मप्र में इस बार मॉडर्न बजट

मॉडर्न बजट
  • विकास और जनकल्याण पर जोर

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आत्मनिर्भर मप्र बनाने का जो अभियान शुरू किया है, उसे वे इस साल हर हाल में पूरा करना चाहते हैं। इसके लिए इस चुनावी साल में मॉडर्न बजट बनाया जा रहा है। यानी इस बजट में विकास और जनकल्याण पर सबसे अधिक फोकस किया जा रहा है, ताकि जनता के विश्वास पर सरकार 100 फीसदी खरी उतर सके। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिशा-निर्देश पर अधिकारी बजट को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
चुनावी साल में मप्र का बजट सत्र 27 फरवरी से शुरू होकर 27 मार्च तक चलेगा। इस दौरान मप्र का बजट भी पेश किया जाएगा। वित्त विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार तकरीबन सवा तीन लाख करोड़ का बजट होगा, जो मॉडर्न बजट होगा। यह बजट अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने वाला होगा। जिसमें विकास और जन-कल्याण पर जोर दिया जाएगा। विगत दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश का बजट तैयार करने संबंधी प्रस्तुतिकरण में शामिल हुए। जिसमें विकास, कृषि और ग्रामीण आदि बिंदुओं पर प्रस्तुतिकरण दिया गया। इस साल बजट में आदिवासियों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। सीएम शिवराज ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार दिलाने की हमारी प्राथमिकता होगी। 48 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अधो-संरचना विकास पर खर्च की जाएगी। सरकार का पूरा फोकस केंद्र और राज्य द्वारा चलाई जा रही फ्लैगशिप योजनाओं पर भी रहने वाला है। दरअसल केंद्र की फ्लैगशिप योजनाओं में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम स्वनिधि, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना शामिल है। इसी तरह से प्रदेश की फ्लैगशिप योजनाओं में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना, मुख्यमंत्री कल्याण विवाह सहायता योजना, आयुष्मान भारत, निरामयम मप्र, लाड़ली लक्ष्मी योजना, आहार अनुदान योजना, मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना शामिल है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि हमारी कोशिश भारत सरकार के बजट में प्रावधानों का अधिकतम लाभ उठाने की रहेगी। प्रदेश में चार टूरिस्ट सर्किट विकसित होंगे। इसके लिए वित्तीय वर्ष में 400 करोड़ रुपये खर्ज किए जाएंगे। खास बात ये है कि, मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार का खास फोकस सूबे के आदिवासी समुदाय पर हैं। ऐसे में चुनावी साल के चलते इस साल बजट में आदिवासियों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने ये भी कहा कि, ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार दिलाने की हमारी प्राथमिकता होगी। 48 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अधो – संरचना विकास पर खर्च करने की योजना बनाई गई है। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि, इस बजट के माध्यम से हमारी कोशिश भारत सरकार के बजट में प्रावधानों का अधिकतम लाभ उठाने की भी रहेगी। प्रदेश में चार टूरिस्ट सर्किट विकसित होंगे। इसके लिए वित्तीय वर्ष में 400 करोड़ रुपए खर्ज किए जाएंगे।

