पुरानी बॉटल में नई शराब नीति

उमा भारती

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की नई शराब नीति बनकर तैयार है, बस अब उसकी घोषणा होनी ही शेष है। इस बार जो प्रविधान किए गए हैं, उसे पुरानी बॉटल में नई शराब की नीति के रुप में देखा जा रहा है। इसकी वजह है पहले से जो प्रविधान थे, उन्हें ही आगे बढ़ाने के प्रविधान इस बार भी किए गए हैं। इसे बढ़ते शराब के विरोध के रुप में देखा जा रहा है। दरअसल बीते लंबे समय से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराब के विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं। वे इस मामले को छोड़ती भी नजर नहीं आ रही हैं। प्रदेश में इस साल चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकार इस मामले में कोई रिस्क लेने के मूड में नही दिख रही है। दरअसल सरकार को डर है कि कहीं उमा का शराब विरोध बड़ा मुद्दा न बन जाए। यही वजह है कि इस  चुनावी साल में मध्यप्रदेश में शराब महंगी नहीं की जा रही है। इसकी वजह है नई आबकारी नीति में सरकार द्वारा शराब पर एक्साइज डयूटी नहीं बढ़ाना तय कर लिया गया है। यही नहीं इस बार भी बीते सालों की ही तरह कोई नई दुकान भी प्रदेश में नहीं खोली जाएगी और न ही नए अहाते भी खुलेंगे। आबकारी विभाग द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट के मुताबिक लाइसेंस फीस 10 प्रतिशत बढ़ाकर पुराने ठेकेदार द्वारा ठेका रिन्यू करने का प्रस्ताव है। फिलहाल प्रदेश में 3605 शराब दुकानें हैं, जबकि अहातों की संख्या करीब 3 हजार हैं।
नई नीति में गर्ल्स स्कूल, कॉलेज और हॉस्टल के अलावा धार्मिक स्थलों से 50 मीटर हवाई (एरियल) दूरी पर शराब दुकानों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव है। ड्राई जोन घोषित पवित्र नदियों, स्कूल, कॉलेज, धार्मिक स्थल और गल्र्स हॉस्टल के पास शराब पीने पर प्रतिबंध पूर्व की तरह ही जारी रहेगा। इस तैयार किए गए आबकारी नीति के ड्राफ्ट को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मंजूरी भी दी जा चुकी है। दरअसल चुनावी साल होने की वजह से इस बार सरकार ने शराब की कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं करने का तय किया है। बीते साल भी सरकार ने विदेशी शराब पर एक्साइज ड्यूटी 10 से 13 प्रतिशत तक कम कर दी थी, जिससे शराब सस्ती हो गई थी। इसी तरह से शराब ठकेदारों को राहत देते हुए लायसेंस फीस 10 प्रतिशत बढ़ाकर ठेका रिन्यू करने का प्रस्ताव है, जबकि बीते साल 15 और 25 प्रतिशत राशि बढ़ाकर ठेके रीन्यू किए गए थे।
10 प्रतिशत राजस्व बढ़ाने का लक्ष्य
पिछले साल सरकार ने शराब की बिक्री से 13 हजार 255 करोड़ रुपए राजस्व कमाने का लक्ष्य रखा था। इस बार इसे करीब 10 प्रतिशत बढ़ाया जा रहा है। नई नीति में शराब बिक्री से राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य करीब 14 हजार 500 करोड़ अनुमानित है। इसके साथ ही इस साल बॉटल इन ओरिजिन (ऐसी शराब जिसकी बॉटलिंग भी विदेश में होती है) अब चुनिंदा शराब दुकानों की बजाय शराब की सभी कंपोजिट दुकानों पर बिकेगी। नई नीति में इसका प्रावधान किया गया है।
शराब को लेकर जारी है भाजपा में मचमच
प्रदेश में बीते लंबे समय से जारी शराब को लेकर मचमच अब और जोर पकडऩे लगी है। अब तक प्रदेश की शिव सरकार के लिए शराब को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ही मुसीबत खड़ी कर रही थीं , लेकिन लग रहा है कि इस मामले में अब उन्हें पार्टी के ही दिग्गज नेता और शिव सरकार में मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक का भी साथ मिल रहा है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रुप से विकास यात्रा के दौरान महिलाओं को इस मामले में न केवल नसीहत दी बल्कि, अप्रत्यक्ष रुप से शराब को लेकर हमला भी बोला। गौश्रतलब है कि  विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर शिवराज सरकार एमपी की सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा