- गौरव चौहान
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन में भाजपा विधायकों ने स्कूलों की बदहाली, घटिया निर्माण, स्कूलों में प्राचार्य के खाली पद और शिक्षकों की भर्ती के मामले को लेकर अपनी ही सरकार को जमकर घेरा। जबेरा से भाजपा विधायक धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी व जावरा से राजेंद्र पांडे ने स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार और विधायक राजेंद्र शुक्ला ने कृषि मंत्री कमल पटेल के कामकाज पर सवाल खड़े किए । लोधी व पांडे ने परमार से कहा कि उनके क्षेत्रों में स्कूलों के नए भवन बने हैं। एक भी दिन क्लास नहीं लगी, उससे पहले ही वे क्षतिग्रस्त हो गए। कई जगह घटिया निर्माण हुआ है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. गिरीश गौतम ने भी इसे गंभीर मामला बताया। सत्ता पक्ष के विधायकों के आक्रामक रुख को देखते हुए कांग्रेस और बसपा विधायकों ने सरकार को घेरने की कोशिश की। बसपा विधायक रामबाई ने भी स्कूलों का मामला उठाया। सफाई में मंत्री परमार ने कहा कि उनके विभाग के पास तो कोई तकनीकी अमला नहीं हैं। संभवत: निर्माण का काम पीडब्ल्यूडी की इकाई पीआईयू ने किया है। क्रियान्वयन का जिम्मा ग्राम पंचायतों व शाला विकास समिति के पास है। फिर भी जिन स्कूलों की बात विधायकों ने रखी है, उनके साथ पूरे प्रदेश में ऐसे स्कूल भवनों की जांच कराई जाएगी।
कोरोना काल में खेल सामग्री खरीदी पर भी हो चुका हंगामा
सदन में कोरोना काल में स्कूलों में खेल सामग्री खरीदी का भी मुद्दा गूंजा। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। शिक्षा मंत्री ने स्वीकारा कि प्रदेश के सभी स्कूलों में खेल शिक्षक नहीं है। कोरोना काल में खेल सामग्रियों के बजट आवंटन और खेल सामग्री खरीदी पर भी हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया का आरोप है कि कोरोना में स्कूल बंद थे तो फिर कौन सी खरीदी हुई। कांग्रेस का आरोप था कि खेल में भी खेल चल रहा है। अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। विधानसभा अध्यक्ष ने दखल दिया, बोले जब स्कूल बंद तो कैसी खरीदी कैसी खेल प्रतियोगिता। स्कूल शिक्षा मंत्री बोले कोरोना में खेल सामग्री खरीदी की जांच कराएंगे।सवाल-जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री घिर गए। लिखित जबाब और सदन में सफाई अलग-अलग होने पर हंगामा हुआ। कांग्रेस बोली खेलो इंडिया के खेल में खेल चल रहा है। सदन में आज स्कूलों में शिक्षकों की कमी का मामला भी उठा।
स्कूलों के घटिया निर्माण पर सवाल
भाजपा के विधायकों ने स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों के लिए बनवाएं गए भवनों को बेहद घटिया बताया और कहा कि स्कूल लगने से पहले ही इन ये भवन क्षतिग्रस्त होने लगे हैं। निर्माण कार्य इतना घटिया हुआ कि बच्चों के बैठने लायक भी नहीं है। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने घटिया निर्माण की जांच कराने की बात कही। इस संबंध में मूल प्रश्न भाजपा के धर्मेन्द्र लोधी ने पूछा था कि तेंदूखेड़ा और जबेरा में कितने स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हैं और पिछले दो सालों में इन भवनों की मरम्मत और रखरखाव के लिए कितनी राशि जारी की कई, मरम्मत के क्या क्या काम कराए गए। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि दमोह जिले के विकासखंड जबेरा में 128 और तेंदूखेड़ा में 103 भवन क्षतिग्रस्त हैं। उन्होंने बताया कि जबेरा के भवनों की मरम्मत के लिए 93 लाख 50 हजार की राशि स्वीकृत हुई वहीं तेंदूखेड़ा के आठ स्कूलों के लिए दस लाख की राशि स्वीकृत हुई थी। विधायक ने कहा कि जो स्कूल बनाए गए हैं, उनमें निर्माण कार्य बेहद घटिया हुआ है। भाजपा के राजेन्द्र पांडेय ने भी उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा कि उनके क्षेत्र में भी स्कूलों का निर्माण कार्य बेहद घटिया हुआ है। परमार ने कहा कि जहां की शिकायतें मिली है वहां वे निर्माण एजेन्सी को नोटिस देकर इसकी जांच कराएंगे।