प्राथमिकताओं पर फोकस

चुनावी साल होने के कारण सरकार का सबसे अधिक फोकस प्राथमिकताओं पर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश का बेहतर बजट बनाया जाए। प्रदेश की प्राथमिकताओं को देखते हुए राज्य का बजट तैयार किया जाए। बजट में विकास और जन-कल्याण पर जोर दिया जाएगा। प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था को सुदृढ़ करने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने विशेषज्ञों को प्रदेश के बजट के लिए सुझाव देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। कृषि के साथ अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार की ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार दिलाने की हमारी प्राथमिकता है। इस साल 48 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अधो-संरचना विकास पर खर्च की जाएगी। इसके लिए ग्रामीणों और युवाओं को प्रशिक्षित करेंगे। सहरिया, बैगा, भारिया जनजाति की बहनों के खातों में प्रतिमाह एक हजार रुपए अंतरित करने से कुपोषण दूर करने के प्रयासों में सफलता मिली है। महिला पंचायत में मिले सुझावों को लागू किया गया है। भारत सरकार के बजट में प्रावधानों का अधिकतम लाभ उठाने की हमारी कोशिश रहेगी। अटल बिहारी वाजपेयी नीति एवं सुशासन संस्थान के उपाध्यक्ष प्रोफेसर प्रो. सचिन चतुवेर्दी ने कहा कि प्रदेश के आगामी बजट को बनाने में केन्द्रीय बजट 2023-24 पर अर्थशास्त्रियों द्वारा विशेष समीक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मध्यप्रदेश दूरदर्शिता के साथ बजट में प्रावधान करेगा। मध्यप्रदेश में लगातार प्रगति हो रही है। भारत सरकार ने मत्स्य-पालन को बजट में प्राथमिकता दी है। मध्यप्रदेश के बजट में भी इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए। शहरों के विकास, कृषि एवं ग्रामीण आदि बिन्दुओं पर प्रस्तुतिकरण दिया गया। 27 फरवरी से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले वर्ष 2023-24 के बजट में केंद्रीय योजनाओं का भरपूर उपयोग किया जाएगा। अधोसंरचना विकास के साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। कृषि, शहरी और ग्रामीण विकास के लिए पर्याप्त प्रविधान किए जाएंगे।
गौरतलब है कि मप्र को भारत की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संकल्पित हैं। इसके लिए मप्र को आत्मनिर्भर बनाने का अभियान शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए इस बार मप्र का बजट ऐसा होगा, जिससे आत्मनिर्भर मप्र का सपना साकार होगा। प्रदेश के बजट को तैयार करने के लिए वित्त विभाग के अधिकारी अभी से जुट गए हैं और बजट को अंतिम रूप देने से पहले जनता की भी सलाह ली जाएगी। सरकार ने बजट के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। मप्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस तरह उत्साहित दिख रहे हैं, उससे तो यह साफ हो गया है कि प्रदेश का बजट आत्मनिर्भर मप्र पर आधारित होगा। शिवराज सरकार का आगामी बजट निश्चित रूप से प्रदेश की दिशा तय करने वाला होगा। वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट शिवराज सरकार के लिए चुनौती भी है और अवसर भी। चुनौती इस मायने में कि राज्य में खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है और उसके मुकाबले आय में वृद्धि नहीं हो पाई है। जनता को राहत पहुंचाने वाली योजनाओं को गति देने के लिए वित्तीय स्थिति का मजबूत होना जरूरी है। मुख्यमंत्री की सक्रियता और दूरदर्शी सोच के कारण ही राज्य को संकट से उबारने में मदद मिली है। हालांकि वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए बड़े फैसले लेने की जरूरत अभी भी है। प्रदेश का बजट इस बार तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक को होगा। स्वयं का राजस्व बढ़ाने पर सरकार द्वारा जोर दिया जाएगा। साथ ही विभागों को बजट से अतिरिक्त भी वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। कर्मचारियों के वेतन में तीन प्रतिशत की वृद्घि के हिसाब से प्रविधान रखे जाएंगे तो महंगाई भत्ते के लिए वेतन मद में कुल प्रस्तावित राशि का 32 प्रतिशत हिस्सा रखा जाएगा। प्रदेश में कर्मचारियों को अभी 20 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है।

सरकार का बड़े संकल्प पर फोकस

अब तक की तैयारियों से माना जा रहा है कि विधानसभा में प्रस्तुत होने वाले बजट के जरिए सरकार बड़ा संकल्प जाहिर कर सकती है। सरकार के लिए यह बजट चुनौती के साथ एक बड़ा अवसर भी है। माना जा रहा है कि राज्य की खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद मुख्यमंत्री आत्मनिर्भर मप्र का खाका खींचने की कोशिश करेंगे। इसीलिए इस बार का बजट अवसर सरकार के लिए भी होगा, क्योंकि जोखिम लेकर अभी तक जितने भी प्रयोग किए गए हैं, वे सभी प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए कारगर साबित हुए हैं। कोरोना संकट से प्रभावित राज्य की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। लगभग सभी क्षेत्रों में राजस्व संग्रहण में वृद्धि हो रही है। यह शुभ संकेत हैं, क्योंकि सरकार ने प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए जो रोडमैप तैयार किया है, उसके लिए वित्तीय संसाधनों की अधिक जरूरत होगी। इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी विभागों को अतिरिक्त आय सृजित करने के लक्ष्य भी दिए हैं। जीएसटी के बाद राज्य के पास टैक्स लगाने का दायरा सीमित हो गया है। ऐसे में उन विकल्पों पर विचार करना होगा, जिनके माध्यम से सरकार जनता पर कर का बोझ बढ़ाए बगैर आय बढ़ा सकती है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने देशभर के नामचीन विषय विशेषज्ञों के साथ मंथन के बाद आत्मनिर्भर मप्र का रोडमैप तैयार किया है। इसमें सभी क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि जिस तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विषम परिस्थितियों में बेहतर प्रबंधन करते आए हैं, वैसा ही इस दौर में भी वे बजट के माध्यम से करेंगे। सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी योजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान करने के साथ आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए कदम उठाने से वह नहीं झिझकेंगे।

