जिलों में बेकार पड़ा है 1189 करोड़ का माइनिंग फंड

माइनिंग फंड
  • स्थानीय विकास और बुनियादी ढांचा बनाने में किया जाता खर्च

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ प्रदेश में कई जरुरी विकास के काम पैसा नहीं होने से अटके पड़े हैं तो वहीं हालत यह है कि कई जिलों में 1189 करोड़ का माइनिंग फंड बेकार पड़ा हुआ है। इसे सालों से खर्च ही नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश में खनन से 206.21 करोड़ की चपत भी लगी है। विधानसभा में पेश कैग रिपोट्र्स में बताया गया है कि खनिज उपलब्धता वाले 22 प्रमुख जिलों में जांच की गई , जिसमें पाया गया कि जिन नौ जिलों में सबसे ज्यादा खनिज राजस्व है, वहां खनिज निधि का उपयोग ही नहीं किया जा रहा है। खनिज प्रबंधन में भी भारी लापरवाही की गई है। खनिज कोष के प्रबंधन में देरी, रॉयल्टी में देरी, गलत सर्वेक्षण जैसी खामियों के कारण स्थानीय खनिज कोष को 206.21 करोड़ की चपत लगी है। हद तो यह रही कि 2018-19 से 2020-21 के अभिलेखों की जांच में पाया गया कि स्थानीय समिति की बैठकें तक नहीं की गई हैं। इसी तरह से बुनियादी ढांचे के निर्माण में लापरवाही बरती गई। खनिज राशि के भुगतान को लेकर कई जगह रजिस्टर तक नहीं बनाया गया। विलंबित भुगतानों पर ब्याज न वसूलना, डीएमएफ में निधि का व्यर्थ पड़े रहना, कार्य निष्पादन करने वाली एजेंसियों से अप्रयुक्त राशि की वसूली न होना जैसी गड़बड़ी भी मिलीं हैं। इसी तरह खुलासा किया गया है कि 12302.16 करोड़ में से 1163.28 करोड़ खर्च ही नहीं किए गए हैं। जिसकी वजह से बीते साल के अंत यानि की 31 मार्च 2021 को 1189.88 करोड़ रुपए की डीएमएफ निधि बिना उपयोग पड़ी रही।
सालों से नहीं की गई 5174 करोड़ की वसूली
कैग ने अपनी जांच में पाया कि प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग के तहत ही 5174.71 करोड़ रुपए बरसों से बकाया हैं। इसमें 2594.04 करोड़ रुपए तो ऐसे हैं, जो पांच साल से ज्यादा समय से बकाया बने हुए हैं। इनकी वसूली में पूरा तंत्र नकारा साबित हो रहा है। इसकी वसूली के लिए पर्याप्त कदम तक नहीं उठाए गए हैं। वाणिज्यिक कर विभाग और पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग से 31 मार्च 2021 की स्थिति में पेश डाटा के आधार पर कैग ने बताया है कि आबकारी के तहत 2020-21 से पहले के वर्षों में 69 लाख रुपए की वसूली हुई थी। जीएसटी के मामले में कैग ने जांच में पाया कि 314 प्रकरण में वाणिज्यिक कर विभाग ने करदाताओं द्वारा किए गए ट्रांजिशनल क्रेडिट दावों को सत्यापित करने के लिए कोई दिशा निर्देश ही जारी नहीं किया था। करदाताओं द्वारा ट्रांजिशनल क्रेडिट प्राप्त करने से तीन वर्ष से ज्यादा होने के बाद भी ऐसे क्रेडिट को विभाग द्वारा सत्यापित ही नहीं किया गया था।
इस तरह की गड़बड़ी और अनियमितता मिली
मुख्य खनिज उपलब्धता वाले जिन नौ जिलों की जांच की गई उनमें मंडल, कार्यकारी समिति की पर्याप्त बैठकें ही नहीं कराई गईं। खनन प्रभावित क्षेत्र और उससे प्रभावित लोगों की सूची जैसे रिकॉर्ड के रखरखाव में लापरवाही पाई गई। डीएमएफ राशि के रजिस्टर तक नहीं बनाए गए। कई अनियमितताएं पाई गई। मोटेतौर पर पट्टेदारों द्वारा रेत से डीएमएफ योगदान का उपयोग न करने, लंबित भुगतानों पर ब्याज नहीं वसूलना, डीएमएफ में निधि का व्यर्थ पड़े रहना, कार्य निष्पादन करने वाली एजेंसियों में निर्माण व मरम्मत कार्यों में अनियमितताएं, काम पूरे करने में देरी, शुरू नहीं किए गए कार्यों में अग्रिम की वसूली नहीं होना और ठेकेदारों को किए गए भुगतानो आदि में अनियमितता पाई गई।

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