सरकार द्वारा किए गए विकास को लेकर विकास यात्रा निकाल रही है। भाजपा के सभी नेता लाडली बहना योजना का प्रचार प्रसार कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश के कद्दावर मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव ने इस योजना से मिलने वाले पैसे को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने रहली विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं को आगाह किया है कि, वे सरकार से मिलने वाले 1000 रूपए में से पैसा उन पतियों को न दें जो शराब पीते हैं। अभिषेक भार्गव  ने यह बयान विधानसभा क्षेत्र में विकास यात्रा के दौरान ग्रामीण जनों से संवाद में दिया है। उन्होंने महिलाओं से कहा कि अब आप लोगों के हर महीने 1000 रुपए पक्के हो गए हैं। आप लोग पहले अपने पतियों पर निर्भर रहती थी और कहीं बाहर जाने के लिए पैसा मांगती थी, लेकिन अब आपको 1000 रुपए मिलेंगे।
उमा ने फिर किए शराब को लेकर ट्वीट
 पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने ट्विटर पर लिखा कि सुबह कुछ समाचार पत्रों में मैंने पढ़ा की मध्यप्रदेश की शराब नीति जो की 31 जनवरी को घोषित होनी थी वह अभी तक मेरी वजह से अटक गई है। यह तो सच है की 31 जनवरी को शराब नीति घोषित नहीं हुई, किंतु तथ्य यह है की 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में नवरात्रि के अष्टमी को बाबा रामदेव जी, चिन्मय पण्ड्या (गायत्री परिवार), कमलेश दाज़ी (समाजसेवी) सभी धर्मों के प्रतिनिधि संत तथा मैं भी वहां थी । भरी सभा में, लाइव टेलीकास्ट में शिवराज जी ने यह  घोषणा की थी की आप सबसे परामर्श करके ही नई शराब नीति घोषित होगी। मैंने तो अपने परामर्श 31 जनवरी से पहले ही भेज दिए। अब शायद बाकियों से परामर्श चल रहा होगा। उमा भारती लगातार आक्रामक हैं। राज्य में अपनी ही पार्टी की सरकार को वे बार-बार चेतावनी दे रही हैं। यह बात अलग है कि अब वे पूरी तरह से शराबबंदी की मांग छोड़ती नजर आ रही हैं।  वे पूर्ण शराबबंदी की मांग अब नहीं कर रहीं, प्रदेश सरकार से केवल शराब नीति में बदलाव करने को कह रही हैं।
पार्टी नेतृत्व ने साधी चुप्पी
सीएम शिवराज सिंह चौहान से जब भी उमा भारती के बारे में पूछा जाता है, वे चुप्पी साध लेते हैं। उमा ने हिंदुत्व के मुद्दे पर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को लपेटने की कोशिश की। शर्मा ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व उनसे पहले ही दूरी बना चुका है। ऐसे में उमा के लिए विकल्प लगातार कम होते जा रहे हैं। उमा की छटपटाहट का कारण यह है कि वे पार्टी में अलग-थलग पड़ गई हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में जगह नहीं मिली। तब से वे एमपी की राजनीति में सक्रिय होने की कोशिश कर रही हैं। उनके विरोधी इस रास्ते में अड़ंगे खड़े कर रहे हैं। प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। उमा को लग रहा है कि पार्टी इससे पहले उन्हें संतुष्ट करने के लिए कोई प्रयास करेगी, लेकिन अब तक ऐसे कोई आसार नजर आ रही हैं। डर इस बात का भी है कि लगातार बयानबाजी और आक्रामक रवैये से वे खुद ही अपने रास्ते में मुश्किलें न खड़ी कर रही हों।
108 दुकानों पर संकट
प्रदेश में ऐसी 108 दुकानें हैं, जो किसी न किसी धार्मिक स्थानों या फिर वे स्कूल-कॉलेजों या हॉस्टल के पास होने के कारण विवादों में हैं। इन्हें बंद करने का दबाव है । जनप्रतिनिधियों ने 250 से 500 मीटर दूरी पर शराब दुकानों को आवंटित करने का दबाव बनाया है। 500 मीटर- दुकानें 500 मीटर दूर की जाती हैं तो 1400 दुकानें प्रभावित होंगी। इनको नए सिरे से आवंटन करना पड़ेगा। इससे करीब ढाई हजार करोड़ का नुकसान संभावित है। इनमें दुकानों को 250 मीटर दूर करने पर करीब 800 दुकानें प्रभावित होंगी।  इसी तरह से 100 मीटर से 300 दुकानें प्रभावित होंगी

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