अधोसंरचना विकास पर सरकार का फोकस

प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। इसलिए मप्र सरकार के दिशा-निर्देश पर वित्त विभाग के अधिकारी अभी से बजट की तैयारी में जुट गए हैं। इस बार का बजट चुनावी रंग में रंगा रहेगा। मुख्य बजट में सरकार का कर्मचारियों के बकाया डीए सहित अधोसंरचना विकास पर फोकस रहेगा। इसके लिए यदि कोई विभाग नई योजना लाना चाहता है, तो उसे औचित्य बताना होगा। विभाग अपने स्तर पर कोई निर्णय नहीं ले सकेंगे, बल्कि इसके लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेजना होगा और अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा ही लिया जाएगा। वित्त विभाग ने आगामी बजट बनाने के लिए विभिन्न विभागों से तैयारियां प्रारंभ करने के निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत कर्मचारियों के महंगाई भत्ता में वृद्धि संभावित है। जानकारी के अनुसार आगामी वर्ष बजट में इसके लिए 46 प्रतिशत सभी विभाग प्रावधान करेंगे। शिवराज सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए दो लाख 79 हजार 237 करोड़ रुपए का मुख्य बजट और प्रथम अनुपूरक 9,784 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। 19 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में दस हजार करोड़ रुपए से अधिक का द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया जाएगा। अगले साल विधानसभा चुनाव को देखते हुए बजट तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक का आने की संभावना है। ये करीब 3.20 लाख करोड़ का हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए बजट में कर्मचारियों के वेतन मद में तीन और मजदूरी के मद में पांच प्रतिशत की वृद्धि, महंगाई भत्ता और महंगाई राहत में संभावित वृद्धि के लिए प्रावधान किया जाएगा।
वित्त विभाग ने विभागों से प्रस्ताव मांगे हैं। दायरा भी तय कर दिया गया है। सफाई, सुरक्षा, परिवहन व्यवस्था इत्यादि में चालू वित्त वर्ष की तुलना में 5 प्रतिशत से ज्यादा बजट नहीं बढ़ेगा। वेतन के बजट में विभाग 3 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव दे सकते हैं। मजदूरी के लिए 5 प्रतिशत तक की वृद्धि के प्रस्ताव की छूट दी गई है। प्रस्ताव ऑनलाइन भेजने होंगे। बजट से ज्यादा राज्य पर कर्ज है। स्थापना व्यय में इजाफा हो रहा है। कुल बजट की 26 प्रतिशत राशि वेतन में खर्च हो जाती है। सरकार खर्च कम करने के प्रयास में है। वित्त विभाग ने विभागों से कहा है कि जिन योजनाओं की निरंतरता की जरूरत नहीं रह गई है, उनके लिए बजट का प्रस्ताव न दिया जाए। एक समान योजनाओं का संविलियन कर बजट अनुमान तैयार किया जाए। जिन योजनाओं की जरूरत नहीं है या समाप्त कर दी हैं उनका बजट शून्य कर प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। बजट में राज्य सरकार द्वारा महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा आर्थिक उन्नति के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए बजट की 30 प्रतिशत राशि महिलाओं तथा बच्चों पर खर्च करने का प्रावधान करने के निर्देश वित्त विभाग ने संबंधित विभागों को दिए हैं। अगले बजट में सामाजिक तथा आर्थिक उत्थान की योजनाओं में प्रावधान किया जाएगा। इसमें अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने के लिए बजट में पृथक से राशि का प्रावधान किया जाएगा। इन वर्गों के लिए लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं को समेकित किया जाएगा। इस नवीन व्यवस्था में व्यय की जाने वाली राशि की मॉनिटरिंग भी करने का प्रावधान होगा।

