वन सुरक्षा में जबलपुर वृत्त साबित हो रहा फिसड्डी

वन सुरक्षा
  • हर साल अरबों रुपए खर्च के बाद भी नहीं सुधर रहे हालात

 भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार हर साल करीब 24 अरब रुपए जंगलों की सुरक्षा और वनों के विकास पर खर्च करती है। इसके बाद भी सूबे में जंगलों का क्षेत्रफल न केवल लगातार कम होता जा रहा है, बल्कि जंगलों का घनत्व भी कम होता जा रहा है। इसकी वजह है वनों की अवैध कटाई पर लगाम नहीं लग पाना। इसकी बड़ी वजह है वन विभाग के अमले की लापरवाही। अगर सरकारी आंकड़ों को देखें तो हर साल प्रदेश में औसतन 43 हजार से अधिक मामले जंगलों में अवैध कटाई के दर्ज होते हैं। यह कटाई सभी 16 वृत्तों और नेशनल पार्क में की जाती है। इस मामले में सबसे खराब हालात जबलपुर वन वृत्त की बनी हुई है। इस वृत्त में प्रदेश में सबसे अधिक प्रकरण दर्ज होते हैं, जो करीब एक साल में पांच हजार के आसपास रहते हैं।
प्रदेश में प्राय: जंगलों में दो तरह से पेड़ों की अवैध कटाई की जाती है। इसमें भी सर्वाधिक अवैध रूप से वनों की कटाई स्थानीय लोगों के द्वारा की जाती है। यह लोग अपने खेतों के आसपास के जंगल को काटकर उस पर खेत बना लेते हैं। दूसरी तरह की कटाई लकड़ी बेचने के लिए की जाती है। इस तरह की कटाई का आंकड़ा बहुत कम रहता है। प्रदेश में बीते तीन -चार सालों में अवैध कटाई के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। इसकी मुख्य वजह वन अधिकार पत्र वितरण और सरकार द्वारा वनों के जरिए स्थानीय लोगों की आजीविका सुनिश्चित किया जाना है। जिन वृत्तों में जंगलों की अवैध कटाई खेत बनाने को लेकर की जा रही है, उनमें बुरहानपुर, सागर, शिवपुरी, ग्वालियर, रीवा, छिंदवाड़ा, बैतूल और भोपाल वन वृत्त शामिल हैं। इन जिलों में प्रतिवर्ष हजारों हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा कर लिया जाता है। वन विभाग इस मामले में औसतन हर साल करीब 17 सौ प्रकरण दर्ज करता है। अतिक्रमण के मामले में रीवा, सागर, शिवपुरी, भोपाल के आसपास के जिले सबसे आगे बने हुए हैं। इस मामले में एक पूर्व वन अफसर का कहना है कि वन अधिकार पत्र के तहत जो पट्टे दिए जा रहे हैं, उससे स्थानीय लोगों में वनों की अवैध कटाई कर अतिक्रमण की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। अतिक्रमण को हटाने के लिए मैदानी अमले को सरकार की तरफ से पूरी तरह से सपोर्ट नहीं किया जाता है। यही वजह है कि प्रदेश में विदिशा जिले के लटेरी जैसी घटना होती है।
यह हैं आंकड़े
बीते साल के अगर अवैध कटाई के आंकडें देखें तो जबलपुर में 4,879, शहडोल में 3,353, बैतूल में 3,339, छिंदवाड़ा में 3,112, सागर में 3,034 मामले दर्ज हुए हैं इसी तरह से अगर अवैध अतिक्रमण के आंकड़े देखे जाएं तो ग्वालियर में 294, शिवपुरी में 183, रीवा में155, भोपाल में 138 और सागर में 121 मामले सामने आए थे।
यह है प्रदेश में वनों की स्थिति
मध्य प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 30.72 फीसदी है। 94,689 वर्ग किमी क्षेत्रफल में से आरक्षित वन 61886 वर्ग किमी (65 फीसदी), संरक्षित वन 31098 वर्ग किमी (33 फीसदी) और अवर्गीकृत वन 1705 वर्ग किमी (2 फीसदी) है।

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