाना नीतिगत मामला
कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने की प्रतिनिधिमंडल ने जब आलोचना की, तो शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हिंदू-मुसलमानों की समस्या नहीं बनाया जाना चाहिए, यह सरकार की नीति का हिस्सा है। 370 अब वापस नहीं अ सकता, इस सच्चाई को मान लें।
सरकार की भूमिका न तलाशें
प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने बताया, शाह ने नफरती भाषण, भीड़ हिंसा जैसे मामलों में सरकार की भूमिका तलाशे जाने पर एतराज जताया। उन्होंने कहा, सभी जगह अराजक तत्व हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई और ऐसी घटनाओं पर सख्ती से लगाम लगाना सरकार का सांविधानिक दायित्व है। रामनवमी पर बिहार और पश्चिम बंगाल में हिंसा पर भी बैठक में चर्चा हुई। शाह ने कहा, दोनों विपक्ष शासित राज्य हैं, घटना के तत्काल बाद उन्होंने राज्य सरकार से बात की है। केंद्र ने राज्यों को पहले ही ऐसी घटनाओं के प्रति सतर्क किया था।