नई योजना लाने का बताना होगा औचित्य

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट की तैयारी प्रारंभ कर दी है। यदि विभाग कोई नई योजना लाना चाहते हैं तो उन्हें औचित्य बताना होगा। वे अपने स्तर से कोई निर्णय भी नहीं लेे सकेंगे। उन्हें प्रस्ताव बनाकर वित्त विभाग को भेजना होगा और उस पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लेंगे। वहीं, कर्मचारियों के महंगाई भत्ता में आगामी वर्ष में होने वाली संभावित वृद्धि को ध्यान में रखते हुए सभी विभाग 46 प्रतिशत के हिसाब से प्रविधान रखेंगे। वित्त विभाग ने सभी विभागों को बजट प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इन पर चर्चा पांच जनवरी से प्रारंभ होगी। शिवराज सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में दो लाख 79 हजार 237 करोड़ रुपये और प्रथम अनुपूरक बजट नौ हजार 784 करोड़ रुपये का प्रस्तुत किया था। 19 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में दस हजार करोड़ रुपये से अधिक का द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया जाएगा। अगले साल चुनाव हैं। इसे देखते हुए बजट तीन लाख करोड़ रुपये के आसपास रह सकता है। सरकार ने आय में वृद्धि के लिए राजस्व संग्रहण पर जोर देने के साथ अन्य विकल्प भी अपनाए हैं। अनुपयोगी सरकारी परिसंपत्तियों की नीलामी की जा रही है तो विभागों को अन्य माध्यमों से भी अपनी आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए कहा गया है। कर चोरी रोकने के लिए व्यवस्था में सुधार करने के साथ करदाताओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वित्त विभाग ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्य के अंशदान को प्राथमिकता के आधार पर अलग से प्रस्तावित किया जाए। कर्मचारियों के वेतन मद में तीन और मजदूरी के मद में पांच प्रतिशत की वृद्धि, महंगाई भत्ता और महंगाई राहत में संभावित वृद्धि के लिए 46 प्रतिशत के हिसाब से राशि का प्रविधान रखा जाएगा। अभी कर्मचारियों को 34 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा है। जबकि, पेंशनर को 28 प्रतिशत महंगाई राहत मिल रही है। इसमें पांच प्रतिशत की वृद्धि दो-तीन दिन में की जा सकती है।

कर्मचारियों-अधिकारियों को बड़ी सौगात

मप्र के सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही उनके वेतन में बढ़ोत्तरी हो सकती है। राज्य सरकार 2023-24 का बजट बना रही है जिसमें वेतन मद मेें वृद्धि का प्रस्ताव है। विभागों से अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन मद मेें 3 प्रतिशत तक की वृद्धि के प्रस्ताव देने को कहा गया है। विभागीय प्रस्तावों पर विचार कर बजट प्रावधान कर राज्य सरकार इसकी मंजूरी दे सकती है। इसके साथ ही मजदूरों के लिए वेतन वृद्धि के प्रस्ताव बुलाए गए हैं। वहीं अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए 23 और अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए 18 प्रतिशत के अनुसार राशि रखी जाएगी। सरकार एक साल में एक लाख रिक्त पदों पर भर्ती करने जा रही है। इसके लिए नियम में संशोधन भी कर दिया है। वित्त विभाग ने सभी विभागों से कहा है कि वे वर्ष 2022-23 और 2023-24 में की जाने वाली भर्ती और उनके वेतन-भत्तों पर आने वाले खर्च की जानकारी अलग से दें ताकि स्थापना व्यय का आकलन किया जा सके। पांच जनवरी से विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारियों से वित्त विभाग के अधिकारी बजट प्रस्तावों पर चर्चा करेंगे।
राज्य की वित्तीय स्थितियों के जानकार मानते हैं कि आगामी बजट का फायदा मुख्यमंत्री एक अवसर की तरह उठाने की कोशिश करेंगे। इसे ध्यान में रखकर ही बजट की तैयारी भी हो रही है। आत्मनिर्भर मप्र के तहत तय किए लक्ष्यों को वर्ष 2023 तक पूरा करने के लिए विभागवार राशि का प्रबंध किया जाएगा। इसके लिए अतिरिक्त आय के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा 15 जनवरी के बाद बजट भाषण में शामिल किए जाने वाले विषयों पर चर्चा के लिए बैठक करेंगे। राज्य सरकार में 2023-24 का बजट तैयार करने के लिए माथापच्ची शुरू हो गई है। वित्त विभाग ने विभागों से प्रस्ताव मांगे हैं। दायरा भी तय कर दिया गया है। सफाई, सुरक्षा, परिवहन व्यवस्था इत्यादि में चालू वित्त वर्ष की तुलना में 5 प्रतिशत से ज्यादा बजट नहीं बढ़ेगा। वेतन के बजट में विभाग 3 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव दे सकते हैं। मजदूरी के लिए 5 प्रतिशत तक की वृद्धि के प्रस्ताव की छूट दी गई है। प्रस्ताव ऑनलाइन भेजने होंगे। बजट से ज्यादा राज्य पर कर्ज है। स्थापना व्यय में इजाफा हो रहा है। कुल बजट की 26 प्रतिशत राशि वेतन में खर्च हो जाती है। सरकार खर्च कम करने के प्रयास में है। वित्त विभाग ने विभागों से कहा है कि जिन योजनाओं की निरंतरता की जरूरत नहीं रह गई है, उनके लिए बजट का प्रस्ताव न दिया जाए। एक समान योजनाओं का संविलियन कर बजट अनुमान तैयार किया जाए। जिन योजनाओं की जरूरत नहीं है या समाप्त कर दी हैं उनका बजट शून्य कर प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए 23 और अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए 18 प्रतिशत के अनुसार राशि रखी जाएगी। सरकार एक साल में एक लाख रिक्त पदों पर भर्ती करने जा रही है। इसके लिए नियम में संशोधन भी कर दिया है। वित्त विभाग ने सभी विभागों से कहा है कि वे वर्ष 2022-23 और 2023-24 में की जाने वाली भर्ती और उनके वेतन-भत्तों पर आने वाले खर्च की जानकारी अलग से दें ताकि स्थापना व्यय का आकलन किया जा सके। पांच जनवरी से विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारियों से वित्त विभाग के अधिकारी बजट प्रस्तावों पर चर्चा करेंगे।

