मप्र में एक साल में सडक़ पर गई 13 हजार जानें

मप्र की सडक़ों
  • जबलपुर बना सबसे अधिक सडक़ दुर्घटनाओं वाला देश का तीसरा महानगर…

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की सडक़ों की स्थिति लगातार सुधर रही है, लेकिन हादसे कम नहीं हो रहे हैं।  पिछले वर्ष 2022 में प्रदेश में 54 हजार 432 सडक़ दुर्घटनाओं में 13 हजार 417 लोगों की जान चली गई, जबकि 55 हजार 168 लोग घायल हुए। पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में सबसे अधिक दुर्घटनाएं जबलपुर में हो रही हैं, वहीं केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्रालय की ओर से जारी सूची में सडक़ दुर्घटनाओं के मामले में जबलपुर को देश मे तीसरा स्थान मिला है। पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में प्रदेश में सबसे ज्यादा 4046 दुर्घटनाएं जबलपुर में हुई हैं। इनमें चार हजार 181 लोग घायल हुए। 481 की जान चली गई। इंदौर में तीन हजार 317 और भोपाल में दो हजार 788 दुर्घटनाएं हुईं। धार में दो हजार 59 दुर्घटनाओं में 637 लोगों की मौत हो गई जो पिछले वर्ष प्रदेश में सर्वाधिक है। ऐसे ही सागर में 524 लोगों को सडक़ दुर्घटना के चलते जान गंवानी पड़ी। ब्लैक स्पाट की बात करें तो सागर में सर्वाधिक 26 और खरगोन में यह 24 हैं।
2021 की तुलना में 2022 में 11 प्रतिशत अधिक
वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में दुर्घटनाओं और मृतकों की संख्या 11 प्रतिशत अधिक रही। प्रदेश के 21 जिलों में बीते साल सडक़ दुर्घटनाओं का आंकड़ा एक हजार से ऊपर है। चिंता की बात यह है कि दुर्घटना, घायल और मृतकों की संख्या पिछले पांच वर्ष से लगातार बढ़ रही है, लेकिन इन्हें रोकने के लिए जिम्मेदार विभागों में बैठे अधिकारियों को कोई फिक्र नहीं हैं। प्रदेश में 395 ब्लैक स्पाट हैं, जहां सबसे ज्यादा हादसे हो रहे हैं। इसकी वजह सडक़ की इंजीनियरिंग में खामियां भी हैं, पर इन्हें भी दूर नहीं किया जा रहा है। बता दें कि जबलपुर में 2021 में भी सबसे ज्यादा सडक़ दुर्घटनाएं हुई थीं। सर्वाधिक दुर्घटनाओं के मामले में यह देश का तीसरा महानगर है। सर्वाधिक सडक़ दुर्घटनाओं के मामले में 2021 में मध्य प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर था।
प्रदेश के तीन शहर टॉप टेन में
केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 के दौरान सर्वाधिक सडक़ दुर्घटनाओं वाले महानगरों की सूची में मध्यप्रदेश के तीन शहर टॉप टेन में हैं। चेन्नई 5034 दुर्घटनाओं के साथ पहले व दिल्ली 4720 दुर्घटनाओं के साथ दूसरे स्थान पर हैं। जबकि मध्यप्रदेश के जबलपुर का तीसरा स्थान था। इंदौर में 2021 में 3676 दुर्घटनाएं हुईं और सूची में चौथा स्थान रहा । भोपाल में इसी दौरान 2626 दुर्घटनाएं हुईं और इस लिस्ट में छठवें नम्बर पर रहा। मृतकों की संख्या के मामले में भी प्रदेश के दो महानगर इंदौर व जबलपुर टॉप टेन में हैं।
इन दुर्घटनाओं में जबलपुर में 2021 में कुल 467 लोग काल कवलित हुए। यह संख्या महानगरों में 10 वें क्रम पर है। जबकि इंदौर में 484 मौतें हुईं। इंदौर का दुर्घटना में मृतकों की संख्या के मामले में देश मे 8 वां स्थान है। देश मे हर साल होने सडक़ दुर्घटनाओं में जबलपुर की हिस्सेदारी बढ़ती ही जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार 2017 में देश की कुल सडक़ दुर्घटनाओं में जबलपुर की हिस्सेदारी 3.98 प्रतिशत थी। 2020 में यह बढक़र 5.37 और फिर 2021 में 5.73 फीसदी हो गई।
हादसों की वजह
ट्रैफिक इंजीनियरिंग व यातायात संचालन, नियंत्रण से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि जबलपुर में सडक़ दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह यहां की पुरानी डिजाइन से बनी सडक़ें हैं। जगह-जगह चौराहे बना दिए गए हैं। जहां यातायात का दबाव बहुत है, वहां एक साथ वाहनों के निकलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं छोड़ी गई है। यातायात नियमों के प्रति जागरूकता की कमी है। ट्रैफिक नियंत्रण के लिए पुलिस बल का अभाव है। इसके साथ ही निर्माणाधीन विकास कार्यों की वजह से जगह जगह सडक़ पर डायवर्सन और गड्ढे भी दुर्घटनाओं के बड़े कारण हैं। पुलिस ट्रेनिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के एडीजी जी जनार्दन का कहना है कि संबंधित विभागों से समन्वय कर ब्लैक स्पाट खत्म किए जा रहे हैं। ज्यादातर हादसे तेज गति से वाहन चलाने के कारण होते हैं, इन्हें रोकने का भी प्रयास कर रहे हैं।

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