स्कूलों में प्राचार्य की कमी: सरकार ने कहा कि जिन स्कूलों में प्राचार्य के पद खाली है, वहां पर प्रभारी प्राचार्य बनाए जाएंगे। प्रमोशन पर रोक लगी है, इसलिए प्रभावित प्राचार्य बनाने का जल्द ही फैसला किया जाएगा। विपक्ष के स्कूलों में शिक्षकों की कमी के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस साल भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 50,000 से अधिक शिक्षकों की भर्ती के साथ नियुक्ति की जाएगी। संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सज्जन सिंह वर्मा मंत्री थे तो मध्यप्रदेश में पेड़ के नीचे स्कूल लगते थे और 500 रुपए में भर्ती होती थी। स्कूलों के मामले में को लेकर सदन में पूर्व सीएम एवं पीसीसी चीफ कमलनाथ भी सरकार को जमकर घेर चुके हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों में शिक्षक, खंबे में तार नहीं, तार में बिजली और अस्पताल में डॉक्टर नहीं है। लेकिन हमारे विधायक साथी चिंता ना करे, सिर्फ 7 महीने बची है।
मिट्टी परीक्षण केंद्र बंद पड़े
कृषि मंत्री कमल पटेल को लेकर राजेंद्र शुक्ला ने ध्यानाकर्षण दिया। शुक्ला ने कहा कि ब्लॉक स्तर पर मिट्टी परीक्षण केंद्र बंद पड़े हैं। किसान परेशान हैं। 108 करोड़ में 2017-18 में ये 265 परीक्षण केंद्र बन गए थे। एक केंद्र पर 41-42 लाख रुपए खर्च हुए। पटेल ने कहा कि वे जल्द ही तमाम कमियां दुरुस्त करेंगे। इस पर शुक्ला ने तंज कसा, यहां यह कहना ठीक है, लेकिन 5 साल से जो कर रहे हैं, 4-5 दिन में हो जाए।Óइससे ही समझा जा सकता है कि मैदानी स्तर पर क्या हालात बने हुए हैं। खास बात यह है कि इससे पता चलता है कि सरकार के कामकाज से पार्टी के विधायक संतुष्ट नही हैं।
3.5 लाख करोड़ का निवेश आया
सरकार ने 2007-2016 के बीच ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पर 50.84 करोड़ रुपए खर्च किए। साथ ही विदेश यात्रा पर 17.78 करोड़ खर्च किए हैं। विधायक मेवाराम जाटव के सवाल पर उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह ने ये जानकारी दी। इनमें जनवरी 2023 में हुई ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के खर्चे शामिल नहीं हैं। ें यह भी बताया गया कि 2007-08 से लेकर 2015-16 तक कुल 366 इकाइयों को 1224 करोड़ रुपए की सहायता दी गई है। 2007 के बाद हुई छह समिट में 13 388 एमओयू हुए, जिनमें 30 लाख 13 हजार करोड़ से अधिक के निवेश की बात हुई।
विकास यात्रा पर पत्थर फिंकवाए
मंदसौर विधायक यशपाल सिसोदिया ने राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता में कहा कि पहली बार विपक्ष ने बिना शोर अभिभाषण सुना। इस पर डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने टोका कि अभिभाषण में कुछ था ही नहीं तो क्या टिप्पणी करते। सिसोदिया ने कांग्रेस पर विकास यात्राओं में पत्थरबाजी कराने का आरोप लगाया। सिसोदिया ने कहा कि कांग्रेस के मित्रों को भाजपा की सड़कों पर चलने के बावजूद विकास नहीं दिखता तो लक्ष्मण सिंह बोले, नेहरू जी ने गांधी सागर बनवाया, तो यह नहीं कहा था कि भाजपा के लोगों को पानी नहीं मिलेगा।