आत्मनिर्भर मप्र की झलक

बजट भाषण के लिए सभी विभागों से आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश को लेकर किए गए कामों का ब्योरा मांगा गया है। दरअसल, बजट के माध्यम से सरकार यह बताएगी कि मध्य प्रदेश ने आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से कदम बढ़ाए हैं। चाहे निवेश बढ़ाना हो या अधोसंरचना विकास के काम हों, प्रदेश किसी राज्य से पीछे नहीं है। कृषि के क्षेत्र में भी लगातार विस्तार हो रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, चना, मसूर, सरसों और ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदी गई। इससे किसानों को सुविधा मिली और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गति आई। अटल प्रोग्रेस वे के आसपास औद्योगिक क्षेत्र विकास के लिए भूमि चिन्हित की जा रही है। भोपाल और इंदौर मेट्रो रेल परियोजना 2023 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मप्र के बजट में इस बार शिक्षा को प्राथमिकता, जनता से सुझाव शिवराज सरकार ने मांगे है। हालांकि सरकार विशेषज्ञों की राय भी ले रही है, विभागीय स्तर पर भी मंथन चल रहा है। लेकिन सरकार का यह भी मानना है कि जनता से बड़ा विशेषज्ञ कोई नहीं है। मप्र में वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार का फोकस है कि बजट ऐसा हो जो आत्मनिर्भर मप्र अभियान को पूरा करने में मददगार हो। इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की जनता से सुझाव मांगा है। सुझाव देने वालों ने कृषि, उद्योग और रोजगार के अवसरों पर फोकस करने की मांग ही है। ज्यादातर सुझाव अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर आए हैं। वहीं गो-अभयारण्यों और गो सदनों को चलाने के लिए संसाधन जुटाने सरकार को शराब की प्रति बोतल पर एक रुपए टोकन उपकर लगाने की सलाह दी है। अब वर्ष सरकार का फोकस बिजली, सिंचाई, शहरी विकास, मेट्रो ट्रेन, स्मार्ट सिटी, पेयजल तथा रोजगार पर है। मप्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश लाने के साथ हर क्षेत्र में आधुनिक टेक्नालॉजी का व्यापक उपयोग करने, कृषि के जरिए खेती में आधुनिक ढंग से उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाकर खेती को लाभ का धंधा बनाने पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा एनवीडीए की सिंचाई परियोजनाओं के लिए भी बजट में भरपूर प्रावधान होगा।

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